ETV Bharat / health

इंडियंस की पसंदीदा केक-चिप्स जैसी कई चीजों से बढ़ रहा डायबिटीज, ICMR-MDRF की रिसर्च में हुआ खुलासा

Diabetes In Indians : ICMR और MDRF की रिसर्च में पाया गया कि AGEs से भरपूर खाद्य पदार्थ भारतीयों में डायबिटीज का प्रमुख कारण हैं.

author img

By ETV Bharat Health Team

Published : 2 hours ago

Updated : 50 minutes ago

ICMR MDRF research on foods that propel india to become world diabetes capital and Diabetes In Indians
कॉन्सेप्ट इमेज (ETV Bhart)

Diabetes In Indians : भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद- ICMR और चेन्नई स्थित मद्रास डायबिटीज रिसर्च फाउंडेशन- MDRF जैसे सरकार द्वारा वित्त पोषित संस्थानों के रिसर्चर्स द्वारा परीक्षण में पाया गया कि उन्नत ग्लाइकेशन एंड प्रोडक्ट्स- AGEs से भरपूर खाद्य पदार्थ शरीर में सूजन पैदा करते हैं. निष्कर्षों से पता चला है कि केक, चिप्स, कुकीज, मेयोनीज, मार्जरीन, क्रैकर्स, तले हुए खाद्य पदार्थ और हाई प्रोसेस्ड फूड, जिनमें AGE की अधिकता होती है, भारत के विश्व की डायबिटीज राजधानी बनने का प्रमुख कारण हैं.

रिसर्च में पाया गया "ऐसा इसलिए है क्योंकि ग्लाइकेशन, एक गैर-एंजाइमी रासायनिक प्रक्रिया है जिसमें एक शुगर अणु एक प्रोटीन या लिपिड अणु से बंधता है, जिसके परिणामस्वरूप शरीर में हानिकारक प्रतिक्रियाएं हो सकती हैं."

रिसर्च में कई उच्च-AGE वाले खाद्य पदार्थों की पहचान की गई है जो स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण जोखिम पैदा करते हैं, जिनमें चिप्स, फ्राइड चिकन, समोसे और पकौड़े जैसी तली हुई चीजें; कुकीज, केक और क्रैकर्स जैसे पके हुए सामान; तैयार भोजन, मेयोनीज और मार्जरीन जैसे प्रोसेस्ड फूड; और उच्च तापमान पर पकाए गए पशु-आधारित खाद्य पदार्थ, जिनमें ग्रिल्ड या भुना हुआ मांस (बेकन, बीफ, पोल्ट्री) और अखरोट और सूरजमुखी के बीज जैसे भुने हुए मेवे शामिल हैं.

रिसर्च में पाया गया कि, "ये खाद्य पदार्थ भारतीय आहार में आम हैं और इन्हें नियमित रूप से ऐसे खाना पकाने के तरीकों जैसे 'तलना, भूनना, ग्रिल करना और पकाना' से तैयार किया जाता है जो उनके AGE स्तरों को बढ़ाते हैं. इस अध्ययन के निष्कर्ष इंटरनेशनल जर्नल ऑफ फूड साइंसेज एंड न्यूट्रीशन (International Journal of Food Sciences and Nutrition) में प्रकाशित हुए हैं.

रिसर्च में कहा गया है, "तलने, भूनने और ग्रिलिंग जैसी खाना पकाने की विधियां AGE के स्तर को काफी हद तक बढ़ा देती हैं, जबकि उबालने और भाप देने से ये हानिकारक यौगिक नियंत्रण में रहते हैं." रिसर्च में दो अलग-अलग समूहों के आहार में संस्कृति-विशिष्ट, आम तौर पर खाए जाने वाले भारतीय खाद्य पदार्थ शामिल थे. हस्तक्षेप-आहार मेनू की योजना बनाने से पहले इन खाद्य पदार्थों को आहार AGE संरचना के लिए मापा गया था. रिसर्च में शामिल शोधकर्ताओं ने न केवल इस बात पर जोर दिया कि क्या खाया जाता है, बल्कि बात पर भी कि इसे कैसे पकाया जाता है.

परीक्षण में 38 अधिक वजन वाले या मोटे वयस्कों को शामिल किया गया था, जिन्हें 12 सप्ताह तक उच्च या निम्न AGE आहार लेने वाले समूहों में विभाजित किया गया था. परिणामों से पता चला कि कम-AGE आहार लेने वालों में इंसुलिन का कार्य बेहतर हुआ और भोजन के बाद ग्लूकोज का स्तर कम हुआ, जो डायबिटीज के प्रबंधन और रोकथाम के लिए महत्वपूर्ण है. दूसरी ओर उच्च-AGE समूह में सूजन में वृद्धि और इंसुलिन संवेदनशीलता में कमी देखी गई.

