हैदराबाद : पिछले कुछ महीनों में सोने की कीमतों में तेजी देखने को मिली है, फिर भी रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने जो आकंड़े जारी किए हैं, उसके अनुसार देश का स्वर्ण रिजर्व ऑल टाइम हाई पर है. अनिश्चितता और भू-राजनीतिक तनाव के बीच सोना सबसे सुरक्षित निवेश माना जाता है. ये अलग बात है कि घरेलू स्तर पर बात करें तो फरवरी महीने में सोने की डिमांड में बहुत ज्यादा वृद्धि नहीं देखी गई.
रिजर्व बैंक ने फरवरी महीने में 4.7 टन अतिरिक्त गोल्ड संग्रहित किया है. इस समय गोल्ड रिजर्व 817 टन का लेवल प्राप्त कर चुका है. रिटेल निवेशकों ने भी एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) के माध्यम से सोना में अपना निवेश बढ़ाया है.
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (डब्ल्यूजीसी) के अनुसार, भारतीय गोल्ड ईटीएफ में फरवरी में 93.3 मिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश हुआ, जो पिछले छह महीनों में सबसे अधिक मंथली इंफ्लो है.
डब्ल्यूजीसी को उम्मीद है कि 2024 में केंद्रीय बैंक में सोने की मांग बढ़ने वाली है. वैसे भी 2010 से केंद्रीय बैंकों, विशेष रूप से उभरते बाजारों में, ने दिखाया है कि उनके पास सोना संचय को लेकर एक दीर्घकालिक रणनीति है.
अब सवाल ये है कि केंद्रीय बैंक अपने भंडार में सोना लगातार क्यों बढ़ा रहे हैं. इस संबंध में वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के सेंट्रल बैंक का सर्वे बहुत कुछ कहता है. पिछले साल दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों ने संकट के समय में प्रतिक्रिया, विविधीकरण विशेषताओं और स्टोर-ऑफ-वैल्यू क्रेडेंशियल्स में सोने के मूल्य पर बहुत जोर दिया था. 2024 भी कुछ अलग नहीं होने वाला है. सोने में निवेश की प्रासंगिकता पहले की तरह ही है.
भारत में, घरेलू सोने की कीमतें अब तक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गईं हैं. मार्च की शुरुआत में 66,529 रुपये प्रति 10 ग्राम तक पहुंच गईं थी. यह अब तक 4% अधिक है. अमेरिका में यही छह फीसदी अधिक है. ऐसा रुपये में मजबूती की वजह से हुआ है.
सोने की कीमत में उछाल ने देश में उपभोक्ता मांग को प्रभावित किया है. परिणामस्वरूप, घरेलू सोने की कीमत अब अंतरराष्ट्रीय कीमत के मुकाबले बी2बी स्तर पर लगभग 20 अमेरिकी डॉलर प्रति औंस की छूट पर कारोबार कर रही है.
डब्ल्यूजीसी ने कहा कि कीमतों में उछाल से सोने की मांग में बाधा उत्पन्न हो रही है, यहां तक कि शादी के मौसम में भी. हालांकि, ऊंची कीमतें और सॉफ्ट डिमांड के बावजूद फरवरी महीने में आयात पहले की तरह ही जारी रहा.
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