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भोपाल एम्स में किया गया पहला किडनी ट्रांसप्लांट, मरीज ठीक हुआ और किडनी भी अच्छे से कर रही काम - mp medical news

Bhopal AIIMS First Kidney Transplant: राजधानी के भोपाल के एम्स में पहली किडनी का ट्रांसप्लांट सफल रहा. मरीज सर्जरी के बाद पूरी तरह स्वस्थ है, उसे जल्द ही डिस्चार्ज कर दिया जाएगा.

aiims first kidney transplant
भोपाल एम्स में किया गया पहला किडनी ट्रांसप्लांट
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 31, 2024, 8:58 PM IST

भोपाल। एम्स भोपाल में पहली किडनी प्रत्यारोपण प्रक्रिया करीब 8 घंटे चली और किडनी ट्रांसप्लांट सफल रहा. एम्स के निदेशक ने बताया कि 22 जनवरी 2024 को की गई सर्जरी स्वास्थ्य सेवा के लिहाज से एक अहम कदम है. बताया गया कि लाइफ सेविंग तकनीक से रीवा के 32 वर्षीय पुरुष की जिंदगी अब पूरी तरह से बदल गयी. मरीज पिछले तीन वर्षों से गुर्दे की बीमारी से जूझ रहा था. ठीक होने की उनकी यात्रा तब शुरू हुई है. उन्होंने भूख न लगना, उल्टी और कमजोरी जैसे लक्षण के साथ एम्स भोपाल की ओपीडी में डाक्टर को दिखाया था. गहन जांच के बाद, उनकी स्थिति का पता चला, जिसके बाद किडनी प्रत्यारोपण या डायलिसिस की सलाह दी गयी. मरीज ने किडनी प्रत्यारोपण का विकल्प चुना.

Bhopal AIIMS first kidney transplant
शख्स की किडनी ट्रांसप्लांट सफल

किडनी ट्रांसप्लांट जटिल प्रक्रिया

किडनी प्रत्यारोपण के लिए उनके परिवार से संभावित दाताओं के सावधानीपूर्वक चयन की प्रक्रिया शुरू हुई. उनके पिता में रक्त समूह और ऊतक अनुकूलता का मिलान होने के बाद इस प्रक्रिया के लिए तैयारी की गयी. डॉ. महेंद्र अटलानी के कुशल मार्गदर्शन में डॉ. डी कौशल, डॉ. एम कुमार, डॉ. के मेहरा, डॉ. एस तेजपाल, डॉ. एस जैन और डॉ. सौरभ की टीम ने इस जटिल सर्जरी को निर्बाध रूप से संपन्न किया. ऑपरेशन के बाद मरीज की सावधानीपूर्वक देखभाल की गयी.

bhopal aiims kidney transplant
भोपाल एम्स में किया गया पहला किडनी ट्रांसप्लांट

किडनी ने काम करना शुरू किया

मरीज को दस दिन तक एंटी-रिजेक्शन दवा भी दी गयी. जिससे शरीर किडनी को अस्वीकार न करे. आज मरीज की बेहतर रिकवरी को देखते हुए उसे अस्पताल से छुट्टी दी जा रही है. प्रधानमंत्री आयुष्मान योजना के अंतर्गत रोगी का इलाज किया गया. जिससे मरीज पर कोई वित्तीय बोझ नहीं पड़ा. यह संपूर्ण प्रत्यारोपण प्रक्रिया निःशुल्क प्रदान की गई. एम्स भोपाल के अध्यक्ष डॉ. सुनील मलिक और कार्यपालक निदेशक प्रोफेसर (डॉ.) अजय सिंह दोनों ने बताया कि "प्रत्यारोपण (ट्रांसप्लांटेशन) स्वास्थ्य सेवाओं में सहयोग, विज्ञान और टीम वर्क का उदाहरण है". दोनों ने एम्स भोपाल के संकाय और कर्मचारियों की भूमिका की सराहना करने के अलावा, राज्य सरकार और स्टेट ऑर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट आर्गेनाइजेशन की भूमिका की भी सराहना की है.

