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पुरानी गाड़ी की सवारी होगी महंगी...GST बैठक में हो सकता है बड़ा फैसला - GST COUNCIL MEET

पुराने और यूज इलेक्ट्रिक वाहनों पर लगने वाले जीएसटी को बढ़ाने की सिफारिश की गई है.

GST Council Meet
प्रतीकात्मक फोटो (Getty Image)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : 2 hours ago

नई दिल्ली: पुराने और यूज इलेक्ट्रिक वाहनों के रिसेल बाजार को प्रभावित करने वाला फैसला आ सकता है. जीएसटी परिषद की फिटमेंट समिति ने ऐसे वाहनों पर माल और सेवा कर (जीएसटी) की दर 12 फीसदी से बढ़ाकर 18 फीसदी करने की सिफारिश की है.

यह प्रस्तावित बढ़ोतरी पुराने और यूज इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) पर भी लागू होगी, जिन पर वर्तमान में अधिसूचना संख्या 08/2018-केन्द्रीय कर (दर), दिनांक 25 जनवरी, 2018 के तहत कम 12 फीसदी की दर से टैक्स लगाया जाता है.

फिलहाल पुराने और इस्तेमाल किए गए वाहनों पर आपूर्तिकर्ता के मार्जिन के आधार पर टैक्स लगाया जाता है, जिससे प्रभावी कर भार रिलेटवली कम हो जाता है.

जीएसटी रेट

  • 1200 सीसी या उससे अधिक की इंजन क्षमता और 4000 मिमी या उससे अधिक की लंबाई वाले पेट्रोल, एलपीजी या सीएनजी से चलने वाले वाहनों के लिए 18 फीसदी लगता है.
  • 1500 सीसी या उससे अधिक की इंजन क्षमता और 4000 मिमी या उससे अधिक की लंबाई वाले डीजल वाहनों के लिए 18 फीसदी लगता है.
  • 1500 सीसी से अधिक इंजन क्षमता वाले स्पोर्ट्स यूटिलिटी वाहनों (एसयूवी) के लिए 18 फीसदी जीएसटी लगता है.
  • ईवी सहित अन्य सभी वाहनों पर 12 फीसदी जीएसटी लगता है.

सेकेंड हैंड वाहनों की मरम्मत और रखरखाव के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले इनपुट पार्ट्स और सेवाओं पर पहले से ही 18 फीसदी जीएसटी लगता है, जिससे पुरानी कारों के बाजार में परिचालन लागत बढ़ जाती है. अगर जीएसटी दर में बढ़ोतरी लागू की जाती है, तो उद्योग को सेकेंड हैंड वाहनों की बिक्री पर कुल मिलाकर हाई टैक्सेशन का सामना करना पड़ सकता है, जिससे इस सेगमेंट में मांग में कमी आ सकती है.

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यह प्रस्तावित बढ़ोतरी पुराने और यूज इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) पर भी लागू होगी, जिन पर वर्तमान में अधिसूचना संख्या 08/2018-केन्द्रीय कर (दर), दिनांक 25 जनवरी, 2018 के तहत कम 12 फीसदी की दर से टैक्स लगाया जाता है.

फिलहाल पुराने और इस्तेमाल किए गए वाहनों पर आपूर्तिकर्ता के मार्जिन के आधार पर टैक्स लगाया जाता है, जिससे प्रभावी कर भार रिलेटवली कम हो जाता है.

जीएसटी रेट

  • 1200 सीसी या उससे अधिक की इंजन क्षमता और 4000 मिमी या उससे अधिक की लंबाई वाले पेट्रोल, एलपीजी या सीएनजी से चलने वाले वाहनों के लिए 18 फीसदी लगता है.
  • 1500 सीसी या उससे अधिक की इंजन क्षमता और 4000 मिमी या उससे अधिक की लंबाई वाले डीजल वाहनों के लिए 18 फीसदी लगता है.
  • 1500 सीसी से अधिक इंजन क्षमता वाले स्पोर्ट्स यूटिलिटी वाहनों (एसयूवी) के लिए 18 फीसदी जीएसटी लगता है.
  • ईवी सहित अन्य सभी वाहनों पर 12 फीसदी जीएसटी लगता है.

सेकेंड हैंड वाहनों की मरम्मत और रखरखाव के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले इनपुट पार्ट्स और सेवाओं पर पहले से ही 18 फीसदी जीएसटी लगता है, जिससे पुरानी कारों के बाजार में परिचालन लागत बढ़ जाती है. अगर जीएसटी दर में बढ़ोतरी लागू की जाती है, तो उद्योग को सेकेंड हैंड वाहनों की बिक्री पर कुल मिलाकर हाई टैक्सेशन का सामना करना पड़ सकता है, जिससे इस सेगमेंट में मांग में कमी आ सकती है.

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