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ना केवल दर्द में बल्कि संपूर्ण स्वास्थ्य में सुधार करती है ये थेरेपी - Acupressure acupuncture

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By ETV Bharat Health Team

Published : Aug 29, 2024, 2:38 PM IST

Updated : Aug 30, 2024, 5:55 AM IST

Acupressure acupuncture : एक्यूप्रेशर और एक्यूपंक्चर, बढ़ती उम्र में हाथ, पांव, घुटनों और जोड़ों के दर्द में उपचार के सुरक्षित और प्रभावी विकल्प हो सकते हैं. उपचार के नतीजों और जानकारों की राय के आधार पर कहा जा सकता है कि यह वैकल्पिक चिकित्सा पद्धतियां ना केवल दर्द में बल्कि शरीर के संपूर्ण स्वास्थ्य में भी सुधार करती है.

Acupressure can be helpful in joint pain and acupuncture improves health
कॉन्सेप्ट इमेज (CANVA)

Acupressure acupuncture : बढ़ती उम्र के साथ हाथ, पांव, घुटनों और जोड़ों में दर्द एक आम समस्या बन जाती है. यह दर्द रोजमर्रा के कामकाज में बाधा डालता है और जीवन को असहज बना देता है. इस दर्द के पीछे आर्थराइटिस, मांसपेशियों की कमजोरी, और जोड़ों का घिसना जैसे कारण हो सकते हैं. इस तरह की समस्याओं के निदान या प्रबंधन में दवाओं के साथ फिजिकल थेरेपी भी काफी लाभकारी हो सकती है. जानकारों की मानें तो इन तरह की समस्याओं में एक्यूप्रेशर और एक्यूपंक्चर काफी मददगार हो सकती हैं. क्या है एक्यूप्रेशर और एक्यूपंक्चर

एक्यूप्रेशर: एक्यूप्रेशर एक प्राचीन चीनी चिकित्सा पद्धति है जिसमें शरीर के विशिष्ट बिंदुओं पर दबाव डालकर उपचार किया जाता है. यह माना जाता है कि शरीर के इन बिंदुओं पर दबाव डालने से शरीर में ऊर्जा का प्रवाह सही होता है और दर्द में राहत मिलती है. एक्यूप्रेशर के लिए किसी प्रकार की सुई या उपकरण की जरूरत नहीं होती, सिर्फ उंगलियों से दबाव डालकर यह उपचार किया जाता है.

एक्यूपंक्चर: एक्यूपंक्चर भी एक प्राचीन चिकित्सा पद्धति है, जिसमें बारीक सुइयों का उपयोग करके शरीर के विशिष्ट बिंदुओं पर चुभन दी जाती है. यह माना जाता है कि इससे शरीर में ऊर्जा का संतुलन ठीक होता है और दर्द व कई अन्य समस्याओं में भी में राहत मिलती है. एक्यूपंक्चर की विधि प्रशिक्षित विशेषज्ञों द्वारा ही की जाती है.

कैसे करते हैं ये उपचार काम?
इंदौर के होम्योपैथिक चिकित्सक तथा एक्यूप्रेशर थेरेपिस्ट डॉ हेमंत सावरकर बताते हैं कि एक्यूप्रेशर और एक्यूपंक्चर दोनों उपचार पद्धतियां अलग-अलग होती हैं तथा अलग-अलग तरीकों से की जाती हैं , लेकिन दोनों का उद्देश्य शरीर में 'क्यूई' यानी जीवन ऊर्जा के प्रवाह को सही करना होता है. इन दोनों ही विधाओं में माना जाता है कि शरीर में कई प्रकार के दर्द या समस्या के लिए 'क्यूई' यानी जीवन ऊर्जा के प्रवाह बाधित होना कारण होता है. ऐसे में एक्यूप्रेशर और एक्यूपंक्चर दोनों ही शरीर में ऊर्जा के प्रवाह को सही व निरंतर करने में मदद कर सकते हैं. इन दोनों ही उपचार पद्धतियों से शरीर में रक्त संचार बेहतर होता है जिससे मांसपेशियों में तनाव कम होता है और दर्द में राहत मिलती है.

दरअसल इन दोनो ही पद्धतियों में क्यूई को जीवन शक्ति के रूप में परिभाषित किया जाता है जो हमारे शरीर के चारों ओर 14 चैनलों या मेरिडियन में घूमती है. इन दोनों पद्धतियों में जिन बिंदुओं पर दबाव डाल जाता है या सुई का उपयोग किया जाता है उन्हे दबाव बिन्दु या एक्यूप्वाइंट कहा जाता है. इन दोनों विधाओं के थेरेपिस्ट इन दबाव बिंदु या एक्यूप्वाइंट पर सुई की मदद से या दबाव देकर "क्यूई" के प्रवाह को मुक्त व सुचारू करने में मदद करते हैं.

