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'दुखी मन मेरे..दर्द हमारा कोई ना जाने', किशोर कुमार का पुश्तैनी मकान धराशायी होने की कगार पर - KISHORE DA 95th BIRTH ANNIVERSARY

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Aug 4, 2024, 7:44 AM IST

Updated : Aug 4, 2024, 7:50 AM IST

अपने पुश्तैनी मकान की दुर्दशा देख किशोर दा का मन बहुत दुखी होता होगा. उनका मकान पूरी तरह से जर्जर हो गया है. यह मकान उनके बहुत करीब था. वह अपना आखिरी समय इस छत के नीचे बिताना चाहते थे, लेकिन उनकी यह इच्छा अधूरी रह गई.

KHANDWA KISHORE DA HOME DILAPIDATED
किशोर कुमार के पुश्तैनी घर की हालत दयनीय (ETV Bharat)

खंडवा: 'दुखी मन मेरे, सुन मेरा कहना, जहां नहीं चैना, वहां नहीं रहना, दुखी मन मेरे..दर्द हमारा कोई ना जाने.' हरफनमौला कलाकार किशोर दा का यह गाना आज उनके मकान की दुर्दशा बंया कर रहा है. मायानगरी मुम्बई में बेचैन खंडवा में बस जाना चाहते थे. उनका मन खंडवा में अपने पुश्तैनी मकान गौरीकुंज उर्फ गांगुली हाउस में बसा हुआ था, लेकिन आज उनका मन दुःखी है अपने मकान की दुर्दशा को देखकर.

किशोर दा अपना आखिरी समय खंडवा में बितना चाहते थे (ETV Bharat)

किशोर दा का पुश्तैनी मकान जर्जर

आज 4 अगस्त को सुरों के सरताज किशोर कुमार की 95वीं बर्थ एनिवर्सरी है. उनका जन्म 4 अगस्त 1929 को मध्यप्रदेश के खंडवा में एक गांगुली परिवार में हुआ था. किशोर दा को अपनों ने ही भुला दिया. आज उनका मकान जर्जर हो गया है. जहां वे आराम करते थे, वहां उनकी मां के तस्वीर रखी हुई थी. आज यह कमरा तहस नहस हो गया है, कमरा धाराशाही हो गया है. मकान को संभाले रखे हुए पिलर जर्जर हो गए हैं. मकान का ऊपरी हिस्सा एक तरफ झुक सा गया है. मकान के गलियारें में दुकानदारों ने अपना सामान पटक रखा है. एक तरह से गोडाउन की तरह उपयोग कर रहे हैं.

किशोर दा को याद कर रोने लगा चौकीदार

किशोर दा के समय से मकान की देखरेख करने वाले चौकीदार सीताराम की आंखे भी अब धुंधला गई है. उनकी नजर कमजोर हो गई है, लेकिन किशोर की यादें और उनकी बांते आज भी उनके जहन में है. वो उन्हें याद कर रो देते हैं.

खंडवा में बितना चाहते थे आखरी समय

सीताराम काका का कहना है कि "किशोर दा को अपने मकान और खंडवा से बहुत लगाव था. आखरी बार जब वे खंडवा आये, तो कहने लगे कि काका अब यही बस जाना है. खंडवा में आकर रहूंगा. इसके बाद साहब गए, तो उनका पार्थिव शरीर है खंडवा आया. उनकी अंतिम इच्छा खंडवा में आकर रहने की अधूरी रह गई."

मकान कभी भी हो सकता है धराशाई

किशोर प्रेरणा मंच से जुड़े समाजसेवी सुनील जैन बताते हैं कि "किशोर दा को उनके अपनों ने भुला दिया है. आज उनका मकान जर्जर हो गया. हम सभी किशोर प्रेमियों ने उनके मकान को संगीत का मंदिर बनाने की मांग की है. प्रदेश सरकार से भी बातचीत हुई है, लेकिन अभी तक कोई पहल नहीं हो सकी. ऐसा ही रहा तो किसी भी दिन एक अनमोल धरोहर धराशाई हो जाएगी.''

यहां पढें...

खंडवा के 'गौरव' के लिए गौरव दिवस, खास अंदाज में मनेगा बॉलीवुड के कलाकार किशोर कुमार का जन्मदिन

अगर एमपी सरकार को मिल जाए किशोर दा का पुश्तैनी घर, तो बनाया जा सकता है राष्ट्रीय स्मारक- एमपी वन मंत्री

KISHORE DA BIRTH ANNIVERSARY
किशोर प्रेमियों ने अलग अंदाज में श्रद्धांजलि दी (ETV Bharat)

किशोर प्रेमियों ने सुर के सरताज को अनोखे अंदाज में किय बर्थडे विश

सुर व सरगम के सरताज किशोर कुमार के जन्मदिन को लेकर किशोर प्रेमियों में उत्साह है. जन्मदिन के एक दिन पहले से ही देश के अलग-अलग जिलों से किशोर के दिवाने खंडवा पहुंचने लगे हैं. उनके द्वारा किशोर कुमार की समाधी पर फुल माला चढ़ाकर सुरों से श्रद्धाजंली दी जा रही है. किशोर कुमार खंडवाले का 4 अगस्त को जन्म दिन हैं. इस दिन को मनाने के लिए किशोर के दिवानों में अलग ही उत्साह है. दिवानगी इस कदर की सैकड़ों किमी से वे इस दिन के लिए खासतौर पर खंडवा आए हैं. परिवार के साथ तो कोई दोस्तों के साथ एक दिन पहले ही खंडवा में किशोर कुमार की समाधी पर पहुंच गया है. यहां श्रद्धाजंली का अलग ही तरीका है. सुरों के सरताज किशोर दा को उनके गाना गाकर श्रद्धांजलि दी जा रही है.

