नई दिल्ली: इनकम टैक्स रिफंड का इंतजार करना एक परेशान करने वाला अनुभव हो सकता है. लोग अपना रिटर्न दाखिल करने के बाद, देरी का सामना करने पर अपने पैसे वापस पाने की उम्मीद में बैठे है.
आज हम इस खबर में आयकर रिफंड में देरी के पीछे के सामान्य कारणों को जानते है. अगर आपका आयकर रिफंड अभी भी लंबित है, तो देरी के कई कारण हो सकते हैं.
आयकर रिफंड में देरी के कारण
- ई-वेरिफिकेशन पेंडिंग- यह सबसे आम कारण है। जब तक आपका ITR ई-सत्यापित नहीं हो जाता, तब तक प्रोसेसिंग शुरू नहीं हो सकती.
- देरी से फिजिकल वेरिफिकेशन- अगर आप ITR-V को सेंट्रलाइज्ड प्रोसेसिंग सेंटर (CPC), बेंगलुरु भेजकर भौतिक सत्यापन का विकल्प चुनते हैं, तो इस प्रक्रिया में कोई भी देरी रिफंड में देरी कर सकती है.
- प्रोसेसिंग टाइम- आयकर विभाग को ई-सत्यापन के बाद रिटर्न को प्रोसेस करने में आमतौर पर 20-45 दिन लगते हैं। रिटर्न की अधिक मात्रा के कारण देरी हो सकती है.
- ITR में डिस्क्रिपन्सीस- अगर आयकर विभाग को आपके रिटर्न में डिस्क्रिपन्सीस मिलती हैं, तो यह रिफंड में देरी कर सकता है. डिस्क्रिपन्सीस को स्पष्ट करने के लिए आपको नोटिस मिल सकता है.
- बैंक खाते से जुड़ी समस्याएं- गलत बैंक खाते का डिटेल्स, बंद खाते या खाता होल्ड होने की वजह से रिफंड क्रेडिट नहीं हो सकता.
- टैक्स बकाया- अगर आपका कर बकाया है, तो आपका रिफंड उसमें समायोजित किया जा सकता है. अगर आयकर विभाग को चुकाए गए टैक्स और घोषित टैक्स के बीच डिस्क्रिपन्सीस मिलती हैं, तो इससे रिफंड में देरी हो सकती है.
- सिस्टम में गलती- कभी-कभी, आयकर विभाग के सिस्टम या आपके बैंक के सिस्टम में तकनीकी समस्याओं की वजह से देरी हो सकती है.
- पोर्टल अपडेट- आईटी पोर्टल में अपडेट या बदलाव की वजह से भी प्रोसेसिंग में देरी हो सकती है.
- रिफंड रीइश्यू रिक्वेस्ट- अगर रिफंड जारी हो गया है, लेकिन क्रेडिट नहीं हुआ है, तो आपको रीइश्यू रिक्वेस्ट करनी पड़ सकती है.
रिफंड स्टेटस कैसे चेक करें
आप आयकर विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर अपने रिफंड का स्टेटस चेक कर सकते हैं.