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रतन टाटा ने बनाया एक ऐसा नियम जिसके कारण नोएल टाटा नहीं बन सकते टाटा संस के चेयरमैन - NOEL TATA CANNOT CHAIRMAN TATA SONS

दिग्गज उद्योगपति रतन टाटा के सौतेले भाई नोएल टाटा को टाटा संस के चेयरमैन नहीं बन सकते, जो समूह की प्रमुख कंपनी है. जानें क्यों?

Noel Tata
नोएल टाटा (IANS Photo)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 24, 2024, 3:56 PM IST

नई दिल्ली: दिग्गज उद्योगपति रतन टाटा के निधन के बाद उनके सौतेले भाई नोएल टाटा को टाटा ट्रस्ट्स का चेयरमैन नियुक्त किया गया. इससे यह संकेत मिलता है कि अब टाटा समूह उनके नियंत्रण में रहेगा. हालांकि, नोएल टाटा कभी भी टाटा संस के चेयरमैन नहीं बन सकते, जो समूह की प्रमुख कंपनी है और जो एक दर्जन से अधिक टाटा कंपनियों को नियंत्रित करती है.

नोएल टाटा क्यों नहीं बने टाटा संस के चेयरमैन?
यह पहली बार नहीं है जब नोएल टाटा को टाटा संस का चेयरमैन बनने में बाधाओं का सामना करना पड़ा है. करीब 13 साल पहले भी ऐसी ही स्थिति पैदा हुई थी, जब वह शीर्ष पद हासिल करने में असमर्थ रहे थे. द मिंंट के अनुसार, 2011 में जब रतन टाटा के इस्तीफे के बाद नोएल टाटा को टाटा संस का चेयरमैन बनाए जाने की चर्चा चल रही थी, तो यह पद नोएल टाटा के साले साइरस मिस्त्री को दे दिया गया.

2019 में जब नोएल टाटा को सर रतन टाटा ट्रस्ट का ट्रस्टी बनाया गया, तो उन्हें टाटा संस का चेयरमैन बनाए जाने की चर्चा हुई. इसी तरह, 2022 में जब वे सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट के ट्रस्टी बने, तो उन्हें फिर से टाटा संस का चेयरमैन नहीं दिया गया.

नोएल टाटा क्यों नहीं बन सकते टाटा संस के चेयरमैन?
2022 में रतन टाटा के नेतृत्व में टाटा समूह ने हितों के टकराव को रोकने के लिए एक नियम पारित किया. टाटा संस ने अपने आर्टिकल्स ऑफ एसोसिएशन में संशोधन करके किसी भी एक व्यक्ति को एक साथ टाटा ट्रस्ट और टाटा संस दोनों का चेयरमैन बनने से रोक दिया. चूंकि नोएल टाटा वर्तमान में टाटा ट्रस्ट के अध्यक्ष हैं. इसलिए उन्हें टाटा संस का अध्यक्ष नियुक्त नहीं किया जा सकता.

बता दें कि रतन टाटा टाटा परिवार के अंतिम सदस्य थे, जिन्होंने एक ही समय में दोनों पदों को संभाला था.

टाटा संस सभी टाटा समूह कंपनियों की होल्डिंग कंपनी है और उनमें महत्वपूर्ण हिस्सेदारी रखती है. टाटा ट्रस्ट्स के पास टाटा संस में 66 फीसदी हिस्सेदारी है, जिसका मतलब है कि टाटा ट्रस्ट्स के अध्यक्ष प्रभावी रूप से समूह को नियंत्रित करते हैं. हालांकि, समूह की कंपनियों को सीधे प्रभावित करने की पावर टाटा संस के अध्यक्ष के पास है. इसलिए, रतन टाटा ने एक व्यक्ति को एक साथ दोनों पदों पर रहने से प्रतिबंधित करने का नियम बनाया.

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नई दिल्ली: दिग्गज उद्योगपति रतन टाटा के निधन के बाद उनके सौतेले भाई नोएल टाटा को टाटा ट्रस्ट्स का चेयरमैन नियुक्त किया गया. इससे यह संकेत मिलता है कि अब टाटा समूह उनके नियंत्रण में रहेगा. हालांकि, नोएल टाटा कभी भी टाटा संस के चेयरमैन नहीं बन सकते, जो समूह की प्रमुख कंपनी है और जो एक दर्जन से अधिक टाटा कंपनियों को नियंत्रित करती है.

नोएल टाटा क्यों नहीं बने टाटा संस के चेयरमैन?
यह पहली बार नहीं है जब नोएल टाटा को टाटा संस का चेयरमैन बनने में बाधाओं का सामना करना पड़ा है. करीब 13 साल पहले भी ऐसी ही स्थिति पैदा हुई थी, जब वह शीर्ष पद हासिल करने में असमर्थ रहे थे. द मिंंट के अनुसार, 2011 में जब रतन टाटा के इस्तीफे के बाद नोएल टाटा को टाटा संस का चेयरमैन बनाए जाने की चर्चा चल रही थी, तो यह पद नोएल टाटा के साले साइरस मिस्त्री को दे दिया गया.

2019 में जब नोएल टाटा को सर रतन टाटा ट्रस्ट का ट्रस्टी बनाया गया, तो उन्हें टाटा संस का चेयरमैन बनाए जाने की चर्चा हुई. इसी तरह, 2022 में जब वे सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट के ट्रस्टी बने, तो उन्हें फिर से टाटा संस का चेयरमैन नहीं दिया गया.

नोएल टाटा क्यों नहीं बन सकते टाटा संस के चेयरमैन?
2022 में रतन टाटा के नेतृत्व में टाटा समूह ने हितों के टकराव को रोकने के लिए एक नियम पारित किया. टाटा संस ने अपने आर्टिकल्स ऑफ एसोसिएशन में संशोधन करके किसी भी एक व्यक्ति को एक साथ टाटा ट्रस्ट और टाटा संस दोनों का चेयरमैन बनने से रोक दिया. चूंकि नोएल टाटा वर्तमान में टाटा ट्रस्ट के अध्यक्ष हैं. इसलिए उन्हें टाटा संस का अध्यक्ष नियुक्त नहीं किया जा सकता.

बता दें कि रतन टाटा टाटा परिवार के अंतिम सदस्य थे, जिन्होंने एक ही समय में दोनों पदों को संभाला था.

टाटा संस सभी टाटा समूह कंपनियों की होल्डिंग कंपनी है और उनमें महत्वपूर्ण हिस्सेदारी रखती है. टाटा ट्रस्ट्स के पास टाटा संस में 66 फीसदी हिस्सेदारी है, जिसका मतलब है कि टाटा ट्रस्ट्स के अध्यक्ष प्रभावी रूप से समूह को नियंत्रित करते हैं. हालांकि, समूह की कंपनियों को सीधे प्रभावित करने की पावर टाटा संस के अध्यक्ष के पास है. इसलिए, रतन टाटा ने एक व्यक्ति को एक साथ दोनों पदों पर रहने से प्रतिबंधित करने का नियम बनाया.

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