नई दिल्ली : इन दिनों पेटीएम का जिक्र हर किसी की जुबान पर है. आरबीआई द्वारा लगाए गए प्रतिबंध के बाद से ही पेटीएम के शेयरों के भाव लगातार गिर रहे हैं. पेटीएम की पैरेंट कंपनी वन 97 कम्युनिकेशंस के शेयरों ने 27 महीनों में अपने मूल्य का 80 फीसदी या बाजार पूंजीकरण में 1.17 लाख करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान किया है. अब पेटीएम के स्टॉक अपने आईपीओ प्राइस 2,150 रुपये से 84 फीसदी कम है.
आईपीओ प्राइस से 80 फीसदी नीचे
पेटीएम के शेयर आरबीआई के प्रतिबंध के बाद से लगातार गिर रहे हैं. वैसे, आईपीओ लाने के बाद से ही कंपनी के शेयरों में गिरावट देखने को मिली है. पिछले 6 महीने में पेटीएम के शेयर 60 फीसदी से अधिक गिरे हैं. आरबीआई के इस कदम से पेटीएम की साख भी दांव पर लग गए है. निवेशकों के बीच चिंता बढ़ गई है. पेटीएम ने जब अपना आईपीओ जारी किया था तो वह तब भारत का सबसे बड़े आईपीओ के तौर पर उभरा था.
पेटीएम ने जब आईपीओ पेश किया था, उस वक्त प्राइस को 2,150 रुपये रखा था. लेकिन इसकी लिस्टिंग 1,950 रुपये पर हुई थी. कंपनी ने 18,300 करोड़ रुपये का आईपीओ जारी किया था. कंपनी के आईपीओ को लोगों ने खूब सब्सक्राइब भी किया और आईपीओ 1,950 रुपये पर लिस्ट हुआ. लेकिन अब पेटीएम के शेयर प्राइस 341.30 रुपये पर हैं. उदहारण के तौर पर देखें तो अगर किसी निवेशक ने कंपनी के आईपीओ प्राइस 2,150 का एक स्टॉक खरीदा होगा, तो आज के समय उसके शेयर की कीमत 341 रुपये है, जो लगभग 80 से 85 फीसदी का नुकसान है.
पिछले 11 दिनों में साफ हुए 30,000 करोड़ रुपये
आरबीआई की ओर से लगाए गए प्रतिबंध के बाद से कंपनी के शेयरों में गिरावट दर्ज की जा रही है. इस गिरावट के वजह से निवेसकों को काफी नुकसान झेलना पड़ रहा है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पेटीएम ने पिछले 11 कारोबारी दिनों में लगभग 30,000 करोड़ रुपये या अपने मूल्य का 57 फीसदी खो दिया है. बता दें कि पेटीएम के स्टॉक का 52 सप्ताह का निचला मूल्य 325.05000 है और इसका 52 सप्ताह का उच्च मूल्य 998.30000 है.
पेटीएम के संस्थापक की हिली साख
पेटीएम पेमेंट्स बैंक एक विशेष बैंकिंग इकाई है, जिसने 2015 में अपना लाइसेंस प्राप्त किया था, जिस वर्ष भारत में भुगतान बैंक पेश किए गए थे, और नवंबर 2017 में परिचालन शुरू किया था. भुगतान बैंक 200,000 भारतीय रुपये (2,400 डॉलर) तक की छोटी जमा स्वीकार कर सकते हैं. लेकिन उन्हें उधार देने की अनुमति नहीं है. जमा को सरकारी प्रतिभूतियों में या अन्य बैंकों में जमा में रखा जाना चाहिए.
पेटीएम की मूल कंपनी वन97 कम्युनिकेशंस (ओसीएल) के पास पीपीबीएल में 49 फीसदी इक्विटी है, जबकि बहुमत के पेटीएम के संस्थापक विजय शेखर शर्मा के पास बाकी हिस्सेदारी है.
मैक्वेरी कैपिटल के अनुसार, बैंक में 330 मिलियन वॉलेट खाते हैं, जिसका अर्थ है कि उनमें रखा गया पैसा भुगतान बैंक में जमा किया जाता है. डिजिटल वॉलेट, जो ग्राहकों को छोटे खुदरा भुगतान के लिए पैसे जमा करने की सुविधा देते हैं, भारत में रोजमर्रा के भुगतान के लिए लोकप्रिय हैं.
आरबीआई ने लगाई रोक
2010 में स्थापित, पेटीएम तेजी से मोबाइल वॉलेट और भुगतान प्लेटफॉर्म के रूप में प्रमुखता से उभरा है. 333 मिलियन से अधिक पंजीकृत उपयोगकर्ताओं (सितंबर 2023 तक) के साथ और मासिक रूप से 1.5 बिलियन से अधिक लेनदेन संसाधित करते हुए, यह भारत के डिजिटल भुगतान परिदृश्य में अग्रणी बन गया.
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने समूह के पेटीएम पेमेंट्स बैंक (PPBL) को 15 मार्च के बाद अपनी अधिकांश गतिविधियों को रोकने के लिए कहा है. इसमें जमा लेना, क्रेडिट लेनदेन करना और ग्राहकों को अपने खातों में टॉप-अप करने की अनुमति देना शामिल है.