नई दिल्ली: एल्सिड इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड की शुरुआत 3.21 रुपये (जुलाई 2024 तक) के मूल्य वाले एक पेनी स्टॉक के रूप में हुई थी. लेकिन बिजनेस टुडे की रिपोर्ट के अनुसार इसके शेयर अब 2,25,000 रुपये के उचित मूल्य पर पहुंच गए हैं. साथ ही, यह भी कहा गया है कि अब इसकी कीमत प्रति शेयर MRF लिमिटेड से भी अधिक है.
इस बीच भारतीय शेयर बाजार में सबसे अधिक कीमत वाले एमआरएफ के शेयर की कीमत बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) पर 1,22,576.50 पर है. (ये कारोबार के दौरान बदलते रहते है)
एल्सिड इन्वेस्टमेंट के शेयरों में इतनी तेजी क्यों आई?
कंपनी ने बीएसई पर फिर से सूचीबद्ध होने के बाद शेयर की कीमत आसमान छू गई. इसका बाजार पूंजीकरण अब 4,725 करोड़ रुपये है.
एल्सिड इन्वेस्टमेंट नलवा संस इन्वेस्टमेंट, टीवीएस होल्डिंग्स, कल्याणी इन्वेस्टमेंट कंपनी, एसआईएल इन्वेस्टमेंट, महाराष्ट्र स्कूटर्स, जीएफएल, हरियाणा कैपफिन और पिलानी इन्वेस्टमेंट एंड इंडस्ट्रीज कॉरपोरेशन जैसी कंपनियों में से एक थी, जिन्हें फिर से सूचीबद्ध किया गया.
एल्सिड इन्वेस्टमेंट के प्रमोटरों ने स्वेच्छा से 1,61,023 रुपये प्रति शेयर के आधार मूल्य पर इसकी डीलिस्टिंग के लिए प्रस्ताव रखा था. इसके लिए एक विशेष प्रस्ताव भी पेश किया गया था. हालांकि, सार्वजनिक शेयरधारकों का अपेक्षित बहुमत न मिलने के कारण यह प्रस्ताव फेल हो गया.
2,00,000 शेयर पूंजी के साथ एल्सिड इन्वेस्टमेंट्स के पास एशियन पेंट्स लिमिटेड में 2,83,13,860 इक्विटी शेयर या 2.95 फीसदी हिस्सेदारी है, जिसकी कीमत पिछले बंद के अनुसार लगभग 8,500 करोड़ रुपये है. यही एकमात्र कारण है जो इस शेयर को शेयर बाजारों में इतनी ऊंची कीमत पर बेचता है. अभी भी एक पेंच है.
मुंबई स्थित धरावत सिक्योरिटीज के हितेश धरावत ने कहा कि एल्सिड इन्वेस्टमेंट दलाल स्ट्रीट पर चर्चा का विषय बना हुआ है, क्योंकि इसकी एशियन पेंट्स में हिस्सेदारी है. शेयर की कीमत एक दिन पहले 3-4 रुपये से बढ़कर सीधे 2.35 लाख रुपये हो गई है. हालांकि, बुक वैल्यू अभी भी मौजूदा शेयर कीमत से अधिक है, लेकिन यह होल्डिंग कंपनी डिस्काउंट का लाभ उठाती है.
2.36 लाख रुपये प्रति शेयर पर कारोबार करने के बावजूद, शेयर अभी भी एशियन पेंट्स में अपनी हिस्सेदारी के आधार पर 4.25 लाख रुपये प्रति शेयर के अपने आंतरिक शेयर मूल्य से लगभग 45 फीसदी छूट पर कारोबार कर रहा है. मंगलवार को 4.33 करोड़ रुपये के 190 शेयरों के कारोबार से पहले, पिछले कुछ सालों में शेयर में बमुश्किल ही कोई बदलाव हुआ है.