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RBI ने छोटे किसानों को दी राहत, कृषि लोन की सीमा बढ़ाकर 2 लाख रुपये की - COLLATERAL FOR AGRICULTURAL LOAN

आरबीआई ने किसानों के लिए कोलेटरल फ्री लोन की सीमा बढ़ाकर 2 लाख रुपये कर दी.

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लोन (Getty Image)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Dec 6, 2024, 10:57 AM IST

मुंबई: गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता वाली आरबीआई मौद्रिक नीति समिति ने रेपो दर को 6.5 फीसदी पर स्थिर रखा है. आरबीआई ने कृषि लोन के लिए कोलेटरल लिमिट को प्रति उधारकर्ता 1.6 लाख करोड़ रुपये से बढ़ाकर 2 लाख करोड़ रुपये करने का निर्णय लिया है. इसका उद्देश्य किसानों को अधिक वित्तीय सहायता और स्थिरता देना है. साथ ही कृषि क्षेत्र में अधिक लोन उपलब्धता की सुविधा देना है.

शक्तिकांत दास ने कहा कि कोलेटरल-फ्री कृषि लोन की सीमा को अंतिम बार 2019 में संशोधित किया गया था. कृषि इनपुट लागत और समग्र महंगाई में बढ़ोतरी को ध्यान में रखते हुए प्रति उधारकर्ता कोलेटरल-फ्री कृषि लोन की सीमा को 1.6 लाख रुपये से बढ़ाकर 2 लाख रुपये करने का निर्णय लिया गया है. इससे छोटे और सीमांत किसानों के लिए लोन उपलब्धता में और बढ़ोतरी होगी.

दिसंबर 2024 के लिए द्विमासिक मौद्रिक नीति वक्तव्य पेश करते हुए, RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि कोलेटरल-फ्री कृषि लोन की सीमा को अंतिम बार 2019 में संशोधित किया गया था. कृषि इनपुट लागत और समग्र महंगाई में बढ़ोतरी को ध्यान में रखते हुए फैसला लिया गया है.

इससे कृषि क्षेत्र के लिए अधिक लोन उपलब्धता संभव होगी. इससे बैंकों को छोटे और सीमांत किसानों की श्रेणी में प्राथमिकता क्षेत्र लोन (PSL) आवश्यकताओं को पूरा करने में भी मदद मिलेगी, जिससे यह बैंकिंग क्षेत्र के लिए भी एक सकारात्मक कदम है.

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शक्तिकांत दास ने कहा कि कोलेटरल-फ्री कृषि लोन की सीमा को अंतिम बार 2019 में संशोधित किया गया था. कृषि इनपुट लागत और समग्र महंगाई में बढ़ोतरी को ध्यान में रखते हुए प्रति उधारकर्ता कोलेटरल-फ्री कृषि लोन की सीमा को 1.6 लाख रुपये से बढ़ाकर 2 लाख रुपये करने का निर्णय लिया गया है. इससे छोटे और सीमांत किसानों के लिए लोन उपलब्धता में और बढ़ोतरी होगी.

दिसंबर 2024 के लिए द्विमासिक मौद्रिक नीति वक्तव्य पेश करते हुए, RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि कोलेटरल-फ्री कृषि लोन की सीमा को अंतिम बार 2019 में संशोधित किया गया था. कृषि इनपुट लागत और समग्र महंगाई में बढ़ोतरी को ध्यान में रखते हुए फैसला लिया गया है.

इससे कृषि क्षेत्र के लिए अधिक लोन उपलब्धता संभव होगी. इससे बैंकों को छोटे और सीमांत किसानों की श्रेणी में प्राथमिकता क्षेत्र लोन (PSL) आवश्यकताओं को पूरा करने में भी मदद मिलेगी, जिससे यह बैंकिंग क्षेत्र के लिए भी एक सकारात्मक कदम है.

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