किन-किन समस्याओं में राहत दिला सकती हैं ये थेरेपी !

  • डॉ हेमंत सावरकर बताते हैं कि एक्यूप्रेशर और एक्यूपंक्चर से सिर्फ दर्द ही नहीं बल्कि कई अन्य समस्याओं में भी लाभ मिल सकता है. जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं.
  • एक्यूप्रेशर और एक्यूपंक्चर से घुटनों और जोड़ों के दर्द में आराम मिल सकता है. इन विधियों से सूजन कम होती है और जोड़ों में लचीलापन बढ़ता है, जिससे चलने-फिरने में आसानी होती है.
  • आर्थराइटिस के कारण होने वाले दर्द और जकड़न में भी ये उपचार प्रभावी हो सकते हैं. यह सूजन को कम करने और जोड़ों के दर्द में राहत दिलाने में सहायक होते हैं.
  • बढ़ती उम्र में हाथ और पांव में कमजोरी और दर्द होना सामान्य है. एक्यूप्रेशर के विशेष बिंदुओं पर दबाव डालकर हाथ और पांव के दर्द में राहत पाई जा सकती है.
  • सिरदर्द व मतली की समस्या में भी इन उपचार पद्धतियों को अपनाने से राहत मिल सकती हैं.
  • तनाव, चिंता और अनिद्रा जैसी समस्याओं में भी एक्यूप्रेशर और एक्यूपंक्चर काफी राहत दिला सकते है.
  • मासिक धर्म में पेट में होने वाली ऐंठन तथा सफर में होने वाली मोशन सिकनेस में भी इन प्रक्रियाओं को अपनाने से मदद मिलती है.

सावधानियां और सुझाव
डॉ हेमंत सावरकर बताते हैं कि चाहे एक्यूपंक्चर हो या एक्यूप्रेशर, दोनों प्रक्रियाएं यदि सही तकनीक से तथा प्रशिक्षित व सर्टिफाइड थेरेपिस्ट से ही कराई जाए तभी सुरक्षित तथा लाभकारी रहती हैं. इसके साथ ही बहुत जरूरी है कि गर्भवती महिलाएं , किसी गंभीर रोग या संक्रमण का प्रभाव झेल रहे या उनके चलते कुछ विशेष दवाओं का सेवन कर रहे लोग तथा किसी सर्जरी के बाद व्यक्ति इन प्रक्रियाओं को अपनाने से पहले एक बार चिकित्सक से परामर्श जरूर लें. क्योंकि कुछ परिस्थियों में इन उपचार पद्धतियों को ना लेने की सलाह भी दी जाती है. इसके अलावा विशेषतौर पर एक्यूपंक्चर के दौरान स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना भी जरूरी है ताकि संक्रमण से बचा जा सके.

डिस्कलेमर: यहां दी गई जानकारी और सुझाव सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं. बेहतर होगा कि इन पर अमल करने से पहले आप डॉक्टर की सलाह ले लें.

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Walking Benefits : आपने शायद ही सुनें हों पैदल चलने के हैरान करने वाले ये फायदे

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एक्यूप्रेशर: एक्यूप्रेशर एक प्राचीन चीनी चिकित्सा पद्धति है जिसमें शरीर के विशिष्ट बिंदुओं पर दबाव डालकर उपचार किया जाता है. यह माना जाता है कि शरीर के इन बिंदुओं पर दबाव डालने से शरीर में ऊर्जा का प्रवाह सही होता है और दर्द में राहत मिलती है. एक्यूप्रेशर के लिए किसी प्रकार की सुई या उपकरण की जरूरत नहीं होती, सिर्फ उंगलियों से दबाव डालकर यह उपचार किया जाता है.

एक्यूपंक्चर: एक्यूपंक्चर भी एक प्राचीन चिकित्सा पद्धति है, जिसमें बारीक सुइयों का उपयोग करके शरीर के विशिष्ट बिंदुओं पर चुभन दी जाती है. यह माना जाता है कि इससे शरीर में ऊर्जा का संतुलन ठीक होता है और दर्द व कई अन्य समस्याओं में भी में राहत मिलती है. एक्यूपंक्चर की विधि प्रशिक्षित विशेषज्ञों द्वारा ही की जाती है.

