पटनाः यदि आपके हड्डियों में लगातार दर्द रह रहा है और भूख नहीं लग रही तो सावधान हो जाए. आप मल्टीपल मायलोमा जैसी गंभीर क्रोनिक बिमारी से ग्रसित हो सकते हैं. मल्टीपल माइलोमा एक प्रकार का रक्त कैंसर है जो हमारे खून के प्लाज्मा कोशिकाओं को प्रभावित करता है.
बोन मैरो ट्रांसप्लां की जरूरः टहड्डियों में दर्द रहना, कमजोरी, जी मिचलाना इसके प्रमुख लक्षण हैं. यह एक प्रकार की क्रोनिक बीमारी है. जिसके इलाज में कीमोथेरेपी व इम्यूनोथेरेपी सहायक होता है. इसके अलावा इसके इलाज में विकिरण चिकित्सा और अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण (बोन मैरो ट्रांसप्लांट) की भी जरूरत पड़ती है.
क्या कहते हैं डॉक्टरः पटना के अगमकुआं स्थित एशिया हॉस्पिटल के ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. कुमार प्रभात ने बताया कि मल्टीपल माइलोमा एक गंभीर बिमारी है. इसके प्रति लोगों में जागरूकता लाने के लिए मार्च के महिना को मल्टीपल माइलोमा जागरूकता मंथ के रूप में मनाते हैं. कुमार प्रभात ने मल्टीपल माइलोमा के लक्षण के बारे में बताया.
"मल्टीपल माइलोमा का कारण पूरी तरह से ज्ञात नहीं हैं. बढ़ती उम्र के साथ इसका खतरा बढ़ता जाता है. वातावरण का प्रभाव, प्रदूषण और आनुवांशिक कारणों से मल्टीपल माइलोमा हो सकता है. सूजन संबंधी शिकायत, डायबिटीज और हृदय रोग वाले मरीजों में इसका खतरा ज्यादा रहता है. 75% से अधिक मामले 55 से 85 वर्ष की आयु वर्ग के लोगों में देखने को मिलता है. इसी उम्र के लोग इस बिमारी के हाई रिस्क जोन में होते हैं." -डॉ. कुमार प्रभात, ऑन्कोलॉजिस्ट
क्या है प्रमुख लक्षणः डॉक्टर से मुताबिक हड्डियों में दर्द विशेषकर रीढ़ या छाती में दर्द होना. अत्यधिक थकान व कमजोरी, जी मिचलाना, वजन घटना, पैरों में कमजोरी, मानसिक भ्रम आदि, खून की कमी व किडनी से संबंधित समस्या इस बीमारी के प्रमुख लक्षण हैं. यदि समय पर इसकी पहचान कर ईलाज शुरू हो जाए तो यह पूरी तरह से ठीक हो सकता है.
आयुष्मान भारत से इलाज में मददः इस बीमारी का पता लगाने के लिए खून की जांच, जिसमें सीबीसी, केएफटी, एसआर एलडीएच लेवल, एल्बुमिन व कैल्शियम की जांच की जाती है. बिहार में इस बिमारी के इलाज के लिए मरीजों को मुख्यमंत्री सहायता राशि व आयुष्मान भारत से भी इलाज की सुविधा उपलब्ध है.
यह भी पढ़ेंः सावधान! जंक फूड खाने से बढ़ रही बीमारी, मुजफ्फरपुर में 9 महीने में 2.13 लाख बच्चे बीमार, रिपोर्ट जारी