नई दिल्ली : वित्त वर्ष 2024-25 में खाद्य और उर्वरक पर कुल सब्सिडी 3.69 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है, जो चालू वित्त वर्ष की तुलना में करीब आठ प्रतिशत कम है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में 2024-25 का अंतरिम बजट पेश करते हुए कहा कि अगले वित्त वर्ष में खाद्य सब्सिडी के लिए 2,05,250 करोड़ रुपये की राशि तय की गई है. यह 31 मार्च, 2024 को समाप्त हो रहे चालू वित्त वर्ष के 2,12,322 करोड़ रुपये के संशोधित अनुमान से कम है. वर्ष 2022-23 में खाद्य सब्सिडी बिल 2.72 लाख करोड़ रुपये रहा था.
इसके साथ ही अगले वित्त वर्ष में उर्वरक सब्सिडी के लिए 1.64 लाख करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है जबकि चालू वित्त वर्ष के लिए संशोधित अनुमान 1.89 लाख करोड़ रुपये है. पिछले वित्त वर्ष में सरकार ने 2.51 लाख करोड़ रुपये की उर्वरक सब्सिडी दी थी. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) एवं अन्य कल्याणकारी योजनाओं के तहत सरकार खाद्यान्न की खरीद करती है. बाद में इस अनाज को सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के तहत बेचा जाता है. खरीद एवं बिक्री के बीच के अंतर की भरपाई के लिए खाद्य सब्सिडी प्रदान की जाती है.
सरकार पेट्रोलियम उत्पादों, खासकर रसोई गैस (एलपीजी) के लिए सब्सिडी भी देती है. अगले वित्त वर्ष के लिए पेट्रोलियम सब्सिडी 11,925 करोड़ रुपये आंकी गई है जो चालू वित्त वर्ष के लिए अनुमानित 12,240 करोड़ रुपये से कम है. सीतारमण ने अपने बजट भाषण में कहा कि 80 करोड़ लोगों के लिए मुफ्त राशन के जरिये भोजन की चिंता खत्म हो गई है. उन्होंने कहा कि अन्नदाता’ की उपज के लिए समय-समय पर न्यूनतम समर्थन मूल्य उचित रूप से बढ़ाया जाता है.