कैसे करते हैं ये उपचार काम?
इंदौर के होम्योपैथिक चिकित्सक तथा एक्यूप्रेशर थेरेपिस्ट डॉ हेमंत सावरकर बताते हैं कि एक्यूप्रेशर और एक्यूपंक्चर दोनों उपचार पद्धतियां अलग-अलग होती हैं तथा अलग-अलग तरीकों से की जाती हैं , लेकिन दोनों का उद्देश्य शरीर में 'क्यूई' यानी जीवन ऊर्जा के प्रवाह को सही करना होता है. इन दोनों ही विधाओं में माना जाता है कि शरीर में कई प्रकार के दर्द या समस्या के लिए 'क्यूई' यानी जीवन ऊर्जा के प्रवाह बाधित होना कारण होता है. ऐसे में एक्यूप्रेशर और एक्यूपंक्चर दोनों ही शरीर में ऊर्जा के प्रवाह को सही व निरंतर करने में मदद कर सकते हैं. इन दोनों ही उपचार पद्धतियों से शरीर में रक्त संचार बेहतर होता है जिससे मांसपेशियों में तनाव कम होता है और दर्द में राहत मिलती है.

दरअसल इन दोनो ही पद्धतियों में क्यूई को जीवन शक्ति के रूप में परिभाषित किया जाता है जो हमारे शरीर के चारों ओर 14 चैनलों या मेरिडियन में घूमती है. इन दोनों पद्धतियों में जिन बिंदुओं पर दबाव डाल जाता है या सुई का उपयोग किया जाता है उन्हे दबाव बिन्दु या एक्यूप्वाइंट कहा जाता है. इन दोनों विधाओं के थेरेपिस्ट इन दबाव बिंदु या एक्यूप्वाइंट पर सुई की मदद से या दबाव देकर "क्यूई" के प्रवाह को मुक्त व सुचारू करने में मदद करते हैं.

किन-किन समस्याओं में राहत दिला सकती हैं ये थेरेपी !

  • डॉ हेमंत सावरकर बताते हैं कि एक्यूप्रेशर और एक्यूपंक्चर से सिर्फ दर्द ही नहीं बल्कि कई अन्य समस्याओं में भी लाभ मिल सकता है. जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं.
  • एक्यूप्रेशर और एक्यूपंक्चर से घुटनों और जोड़ों के दर्द में आराम मिल सकता है. इन विधियों से सूजन कम होती है और जोड़ों में लचीलापन बढ़ता है, जिससे चलने-फिरने में आसानी होती है.
  • आर्थराइटिस के कारण होने वाले दर्द और जकड़न में भी ये उपचार प्रभावी हो सकते हैं. यह सूजन को कम करने और जोड़ों के दर्द में राहत दिलाने में सहायक होते हैं.
  • बढ़ती उम्र में हाथ और पांव में कमजोरी और दर्द होना सामान्य है. एक्यूप्रेशर के विशेष बिंदुओं पर दबाव डालकर हाथ और पांव के दर्द में राहत पाई जा सकती है.
  • सिरदर्द व मतली की समस्या में भी इन उपचार पद्धतियों को अपनाने से राहत मिल सकती हैं.
  • तनाव, चिंता और अनिद्रा जैसी समस्याओं में भी एक्यूप्रेशर और एक्यूपंक्चर काफी राहत दिला सकते है.
  • मासिक धर्म में पेट में होने वाली ऐंठन तथा सफर में होने वाली मोशन सिकनेस में भी इन प्रक्रियाओं को अपनाने से मदद मिलती है.

सावधानियां और सुझाव
डॉ हेमंत सावरकर बताते हैं कि चाहे एक्यूपंक्चर हो या एक्यूप्रेशर, दोनों प्रक्रियाएं यदि सही तकनीक से तथा प्रशिक्षित व सर्टिफाइड थेरेपिस्ट से ही कराई जाए तभी सुरक्षित तथा लाभकारी रहती हैं. इसके साथ ही बहुत जरूरी है कि गर्भवती महिलाएं , किसी गंभीर रोग या संक्रमण का प्रभाव झेल रहे या उनके चलते कुछ विशेष दवाओं का सेवन कर रहे लोग तथा किसी सर्जरी के बाद व्यक्ति इन प्रक्रियाओं को अपनाने से पहले एक बार चिकित्सक से परामर्श जरूर लें. क्योंकि कुछ परिस्थियों में इन उपचार पद्धतियों को ना लेने की सलाह भी दी जाती है. इसके अलावा विशेषतौर पर एक्यूपंक्चर के दौरान स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना भी जरूरी है ताकि संक्रमण से बचा जा सके.

डिस्कलेमर: यहां दी गई जानकारी और सुझाव सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं. बेहतर होगा कि इन पर अमल करने से पहले आप डॉक्टर की सलाह ले लें.

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Last Updated : Aug 30, 2024, 5:55 AM IST
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