हैदराबाद : कायरोप्रैक्टिक ट्रीटमेंट एक वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति है जिसमें रीढ़ की हड्डी और अन्य जोड़ों की समस्या का इलाज मैनुअल एडजस्टमेंट या हाथ द्वारा की जाने वाली विभिन्न तकनीकों के माध्यम से किया जाता है. कायरोप्रैक्टिक ट्रीटमेंट या जिसे स्पाइनल मैनीपुलेशन या जॉइंट मैनीपुलेशन भी कहा जाता है, एक प्रभावी वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति है. इस पद्धति का मुख्य उद्देश्य शरीर की स्वाभाविक सुधार प्रक्रिया को प्रोत्साहित करना और दर्द से राहत दिलाना है.
इसमें तंत्रिका तंत्र और मस्कुलोस्केलेटल सिस्टम को प्रभावित करने वाली कई स्थितियों तथा उनसे संबंधित विभिन्न शारीरिक समस्याओं का इलाज किया जाता है. हालांकि यह कोई नई प्रकार की चिकित्सा पद्धति नहीं है और भारत सहित दुनिया भर में इसका प्रचलन रहा है, लेकिन सोशल मीडिया पर इसके बढ़ते ट्रेंड के चलते यह आजकल काफी ट्रेंडी हो रहा है.
क्या है कायरोप्रैक्टिक ट्रीटमेंट : मुंबई के स्पोर्ट्स इंजरी स्पेशलिस्ट तथा फिजियोथेरेपिस्ट डॉ नरेन एस आप्टे बताते हैं कि कायरोप्रैक्टिक ट्रीटमेंट एक प्रकार की मैनुअल थेरेपी है जिसमें थेरेपिस्ट हाथों की मदद से मरीज की रीढ़ की हड्डी और अन्य जोड़ों में एडजस्टमेंट करते हैं.यह उपचार पद्दती दरअसल मस्कुलोस्केलेटल सिस्टम को प्रभावित करने वाली समस्याओं व उनके लक्षणों जैसे जोड़ों व हड्डी में दर्द, मांसपेशियों की अकड़न या पुरानी स्थितियों आदि का इलाज करने या दर्द को कम करने में मदद करती है.
डॉ नरेन एस आप्टे बताते हैं कि कई लोगों को लगता है कि उपचार के दौरान एडजस्टमेंट प्रक्रिया में जब हड्डियों व मांसपेशियों पर दबाव पडता है तो काफी ज़्यादा दर्द होता है जो कुछ हद तक सही भी है. किसी इंजरी के कारण या उस क्षेत्र में या फिर मांसपेशियों में गंभीर दबाव या ज्यादा समस्या होने की अवस्था में कभी-कभी उपचार के दौरान पीड़ित को खिंचावट या तेज दर्द का सामना करना पड़ सकता है. लेकिन यह तात्कालिक व अस्थाई होता है.ट्रीटमेंट के बाद समस्या के साथ या तो तत्काल या फिर कुछ देर के बाद दर्द में भी राहत मिल जाती है. वहीं हल्के कायरोप्रैक्टिक एडजस्टमेंट के दौरान सामान्यतः बहुत ज्यादा दर्द महसूस नहीं होता है.
वह बताते हैं कि कायरोप्रैक्टिक उपचार बच्चों, युवा और बुजुर्ग सभी उम्र के लोगों के लिए प्रभावी होता है. यह ट्रीटमेंट शरीर की संरचना और उसकी कार्यप्रणाली विशेष रूप से रीढ़ की हड्डी के बीच के संबंधों को ध्यान में रखते हुए किया जाता है. लेकिन बहुत जरूरी है कि जिस भी विशेषज्ञ से यह उपचार लिया जा रहा हो वे प्रशिक्षित व अनुभवी हों. क्योंकि एक गलत कदम किसी अन्य परेशानी तथा कई बार कुछ गंभीर अवस्थाओं या समस्याओं का कारण भी बन सकता है.
कई समस्याओं में है लाभकारी : डॉ नरेन एस आप्टे बताते हैं कि कायरोप्रैक्टिक ट्रीटमेंट कई तरह की समस्याओं में काफी ज्यादा लाभकारी होता है जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं.
