नई दिल्ली: कर्मचारियों के लिए ग्रेच्युटी की रकम बहुत महत्वपूर्ण होती है. लेकिन कई कंपनियां ग्रेच्युटी न देकर कर्मचारियों को परेशान कर रही हैं. अगर आपकी कंपनी भी आपको ग्रेच्युटी देने में परेशान कर रही है तो ये खबर आपके लिए है. आइए जानते हैं कि ऐसी स्थिति में कर्मचारी कैसे अपनी पेयबल ग्रेच्युटी ले सकते हैं. आज हम इस खबर को एक उदाहरण से समझते है.
सवाल- मेरी उम्र 64 वर्ष है. मैं रिटायर हो चुका हूं. 2000-10 तक एक निजी कंपनी में काम किया. 2012-22 के बीच मैंने वहां दूसरी बार भी काम किया. बाद में मैं रिटायर हो गया. लेकिन कंपनी ने मुझे केवल दूसरे कार्यकाल के लिए ग्रेच्युटी का भुगतान किया. पहले कार्यकाल 2000-10 के लिए ग्रेच्युटी का भुगतान नहीं किया गया. ऐसी स्थिति में ग्रेच्युटी पाने के लिए मुझे क्या करना चाहिए?
जवाब- ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम, 1972 के अनुसार, किसी कंपनी या नियोक्ता को उस कर्मचारी को ग्रेच्युटी का भुगतान करना होता है जिसने लगातार 5 साल तक काम किया हो. इसका मतलब है कि ग्रेच्युटी कर्मचारी का वैधानिक अधिकार है. धारा 4(6) के तहत किसी भी परिस्थिति में कर्मचारी के ऐसे किसी वैधानिक अधिकार को माफ नहीं किया जा सकता. 1972 के अधिनियम की धारा 4 के अनुसार, कर्मचारी संबंधित संगठन से 2000-10 की अवधि के लिए और 2012-2022 की अवधि के लिए भी ग्रेच्युटी पाने का हकदार है.
इसे और सरल भाषा में कहें तो, कर्मचारी ने 2000-2010 तक लगातार पांच साल से अधिक सेवा की है. इसलिए वह 2000-2010 की अवधि के लिए ग्रेच्युटी पाने का हकदार है. 2012-2022 के बीच उसने फिर से उक्त संगठन में काम किया. कानून के अनुसार, उसे फिर से नौकरी पर रखा गया माना जाता है. इसलिए वह कानून के अनुसार इन पांच वर्षों के लिए भी ग्रेच्युटी पाने का हकदार है.
इस बात का रखें ध्यान!
चूंकि कर्मचारी को 2000-10 की अवधि के लिए ग्रेच्युटी का भुगतान नहीं किया गया है. इसलिए उसे तुरंत कंपनी को एक नोटिस भेजना चाहिए. धारा 7(3-ए) के तहत 1 अक्टूबर 1987 को एक कानूनी नोटिस भेजा जाना चाहिए, जिसमें ग्रेच्युटी के भुगतान के साथ 10 फीसदी ब्याज का उल्लेख हो. साथ ही संबंधित डॉक्यूमेंट भी अटैच किए जाने चाहिए. अगर नियोक्ता तब भी ग्रेच्युटी का भुगतान नहीं करता है, तो ग्रेच्युटी की वसूली के लिए धारा 8 के तहत मामला दर्ज किया जा सकता है. इसके लिए संबंधित नियंत्रक प्राधिकारी को शिकायत करनी चाहिए. अगर श्रम आयुक्त या नियंत्रक प्राधिकारी आपकी शिकायत से संतुष्ट होते हैं, तो कलेक्टर को नियोक्ता से ग्रेच्युटी की राशि वसूलने का निर्देश दिया जाएगा. इस तरह कर्मचारियों को उनकी देय ग्रेच्युटी मिल सकती है