Madhya Pradesh Express Ways List: जो लोग हाईवे के नेटवर्क के जरिए रियल एस्टेट, लॉजिस्टिक पार्क, पर्यटन और कई तरह के उद्योगों में पैसा निवेश करना चाहते हैं उनके लिए मध्यप्रदेश के ये 5 राजमार्ग किसी वरदान से कम नहीं हैं. इस आर्टिकल में हम आपको बता रहे हैं मध्य प्रदेश के उन पांच नेशनल हाईवे और एक्सप्रेस-वे के बारे में जो मध्य प्रदेश के विकास और औद्योगिक क्रांति की गाथा लिख रहे हैं. अगर इन हाईवे और एक्सप्रेस वे के पास आप जमीन या व्यापार में निवेश करते हैं, तो आने वाले 10 सालों में आप मालामाल हो सकते हैं. आईए जानते हैं कि कौन से नेशनल हाईवे और एक्सप्रेस वे यहां से गुजरते हैं. इनकी क्या खासियत है और इनके आसपास जमीनों में पैसा निवेश कर आप क्या कमाई कर सकते हैं.
नेशनल हाइवे 44 (NH44)
देश का सबसे बड़े नेशनल हाईवे एन एच 44 भारत को कश्मीर से कन्याकुमारी और एक तरह देश के सभी राज्यों से जोड़ने का काम करता है. NH 44 श्रीनगर से कन्याकुमारी तक भारत का सबसे लंबा राष्ट्रीय राजमार्ग है, जो मध्यप्रदेश में 504 किमी से गुजरता है. मध्यप्रदेश से होकर गुजरने वाला सबसे लंबा राष्ट्रीय राजमार्ग यही है. इसकी कुल लंबाई 3,806 किमी है. राष्ट्रीय राजमार्ग 44 को पहले राष्ट्रीय राजमार्ग 7 के रूप में जाना जाता था. ये पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तरप्रदेश, राजस्थान, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक और तमिलनाडु राज्यों के अलावा, केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर से होकर गुजरता है. ये मध्यप्रदेश लखनादौन, सिवनी, नरसिंहपुर, सागर और ग्वालियर शहरों से गुजरता है.
नर्मदा एक्सप्रेस वे
नर्मदा एक्सप्रेसवे 906 किमी लंबा है, जो कबीर चबूतरा (अमरकंटक) से झाबुआ मध्य प्रदेश-गुजरात की सीमा तक बन रहा है. एक्सप्रेसवे रीवा, भोपाल, हरदा, होशंगाबाद, खंडवा, हरसूद, खरगोन, बड़वानी, रतलाम, उज्जैन, देवास की सड़कों को भी जोड़ेगा. नर्मदा एक्सप्रेस वे से इन जिलों में औद्योगिक और पर्यटन विकास होगा. नर्मदा एक्सप्रेस वे मध्य प्रदेश को पूर्वी सीमा में छत्तीसगढ़ स्थित राष्ट्रीय राजमार्ग 45-ई (बिलासपुर-रायपुर) तक और पश्चिम में गुजरात में दिल्ली-मुंबई इंटर कारिडोर तक जोड़ेगा. औद्योगिक और पर्यटन की गतिविधियों वाले सागर टोला, जबलपुर, औबेदुल्लागंज, संदलपुर, बुदनी, इंदौर, हरदा, खलघाट, ठीकरी, की मुख्य सड़कें होंगी. इनके आसपास औद्योगिक क्षेत्रों का विकास किया जाएगा. इसके लिए औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन विभाग कार्ययोजना बनाएगा।
दिल्ली-वड़ोदरा-मुंबई एक्सप्रेस वे
देश के सबसे लंबे एक्सप्रेसवे दिल्ली-वडोदरा-मुंबई एक्सप्रेसवे का काम अंतिम चरण में है. ये देश का अब तक का सबसे बड़ा एक्सप्रेसवे है. जो छह राज्यों से होकर निकल रहा है. इसकी लम्बाई 1,350 किमी है, जिसकी अनुमानित लागत 1 लाख करोड़ रु है. मध्यप्रदेश में इसकी लंबाई 244 किमी है. प्रोजेक्ट के पूरे हो जाने पर दिल्ली से मुंबई का सफर और आसान हो जाएग. अभी मुंबई से दिल्ली जाने में लगभग 24 घंटे का समय लगता है लेकिन एक्सप्रेसवे के शुरू हो जाने के बाद 12 घंटे का समय लगेगा. ये एक्सप्रेसवे देश के कोटा, इंदौर, जयपुर, भोपाल, वडोदरा और सूरत शहरों को कनेक्ट कर रहा है. पूरे एक्सप्रेसवे पर 30 लेन टोल प्लाजा बनाये जा रहे हैं. यात्री सुविधा के लिए कार पार्किंग, फ्यूल पंप, रेस्टोरेंट, टॉयलेट और बच्चों को पार्क की व्यवस्था होगी. ये एक्सप्रेसवे 13 बंदरगाहों, 8 प्रमुख हवाई एयरपोर्ट और 8 मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क को कनेक्ट करेगा.
