नई दिल्ली: अनिल अंबानी जो एक समय में दुनिया के छठे सबसे अमिर व्यक्ति हुआ करते थे. लेकिन आज उस रिच लिस्ट में उनका नाम नहीं रहा. कई असफलताओं के साथ, सुप्रीम कोर्ट ने 8,000 करोड़ रुपये के आर्बिट्रेशन अवार्ड को रद्द कर दिया है, जो एक फर्म के पक्ष में दिया गया था. उनके समूह ने अनिल अंबानी की किस्मत पलट दी है.
कानूनी लड़ाई
सुप्रीम कोर्ट का फैसला 2008 में रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर की सहायक कंपनी दिल्ली एयरपोर्ट मेट्रो एक्सप्रेस प्राइवेट लिमिटेड (DAMEPL) और दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्प के बीच एक रियायत समझौते से उत्पन्न विवाद से संबंधित है. अदालत ने DAMEPL को पहले से भुगतान की गई सभी रकम वापस करने के लिए कहा है. आर्बिट्रल अवार्ड के अनुसार दिल्ली मेट्रो रेल, कुल लगभग 3,300 करोड़ रुपये है. जवाब में, रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर ने स्टॉक एक्सचेंज फाइलिंग में स्पष्ट किया कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा उस पर कोई दायित्व नहीं लगाया गया है.
कोर्ट ने आर्बिट्रल अवार्ड को रद्द कर दिया और डीएएमईपीएल को आदेश दिया कि वह पुरस्कार के अनुसार दिल्ली मेट्रो रेल द्वारा पूर्व में भुगतान की गई सभी रकम, जो कि 3,300 करोड़ रुपये है, वापस करे. रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर ने कहा कि कोर्ट के आदेश से उस पर कोई दायित्व नहीं डाला गया है.
अनिल और मुकेश अंबानी में झगड़ा
1986 में धीरूभाई को स्ट्रोक का सामना करने के बाद, अनिल ने अपने पिता की देखरेख में रिलायंस के वित्तीय संबंधों का दैनिक प्रबंधन संभाला था. 2002 में अपने पिता की मृत्यु के बाद उन्होंने और बड़े भाई, मुकेश ने रिलायंस कंपनियों का संयुक्त नेतृत्व संभाला. लेकिन जल्द ही उनके बीच नियंत्रण को लेकर झगड़ा हो गया, जिससे विभाजन हो गया - मुकेश को प्रमुख तेल और पेट्रोकेमिकल्स का नियंत्रण मिल गया, जबकि अनिल ने 2005 के विभाजन के माध्यम से दूरसंचार, बिजली उत्पादन और वित्तीय सेवाओं जैसे नए व्यवसायों का नियंत्रण हासिल कर लिया. इसके बाद दोनों भाइयों की किस्मत अलग-अलग हो गई, लेकिन उन्होंने झगड़ा करना बंद नहीं किया.
मुकेश अंबानी ने तेजी से बनाया अपना नाम
मुकेश तेजी से वापस लौटे, उन्होंने तेज 4जी वायरलेस नेटवर्क बनाने के लिए अगले सात वर्षों में 2.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया, जिससे अनिल की रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) सहित प्रतिस्पर्धा खत्म हो गई. 2005 में एडलैब्स और 2008 में ड्रीमवर्क्स के साथ 1.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर के सौदे के साथ मनोरंजन बिजनेस में उनका उद्यम सफल नहीं रहा. बता दें कि साल 2014 में अनिल अंबानी बिजली और इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनियां कर्ज में डूब गईं.
मामला अभी भी कोर्ट में
2019 में, रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) द्वारा एरिक्सन एबी की भारतीय इकाई को 550 करोड़ रुपये का भुगतान करने में विफल रहने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अनिल अंबानी को जेल की धमकी दी थी. अदालत ने उन्हें पैसे खोजने के लिए एक महीने का समय दिया और मुकेश अंबानी ने आवश्यक पैसे देकर अंतिम क्षण में उन्हें जमानत दे दी. 2019 में, तीन चीनी बैंकों ने 680 मिलियन अमेरिकी डॉलर के लोन डिफॉल्ट पर अनिल अंबनाई को लंदन की अदालत में घसीटा. मामला अभी भी कोर्ट में है.