खंडवा: 'दुखी मन मेरे, सुन मेरा कहना, जहां नहीं चैना, वहां नहीं रहना, दुखी मन मेरे..दर्द हमारा कोई ना जाने.' हरफनमौला कलाकार किशोर दा का यह गाना आज उनके मकान की दुर्दशा बंया कर रहा है. मायानगरी मुम्बई में बेचैन खंडवा में बस जाना चाहते थे. उनका मन खंडवा में अपने पुश्तैनी मकान गौरीकुंज उर्फ गांगुली हाउस में बसा हुआ था, लेकिन आज उनका मन दुःखी है अपने मकान की दुर्दशा को देखकर.

किशोर दा अपना आखिरी समय खंडवा में बितना चाहते थे (ETV Bharat)

किशोर दा का पुश्तैनी मकान जर्जर

आज 4 अगस्त को सुरों के सरताज किशोर कुमार की 95वीं बर्थ एनिवर्सरी है. उनका जन्म 4 अगस्त 1929 को मध्यप्रदेश के खंडवा में एक गांगुली परिवार में हुआ था. किशोर दा को अपनों ने ही भुला दिया. आज उनका मकान जर्जर हो गया है. जहां वे आराम करते थे, वहां उनकी मां के तस्वीर रखी हुई थी. आज यह कमरा तहस नहस हो गया है, कमरा धाराशाही हो गया है. मकान को संभाले रखे हुए पिलर जर्जर हो गए हैं. मकान का ऊपरी हिस्सा एक तरफ झुक सा गया है. मकान के गलियारें में दुकानदारों ने अपना सामान पटक रखा है. एक तरह से गोडाउन की तरह उपयोग कर रहे हैं.

किशोर दा को याद कर रोने लगा चौकीदार

किशोर दा के समय से मकान की देखरेख करने वाले चौकीदार सीताराम की आंखे भी अब धुंधला गई है. उनकी नजर कमजोर हो गई है, लेकिन किशोर की यादें और उनकी बांते आज भी उनके जहन में है. वो उन्हें याद कर रो देते हैं.

खंडवा में बितना चाहते थे आखरी समय

सीताराम काका का कहना है कि "किशोर दा को अपने मकान और खंडवा से बहुत लगाव था. आखरी बार जब वे खंडवा आये, तो कहने लगे कि काका अब यही बस जाना है. खंडवा में आकर रहूंगा. इसके बाद साहब गए, तो उनका पार्थिव शरीर है खंडवा आया. उनकी अंतिम इच्छा खंडवा में आकर रहने की अधूरी रह गई."

मकान कभी भी हो सकता है धराशाई

किशोर प्रेरणा मंच से जुड़े समाजसेवी सुनील जैन बताते हैं कि "किशोर दा को उनके अपनों ने भुला दिया है. आज उनका मकान जर्जर हो गया. हम सभी किशोर प्रेमियों ने उनके मकान को संगीत का मंदिर बनाने की मांग की है. प्रदेश सरकार से भी बातचीत हुई है, लेकिन अभी तक कोई पहल नहीं हो सकी. ऐसा ही रहा तो किसी भी दिन एक अनमोल धरोहर धराशाई हो जाएगी.''

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सुर व सरगम के सरताज किशोर कुमार के जन्मदिन को लेकर किशोर प्रेमियों में उत्साह है. जन्मदिन के एक दिन पहले से ही देश के अलग-अलग जिलों से किशोर के दिवाने खंडवा पहुंचने लगे हैं. उनके द्वारा किशोर कुमार की समाधी पर फुल माला चढ़ाकर सुरों से श्रद्धाजंली दी जा रही है. किशोर कुमार खंडवाले का 4 अगस्त को जन्म दिन हैं. इस दिन को मनाने के लिए किशोर के दिवानों में अलग ही उत्साह है. दिवानगी इस कदर की सैकड़ों किमी से वे इस दिन के लिए खासतौर पर खंडवा आए हैं. परिवार के साथ तो कोई दोस्तों के साथ एक दिन पहले ही खंडवा में किशोर कुमार की समाधी पर पहुंच गया है. यहां श्रद्धाजंली का अलग ही तरीका है. सुरों के सरताज किशोर दा को उनके गाना गाकर श्रद्धांजलि दी जा रही है.

Last Updated : Aug 4, 2024, 7:50 AM IST
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