यहां पढ़ें

एम्स में कई जटिल ऑपरेशन सफलता पूर्वक किए

कुछ दिन पहले 62 वर्षीय एक मरीज पिछले 12 महीनों से सीने में जलन और पेट के ऊपरी हिस्से में परेशानी से पीड़ित था. उनकी बाहर जांच की गई और ऊपरी जीआई एंडोस्कोपिक जांच के दौरान पता चला कि मरीज की आहार नली की बीच में वृद्धि हुई है. उन्होंने इसके लिए भोपाल की अन्य अस्पतालों में भी इलाज कराया था.

भोपाल। एम्स भोपाल में पहली किडनी प्रत्यारोपण प्रक्रिया करीब 8 घंटे चली और किडनी ट्रांसप्लांट सफल रहा. एम्स के निदेशक ने बताया कि 22 जनवरी 2024 को की गई सर्जरी स्वास्थ्य सेवा के लिहाज से एक अहम कदम है. बताया गया कि लाइफ सेविंग तकनीक से रीवा के 32 वर्षीय पुरुष की जिंदगी अब पूरी तरह से बदल गयी. मरीज पिछले तीन वर्षों से गुर्दे की बीमारी से जूझ रहा था. ठीक होने की उनकी यात्रा तब शुरू हुई है. उन्होंने भूख न लगना, उल्टी और कमजोरी जैसे लक्षण के साथ एम्स भोपाल की ओपीडी में डाक्टर को दिखाया था. गहन जांच के बाद, उनकी स्थिति का पता चला, जिसके बाद किडनी प्रत्यारोपण या डायलिसिस की सलाह दी गयी. मरीज ने किडनी प्रत्यारोपण का विकल्प चुना.

Bhopal AIIMS first kidney transplant
शख्स की किडनी ट्रांसप्लांट सफल

किडनी ट्रांसप्लांट जटिल प्रक्रिया

किडनी प्रत्यारोपण के लिए उनके परिवार से संभावित दाताओं के सावधानीपूर्वक चयन की प्रक्रिया शुरू हुई. उनके पिता में रक्त समूह और ऊतक अनुकूलता का मिलान होने के बाद इस प्रक्रिया के लिए तैयारी की गयी. डॉ. महेंद्र अटलानी के कुशल मार्गदर्शन में डॉ. डी कौशल, डॉ. एम कुमार, डॉ. के मेहरा, डॉ. एस तेजपाल, डॉ. एस जैन और डॉ. सौरभ की टीम ने इस जटिल सर्जरी को निर्बाध रूप से संपन्न किया. ऑपरेशन के बाद मरीज की सावधानीपूर्वक देखभाल की गयी.

bhopal aiims kidney transplant
भोपाल एम्स में किया गया पहला किडनी ट्रांसप्लांट

किडनी ने काम करना शुरू किया

मरीज को दस दिन तक एंटी-रिजेक्शन दवा भी दी गयी. जिससे शरीर किडनी को अस्वीकार न करे. आज मरीज की बेहतर रिकवरी को देखते हुए उसे अस्पताल से छुट्टी दी जा रही है. प्रधानमंत्री आयुष्मान योजना के अंतर्गत रोगी का इलाज किया गया. जिससे मरीज पर कोई वित्तीय बोझ नहीं पड़ा. यह संपूर्ण प्रत्यारोपण प्रक्रिया निःशुल्क प्रदान की गई. एम्स भोपाल के अध्यक्ष डॉ. सुनील मलिक और कार्यपालक निदेशक प्रोफेसर (डॉ.) अजय सिंह दोनों ने बताया कि "प्रत्यारोपण (ट्रांसप्लांटेशन) स्वास्थ्य सेवाओं में सहयोग, विज्ञान और टीम वर्क का उदाहरण है". दोनों ने एम्स भोपाल के संकाय और कर्मचारियों की भूमिका की सराहना करने के अलावा, राज्य सरकार और स्टेट ऑर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट आर्गेनाइजेशन की भूमिका की भी सराहना की है.

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एम्स में कई जटिल ऑपरेशन सफलता पूर्वक किए

कुछ दिन पहले 62 वर्षीय एक मरीज पिछले 12 महीनों से सीने में जलन और पेट के ऊपरी हिस्से में परेशानी से पीड़ित था. उनकी बाहर जांच की गई और ऊपरी जीआई एंडोस्कोपिक जांच के दौरान पता चला कि मरीज की आहार नली की बीच में वृद्धि हुई है. उन्होंने इसके लिए भोपाल की अन्य अस्पतालों में भी इलाज कराया था.

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