नई दिल्ली: साल के पहले महीने ने ही मांसाहारियों की तुलना में शाकाहारियों की जेब पर अधिक भार पड़ा है. पिछले साल इसी अवधी के दौरान कम था. जनवरी में घर में बनी शाकाहारी थाली की कीमत 5 फीसदी बढ़ी, जबकि गैर- क्रिसिल एमआई एंड ए रिसर्च के मासिक भोजन थाली की लागत के अनुमान के अनुसार, मांसाहारियों थाली में 13 फीसदी की गिरावट आई है.
प्याज और टमाटर की कीमतों में साल-दर-साल क्रमश- 35 फीसदी और 20 फीसदी की वृद्धि के कारण शाकाहारी थाली की लागत में वृद्धि हुई. चावल (शाकाहारी थाली लागत का 12 फीसदी) और दालों (9 फीसदी) की कीमतें भी क्रमश- 14 फीसदी और 21 फीसदी बढ़ीं.
सरकार ने बढ़ती कीमतों पर लगाई रोक
बता दें कि सरकार ने कुछ दिन पहले ही डीलरों, वितरकों, खुदरा विक्रेताओं और चावल व्यापार के अन्य हितधारकों से साप्ताहिक आधार पर चावल/धान के स्टॉक का खुलासा करने के लिए कहा था. ताकि वे अनाज की बढ़ती कीमत पर अंकुश लगा सकें. अधिकांश भारतीय घरों में इसका सेवन किया जाता है. घर पर थाली तैयार करने की औसत लागत की गणना उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम भारत में प्रचलित इनपुट कीमतों के आधार पर की जाती है.
ब्रॉयलर की कीमतों में आई गिरावट
मासिक बदलाव आम आदमी के खर्च पर प्रभाव को दर्शाता है. आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि थाली की कीमत में बदलाव लाने वाले तत्व (अनाज, दालें, ब्रॉयलर, सब्जियां, मसाले, खाद्य तेल और रसोई गैस) हैं. नॉन-वेज थाली की कीमत में कमी उच्च उत्पादन के बीच ब्रॉयलर की कीमतों में साल-दर-साल 26 फीसदी की गिरावट के कारण हुई.
हालांकि, महीने-दर-महीने आधार पर, शाकाहारी और गैर-शाकाहारी थालियों की कीमत में क्रमश- 6 फीसदी और 8 फीसदी की गिरावट आई, प्याज और टमाटर की कीमतों में महीने-दर-महीने क्रमश- 26 फीसदी और 16 फीसदी की कमी के कारण यह कमी आई. निर्यात पर अंकुश और उत्तरी और पूर्वी राज्यों से ताजा टमाटर की आवक के बीच प्याज की घरेलू आपूर्ति में वृद्धि हुई है.
नॉन-वेज थाली की लागत में तेजी से गिरावट
ब्रॉयलर की कीमतों में महीने-दर-महीने 8 से 10 फीसदी की गिरावट के कारण नॉन-वेज थाली की लागत में तेजी से गिरावट आई, जो लागत का 50 फीसदी है. शाकाहारी थाली में रोटी, सब्जियां (प्याज, टमाटर और आलू), चावल, दाल, दही और सलाद शामिल होता है. नॉन-वेज थाली में वेज थाली के समान ही तत्व होते हैं, केवल दाल को छोड़कर, जिसे चिकन (ब्रॉयलर) से बदल दिया जाता है, जनवरी के लिए ब्रॉयलर की कीमतें अनुमानित हैं. सामग्री का महत्व कमोडिटी की कीमतों में अस्थिरता के आधार पर भिन्न नहीं होता है.
प्याज की कीमतें गिर गई हैं क्योंकि लगभग सभी प्याज उत्पादक राज्यों ने ऐसे समय में खरीफ और देर से आने वाली खरीफ फसलों के बंपर उत्पादन की सूचना दी है जब सरकार ने रसोई के लिए आवश्यक प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है. सरकार द्वारा 7 दिसंबर को प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के बाद से दो महीनों में थोक कीमतों में 80 फीसदी से अधिक की गिरावट आई है