चंबल एक्सप्रेस वे
कभी डाकुओं के लिए बदनाम चंबल की पहचान अब उसकी तरक्की से होगी. चंबल एक्सप्रेस-वे के जरिए विकास और रोजगार के द्वार खुलेंगे. राजस्थान के कोटा से निकल कर यूपी के इटावा तक करीब 400 किलोमीटर लंबाई वाला चंबल एक्सप्रेसवे मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश और राजस्थान राज्यों में प्रस्तावित छह लेन का एक्सप्रेसवे है. चंबल नदी के किनारे बन रहा एक्सप्रेसवे राजस्थान में कोटा को, मध्य प्रदेश में श्योपुर और मुरैना जिलों के माध्यम से इटावा से जोड़ेगा. चंबल एक्सप्रेसवे की लागत 8,800 करोड़ रु अनुमानित है. 417 किमी लंबा प्रस्तावित एक्सप्रेसवे मध्यप्रदेश के जरिए कानपुर से कोटा तक पहुंचकर दिल्ली-मुंबई कारिडोर में शामिल होता हैय राजस्थान के कोटा से शुरू होकर मध्यप्रदेश होते हुए यूपी के इटावा में बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे से जुड़ेगा. चंबल एक्सप्रेसवे इलाके के आदिवासी और सुदूर इलाकों में रहने वाले गरीबों की तकदीर बदलने वाला होगा. तीनों राज्यों मध्यप्रदेश, राजस्थान और यूपी के किसानों को अपनी उपज बेचने दिल्ली और मुंबई के बाजारों से जोड़ेगा.
भोपाल-लखनऊ कॉरिडोर
एमपी के भोपाल, इंदौर सहित दूसरे शहरों को यूपी के कानपुर, वाराणसी और लखनऊ जैसे शहरों से जोड़ने के लिए भोपाल-लखनऊ इकाेनॉमिक कॉरिडोर का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है. यदि तय समय पर निर्माण कार्य पूरा हो गया, तो 2026 में शहरों के बीच आपसी कनेक्टविटी बेहतर होने के साथ परियोजना में सेतु का काम कर रहे यूपी और एमपी के बुंदेलखंड की तरक्की के द्वार खुलेंगे. ये कॉरिडोर बुंदेलखंड के खनन व्यावसाय में पंख लगाएगा. बल्कि पर्यटन को बढ़ावा देगा. इसके अलावा माल परिवहन के क्षेत्र में क्रांति लाने का काम करेगा. यूपी और एमपी के बुंदेलखंड से खासकर रेत और मुरम का व्यवसाय बड़े पैमाने पर होता है. मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड के ओरछा, खजुराहो जैसे धार्मिक पर्यटन केंद्र के अलावा पन्ना और नौरादेही टाइगर रिजर्व यूपी के पर्यटकों के लिए आकर्षण का काम करेग.