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मोदी सरकार करने जा रही है दुनिया की सबसे बड़ी चिप मेकर कंपनी से डील, जानिए क्या है इरादा - Nvidia deal

Nvidia deal- भारत स्टार्टअप्स को सब्सिडी वाली यूनिट की पेशकश करने के लिए एआई मिशन के तहत जीपीयू के लिए एनवीडिया डील की योजना बना रहा है. फिलहाल प्लानिंग शुरूआती चरण में है और चुनाव के बाद निर्णय होने की संभावना है. पढ़ें पूरी खबर...

Nvidia deal
एनवीडिया डील
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Apr 17, 2024, 10:07 AM IST

नई दिल्ली: भारत अमेरिकी मेकर से ग्राफिक्स प्रोसेसिंग यूनिट (जीपीयू) प्राप्त करने के लिए एनवीडिया के साथ एक डील कर सकता है. इसके साथ ही भारत 10,000 करोड़ रुपये के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मिशन के तहत स्थानीय स्टार्टअप, रिसर्च, शैक्षणिक संस्थानों और अन्य यूजर को डिस्काउंट रेट पर पेश कर सकता है.

जानिए क्या है मामला?
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक प्लानिंग फिलहाल शुरूआती चरण में है और चुनाव के बाद निर्णय होने की संभावना है. चूंकि एनवीडिया जीपीयू बाजार में एक प्रमुख हिस्सेदारी को कंट्रोल करता है. इसलिए यह भारत सरकार के लिए स्वाभाविक पसंद है.

Nvidia deal
एनवीडिया डील

बता दें कि विश्व स्तर पर, एआई कंप्यूट इंफ्रास्ट्रक्चर स्थापित करना उन देशों के लिए एक रणनीतिक मुद्दा बन गया है, जो अपनी कंपनियों के साथ-साथ राष्ट्रीय सुरक्षा जरूरतों के लिए कंप्यूट क्षमता सुरक्षित करने के लिए अरबों डॉलर खर्च कर रहे हैं. जैसे की चीन और अमेरिका ने पहले ही एनवीडिया की जीपीयू रेंज का अधिग्रहण शुरू कर दिया है, जिसमें शक्तिशाली एच100 चिप्स भी शामिल हैं.

भारत दो तरीकों से कर रहा विचार
भारत अपनी कंपनियों को एआई कंप्यूट इंफ्रास्ट्रक्चर देने के दो संभावित तरीकों पर विचार कर रहा है, क्योंकि जीपीयू एक बहुत महंगा और दुर्लभ संसाधन बन गया है. जबकि एक रेंट-एंड-सबलेटिंग है, जहां इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय एनवीडिया से जीपीयू का अधिग्रहण करेगा. दूसरा एक मार्केटप्लेस मॉडल है जहां सरकार कंपनियों कोसप्लायर के साथ किराए पर लेने या सबलेटिंग डील करने के लिए प्रोत्साहित करेगी और फिर उन्हें प्रोडक्ट-लिंक्ड प्रोत्साहन (पीएलआई) योजनाओं के तहत प्रोत्साहन देगी.

सरकारी हस्तक्षेप की आवश्यकता इसलिए उत्पन्न होती है क्योंकि एनवीडिया की नवीनतम पेशकश ब्लैकवेल जैसे जीपीयू बेहद महंगे हैं और इनकी प्रति यूनिट लागत 40,000 डॉलर तक होगी.

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जानिए क्या है मामला?
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक प्लानिंग फिलहाल शुरूआती चरण में है और चुनाव के बाद निर्णय होने की संभावना है. चूंकि एनवीडिया जीपीयू बाजार में एक प्रमुख हिस्सेदारी को कंट्रोल करता है. इसलिए यह भारत सरकार के लिए स्वाभाविक पसंद है.

Nvidia deal
एनवीडिया डील

बता दें कि विश्व स्तर पर, एआई कंप्यूट इंफ्रास्ट्रक्चर स्थापित करना उन देशों के लिए एक रणनीतिक मुद्दा बन गया है, जो अपनी कंपनियों के साथ-साथ राष्ट्रीय सुरक्षा जरूरतों के लिए कंप्यूट क्षमता सुरक्षित करने के लिए अरबों डॉलर खर्च कर रहे हैं. जैसे की चीन और अमेरिका ने पहले ही एनवीडिया की जीपीयू रेंज का अधिग्रहण शुरू कर दिया है, जिसमें शक्तिशाली एच100 चिप्स भी शामिल हैं.

भारत दो तरीकों से कर रहा विचार
भारत अपनी कंपनियों को एआई कंप्यूट इंफ्रास्ट्रक्चर देने के दो संभावित तरीकों पर विचार कर रहा है, क्योंकि जीपीयू एक बहुत महंगा और दुर्लभ संसाधन बन गया है. जबकि एक रेंट-एंड-सबलेटिंग है, जहां इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय एनवीडिया से जीपीयू का अधिग्रहण करेगा. दूसरा एक मार्केटप्लेस मॉडल है जहां सरकार कंपनियों कोसप्लायर के साथ किराए पर लेने या सबलेटिंग डील करने के लिए प्रोत्साहित करेगी और फिर उन्हें प्रोडक्ट-लिंक्ड प्रोत्साहन (पीएलआई) योजनाओं के तहत प्रोत्साहन देगी.

सरकारी हस्तक्षेप की आवश्यकता इसलिए उत्पन्न होती है क्योंकि एनवीडिया की नवीनतम पेशकश ब्लैकवेल जैसे जीपीयू बेहद महंगे हैं और इनकी प्रति यूनिट लागत 40,000 डॉलर तक होगी.

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