- पीठ दर्द: पीठ दर्द के उपचार में यह ट्रीटमेंट बहुत प्रभावी है. रीढ़ की हड्डी की सही स्थिति में सुधार करने तथा साइटिका जैसी समस्याओं व पीठ के निचले हिस्से में दर्द की समस्या में इस ट्रीटमेंट से काफी राहत मिलती है.
- गर्दन का दर्द: गर्दन के दर्द में भी कायरोप्रैक्टिक ट्रीटमेंट लाभकारी है. गर्दन की मांसपेशियों और जोड़ों की स्थिति को सुधारने से दर्द कम होता है और गति में सुधार होता है.
- माइग्रेन और सिरदर्द: माइग्रेन और तनाव से होने वाले सिरदर्द में भी यह ट्रीटमेंट राहत प्रदान कर सकता है. रीढ़ की हड्डी के ऊपरी हिस्से में एडजस्टमेंट करने से सिरदर्द की तीव्रता और आवृत्ति कम हो सकती है.
- जोड़ों का दर्द: घुटने, कंधे और अन्य जोड़ों के दर्द में भी कायरोप्रैक्टिक ट्रीटमेंट मददगार हो सकता है. सही पोजीशन में एडजस्टमेंट करने से जोड़ों के दर्द में राहत मिलती है.
- मांसपेशियों में तनाव: यह उपचार पद्दती मांसपेशियों में तनाव, खिंचाव व अकड़न जैसी समस्याओं में भी काफी लाभकारी होती हैं.
- स्पोर्ट्स इंजरी: यह ट्रीटमेंट स्पोर्ट्स इंजरी के बाद पुनर्वास में भी मदद करता है. यह मांसपेशियों और जोड़ों की गति को सुधारने में सहायक होता है.
सावधानियां
डॉ नरेन एस आप्टे बताते हैं कि चूंकि कायरोप्रैक्टिक उपचार एक वैकल्पिक चिकित्सा है ऐसे में किसी भी समस्या से पूरी तरह से राहत पाने के लिए इस थेरेपी के साथ जरूरी चिकित्सीय जांच व उपचार बहुत जरूरी है.यह उपचार पद्धती समस्या से हील होने या दर्द को कम करने में मदद करती है,लेकिन बहुत जरूरी है कि इसके साथ बताई गई सावधानियों तथा इस ट्रीटमेंट के दौरान कुछ जरूरी बातों को ध्यान में रखा जाए. जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं.
- इस उपचार के लिए हमेशा प्रशिक्षित, अनुभवी तथा प्रमाणित कायरोप्रैक्टिक चिकित्सक/थेरेपिस्ट की ही मदद लें.
- चिकित्सक की सलाह पर इस उपचार को लेने से पहले एक बार जरूरी स्कैन या जांच करवाना लाभकारी होता है. इससे थेरेपिस्ट को समस्या को समझने में मदद मिलती है.
- उपचार के दौरान किसी भी प्रकार के एडजस्टमेंट के दौरान यदि ज्यादा व असामान्य असहजता या दर्द महसूस हो,तो तत्काल अपने थेरेपिस्ट को सूचित करना चाहिये.
- इस ट्रीटमेंट से अधिकतम लाभ पाने के लिए जितने फॉलो अप सेशन के लिए थेरेपिस्ट निर्देशित करते हैं उन्हे पूरा जरूर करना चाहिए. साथ ही थेरेपिस्ट तथा चिकित्सक जिन भी आहार, व्यवहार व दवा से जुड़ी सावधानियों को अपनाने की बात कहते हैं उनका सावधानी पूर्वक पालन करना लाभकारी होता है.
- यदि उपचार लेने वाला व्यक्ति किसी प्रकार की चोट, दर्द या स्वास्थ्य समस्या का सामना कर रहा है या फिर अतीत में कर चुका है तो उसे अपने चिकित्सक/ थेरेपिस्ट को अपने स्वास्थ्य इतिहास और वर्तमान चिकित्सा के बारे में सूचित करना चाहिए. इससे चिकित्सक को समस्या के सही निदान और उपचार योजना बनाने में मदद मिलेगी.