नई दिल्ली: आरबीआई के एक हालिया दस्तावेज के अनुसार, भारत में उत्पादन वृद्धि में सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) का योगदान 1992-2023 के दौरान 13.2 प्रतिशत हो गया है. जबकि यह 1981-1990 में 5.0 फीसदी था. इन दस्तावेजों में कहा गया है कि औसतन, आईसीटी क्षेत्र की उत्पादकता पूरी सैंपल अवधि के दौरान गैर-आईसीटी क्षेत्र की तुलना में बेहतर रही. वैश्विक ट्रेंड का अनुसरण करते हुए, भारत भी तेजी से डिजिटलीकरण कर रहा है, और कोरोना महामारी के बाद भारत की आर्थिक वृद्धि पर डिजिटल वस्तुओं और सेवाओं का प्रभाव अधिक स्पष्ट हो गया है.
डिजिटल प्रौद्योगिकियां व्यवसायों के परिचालन को व्यवस्थित करके, ग्राहकों और आपूर्तिकर्ताओं के साथ संचार से जुड़े खर्चों को कम करके नवप्रवर्तन करने की सुविधा देती हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि जब आईसीटी का उपयोग उत्पादन प्रक्रिया में इनपुट के रूप में किया जाता है, तो यह गहनता के माध्यम से उत्पादकता में भी सुधार करता है.
कंपनियां आईसीटी के एसेट्स के स्वामित्व की जगह इसकी सेवाएं प्राप्त करके अपने खर्ज और ऊर्जा, मेहनत और रखरखाव जैसी लागतों को कम कर सकती हैं. आरबीआई के दस्तावेज में आगे यह भी कहा गया है कि अर्थव्यवस्था के समग्र उत्पादकता प्रदर्शन को अंततः इन बचतों से लाभ मिल सकता है, क्योंकि इससे संसाधन आवंटन में सुधार होगा और दक्षता बढ़ेगी.
बता दें कि इस साल भारत में उद्यम आईसीटी बाजार 17.1 प्रतिशत की मजबूत चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़ने का अनुमान लगाया गया है. अनुमानों के मुताबिक आईटीसी क्षेत्र की वृद्धि 2023 में 161.3 बिलियन डॉलर से बढ़कर 2028 में 354.6 बिलियन डॉलर हो जाएगी.
डेटा और एनालिटिक्स क्षेत्र की अग्रणी कंपनी ग्लोबल डाटा का अनुमान है कि राजस्व का यह अवसर व्यवसायों और सरकार द्वारा की जा रही डिजिटल परिवर्तन पहलों से प्रेरित है. यह देश में उद्यमों के बीच देखी गई सकारात्मक आईसीटी निवेश के लिए अनुकूल है.
राजस्व योगदान के मामले में भारत में आईसीटी बाजार के लिए बीएफएसआई क्षेत्र सबसे बड़ा अंतिम उपयोग वर्टिकल सेगमेंट होगा, और पूर्वानुमानित अवधि में ऐसा ही रहेगा. 2023-2028 के लिए अनुमानित कुल संचयी राजस्व में इस सेगमेंट की हिस्सेदारी 11.3 प्रतिशत रहने की उम्मीद है.