नई दिल्ली: स्विटजरलैंड सरकार ने भारत से मोस्ट फेवर्ड नेशन (MFN) का दर्जा वापस ले लिया. स्विटजरलैंड सरकार के इस फैसले के बाद अब स्विटजरलैंड में भारतीय कंपनियों को 1 जनवरी 2025 से 10 फीसदी टैक्स ज्यादा देना होगा. स्विटजरलैंड ने डबल टैक्स अवॉइडेंस एग्रीमेंट (DTAA) के तहत भारत को मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा दिया था. MFN दोनों देशों के ट्रीटी रिलेशनशिप में एक महत्वपूर्ण बदलाव को दिखाता है. यह कदम नेस्ले मामले में 2023 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उठाया गया है, जिसमें एमएफएन खंड की ऑटोमेटेड यूजिबिलिटी की सीमाओं को स्पष्ट किया गया था.
इससे भारत में स्विस निवेश पर संभावित रूप से असर पड़ेगा और यूरोपीय राष्ट्र में कार्यरत भारतीय कंपनियों पर टैक्स बढ़ जाएगा.
यह कदम भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पिछले वर्ष दिए गए उस फैसले के बाद उठाया गया है, जिसमें कहा गया था कि अगर कोई देश आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (OECD) में शामिल होने से पहले भारत सरकार ने उसके साथ कर ट्रीटी पर साइन किए हों, तो उस देश के लिए MFN सेक्शन ऑटोमेटिक लागू नहीं होता.
भारत ने कोलंबिया और लिथुआनिया के साथ टैक्स ट्रीटी पर साइन किए, जिसके तहत कुछ प्रकार की आय पर टैक्स दरें OECD देशों को दी जाने वाली दरों से कम थीं. बाद में दोनों देश OECD में शामिल हो गए. 2021 में स्विटजरलैंड ने व्याख्या की कि कोलंबिया और लिथुआनिया के OECD में शामिल होने का मतलब है कि समझौते में उल्लिखित 10 फीसदी के बजाय MFN खंड के तहत भारत-स्विट्जरलैंड कर संधि पर लाभांश के लिए 5 फीसदी की दर लागू होगी.