मुंबई: मार्केट रेगुलेटर भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) नें सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. बोर्ड की चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच पर कई तरह के आरोपों से घिरी हैं. इस बीच सेबी के अधिकारियों ने पिछले महीने वित्त मंत्रालय को एक अभूतपूर्व शिकायत की थी. इसमें मार्केट रेगुलेटर की लीडरशिप पर टॉक्सिक वर्क कल्चर को बढ़ावा देने का आरोप लगाया गया है.
इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक 6 अगस्त को लिखे गए लेटर में कहा गया है कि सेबी की बेठकों में चिल्लना, डांटना और सार्वजनिक रुप से अपमानित करने की बात सामने आई है. यह लेटर ऐसे समय में सामने आई है जब बुच पर अडाणी-हिंजनबर्ग मामले की जांच को लेकर हितों के टकराव का आरोप लगा है. साथ ही विपक्ष ने बुच को अपने पुराने एम्प्लॉयर आईसीआईसीआई बैंक से मिले मुआवजे पर भी सवाल खड़े किए हैं.
अधिकारियों ने लेटर में शिकायत की है- जिसका शीर्षक है 'सेबी अधिकारियों की शिकायतें- सम्मान के लिए आह्वान'- कि बैठकों में चिल्लाना, डांटना और सार्वजनिक रूप से अपमानित करना आम बात हो गई है.
सेबी चेयरपर्सन पर लगाए गए आरोप
लेटर में कहा गया है कि नेतृत्व टीम के सदस्यों के प्रति कठोर और गैर-पेशेवर भाषा का उपयोग करती है, उनकी "मिनट-दर-मिनट गतिविधि" पर नजर रखती है और "लक्ष्य बदलते हुए अवास्तविक कार्य लक्ष्य" थोपती है. वित्त मंत्रालय को लिखे पत्र में अधिकारियों ने कहा कि इससे मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ा है और काम-जीवन का संतुलन बिगड़ गया है, क्योंकि प्रबंधन को की गई उनकी शिकायतों पर कोई सुनवाई नहीं हुई.
पत्र के अनुसार कर्मचारी रोबोट नहीं हैं, जिनके पास कोई घुंडी है जिसे घुमाकर कोई आउटपुट बढ़ा सकता है.