डिस्कलेमर:- यहां दी गई जानकारी और सुझाव सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, बेहतर होगा कि इन पर अमल करने से पहले आप डॉक्टर की सलाह ले लें.

ये भी पढ़ें-

टॉप टिप्स : सेहतमंद जिंदगी के लिए खाना पकाते समय जरूर करें ये काम

Diabetes In Indians : भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद- ICMR और चेन्नई स्थित मद्रास डायबिटीज रिसर्च फाउंडेशन- MDRF जैसे सरकार द्वारा वित्त पोषित संस्थानों के रिसर्चर्स द्वारा परीक्षण में पाया गया कि उन्नत ग्लाइकेशन एंड प्रोडक्ट्स- AGEs से भरपूर खाद्य पदार्थ शरीर में सूजन पैदा करते हैं. निष्कर्षों से पता चला है कि केक, चिप्स, कुकीज, मेयोनीज, मार्जरीन, क्रैकर्स, तले हुए खाद्य पदार्थ और हाई प्रोसेस्ड फूड, जिनमें AGE की अधिकता होती है, भारत के विश्व की डायबिटीज राजधानी बनने का प्रमुख कारण हैं.

रिसर्च में पाया गया "ऐसा इसलिए है क्योंकि ग्लाइकेशन, एक गैर-एंजाइमी रासायनिक प्रक्रिया है जिसमें एक शुगर अणु एक प्रोटीन या लिपिड अणु से बंधता है, जिसके परिणामस्वरूप शरीर में हानिकारक प्रतिक्रियाएं हो सकती हैं."

रिसर्च में कई उच्च-AGE वाले खाद्य पदार्थों की पहचान की गई है जो स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण जोखिम पैदा करते हैं, जिनमें चिप्स, फ्राइड चिकन, समोसे और पकौड़े जैसी तली हुई चीजें; कुकीज, केक और क्रैकर्स जैसे पके हुए सामान; तैयार भोजन, मेयोनीज और मार्जरीन जैसे प्रोसेस्ड फूड; और उच्च तापमान पर पकाए गए पशु-आधारित खाद्य पदार्थ, जिनमें ग्रिल्ड या भुना हुआ मांस (बेकन, बीफ, पोल्ट्री) और अखरोट और सूरजमुखी के बीज जैसे भुने हुए मेवे शामिल हैं.

रिसर्च में पाया गया कि, "ये खाद्य पदार्थ भारतीय आहार में आम हैं और इन्हें नियमित रूप से ऐसे खाना पकाने के तरीकों जैसे 'तलना, भूनना, ग्रिल करना और पकाना' से तैयार किया जाता है जो उनके AGE स्तरों को बढ़ाते हैं. इस अध्ययन के निष्कर्ष इंटरनेशनल जर्नल ऑफ फूड साइंसेज एंड न्यूट्रीशन (International Journal of Food Sciences and Nutrition) में प्रकाशित हुए हैं.

रिसर्च में कहा गया है, "तलने, भूनने और ग्रिलिंग जैसी खाना पकाने की विधियां AGE के स्तर को काफी हद तक बढ़ा देती हैं, जबकि उबालने और भाप देने से ये हानिकारक यौगिक नियंत्रण में रहते हैं." रिसर्च में दो अलग-अलग समूहों के आहार में संस्कृति-विशिष्ट, आम तौर पर खाए जाने वाले भारतीय खाद्य पदार्थ शामिल थे. हस्तक्षेप-आहार मेनू की योजना बनाने से पहले इन खाद्य पदार्थों को आहार AGE संरचना के लिए मापा गया था. रिसर्च में शामिल शोधकर्ताओं ने न केवल इस बात पर जोर दिया कि क्या खाया जाता है, बल्कि बात पर भी कि इसे कैसे पकाया जाता है.

परीक्षण में 38 अधिक वजन वाले या मोटे वयस्कों को शामिल किया गया था, जिन्हें 12 सप्ताह तक उच्च या निम्न AGE आहार लेने वाले समूहों में विभाजित किया गया था. परिणामों से पता चला कि कम-AGE आहार लेने वालों में इंसुलिन का कार्य बेहतर हुआ और भोजन के बाद ग्लूकोज का स्तर कम हुआ, जो डायबिटीज के प्रबंधन और रोकथाम के लिए महत्वपूर्ण है. दूसरी ओर उच्च-AGE समूह में सूजन में वृद्धि और इंसुलिन संवेदनशीलता में कमी देखी गई.

डिस्कलेमर:- यहां दी गई जानकारी और सुझाव सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, बेहतर होगा कि इन पर अमल करने से पहले आप डॉक्टर की सलाह ले लें.

ये भी पढ़ें-

टॉप टिप्स : सेहतमंद जिंदगी के लिए खाना पकाते समय जरूर करें ये काम

Last Updated : 50 minutes ago
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.