नई दिल्ली: वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स में भारत दो पायदान नीचे खिसककर 129वें स्थान पर आ गया है. वहीं, आइसलैंड ने रैंकिंग में अपना टॉप स्थान बरकरार रखा है. दक्षिण एशिया में, भारत बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका और भूटान के बाद पांचवें स्थान पर रहा, जबकि पाकिस्तान अंतिम स्थान पर रहा. वैश्विक स्तर पर, सूडान 146 देशों के सूचकांक में अंतिम स्थान पर रहा, जबकि पाकिस्तान तीन पायदान नीचे खिसककर 145वें स्थान पर आ गया है.
भारत बांग्लादेश, सूडान, ईरान, पाकिस्तान और मोरक्को के साथ आर्थिक समानता के निम्नतम स्तर वाली अर्थव्यवस्थाओं में शामिल है. इन सभी ने अनुमानित इनकम में 30 फीसदी से कम जेंडर इक्वलिटी दर्ज की गई है. भारतीय महिलाएं पुरुषों की कमाई के 100 रुपये पर 40 रुपये कमाती है.
भारत का कैसा रहा परफॉर्मेंस?
हालांकि, सेकेंडरी एजुकेशन में नामांकन के मामले में भारत ने सबसे अच्छी जेंडर इक्वलिटी दिखाई है. जबकि महिलाओं के राजनीतिक सशक्तीकरण पर इसने वैश्विक स्तर पर 65वें स्थान पर अच्छा प्रदर्शन किया. पिछले 50 सालों में महिला/पुरुष राष्ट्राध्यक्षों के साथ वर्षों की संख्या में समानता के संबंध में, भारत 10वें स्थान पर रहा.
140 करोड़ से अधिक की आबादी के साथ, भारत ने 2024 में अपने जेंडर गैप का 64.1 फीसदी कम कर लिया है. पिछले साल 127वें स्थान से दो पायदान नीचे खिसकने का मुख्य कारण 'शैक्षणिक प्राप्ति' और 'राजनीतिक सशक्तिकरण' जैसे मापदंडों में मामूली गिरावट है, जबकि 'आर्थिक भागीदारी' और 'अवसर' के स्कोर में थोड़ा सुधार हुआ है.
WEF ने कहा कि भारत का आर्थिक समानता स्कोर पिछले चार वर्षों से ऊपर की ओर बढ़ रहा है. राजनीतिक सशक्तिकरण उपसूचकांक में, भारत राष्ट्राध्यक्ष संकेतक पर शीर्ष-10 में रहा, लेकिन संघीय स्तर पर, मंत्री पदों (6.9 फीसदी) और संसद (17.2 फीसदी) में महिलाओं के प्रतिनिधित्व के लिए इसके स्कोर अपेक्षाकृत कम हैं. भारतीय महिलाएं पुरुषों की कमाई के 100 रुपये पर 40 रुपये कमाती है.
जेंडर गैप को भरने में लगेंगे 134 साल
WEF ने कहा कि दुनिया ने जेंडर गैप का 68.5 फीसदी कम कर दिया है. लेकिन वर्तमान गति से पूर्ण लिंग समानता प्राप्त करने में 134 साल और लगेंगे, जो पांच पीढ़ियों के बराबर है. पिछले साल से जेंडर डिफरेंसेस 0.1 फीसदी अंक कम हुआ है.