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हैदराबाद: रक्षा विनिर्माण क्षेत्र में तेजी से बढ़ रहा निर्यात, बीडीएल समेत कई कंपनियों का मुनाफा बढ़ा - Defense Manufacturing

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Apr 3, 2024, 7:27 PM IST

Defense Manufacturing: सूत्रों के मुताबिक, केंद्र सरकार की नीतियों के कारण ऐसा संभव हो सका. रक्षा क्षेत्र में घरेलू कंपनियों ने नई तकनीक पेश की है, विदेशी कंपनियों के साथ साझेदारी समझौते किए हैं और उत्पादन क्षमता का विस्तार किया है.

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भारत रक्षा विनिर्माण क्षेत्र

हैदराबाद: भारत रक्षा विनिर्माण क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है. हैदराबाद स्थित सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी भारत डायनामिक्स लिमिटेड (बीडीएल) ने पिछले वित्त वर्ष में 2,350 करोड़ रुपये का कारोबार हासिल किया. कंपनी के पास फिलहाल 19,468 करोड़ रुपये के ऑर्डर हैं. हाल के महीनों में निर्यात ऑर्डर मिलने के कारण बीडीएल ही नहीं, रक्षा क्षेत्र से जुड़ी कई कंपनियों के राजस्व और मुनाफे में उछाल आया है.

बीडीएल के सूत्रों ने बताया कि हमारा देश आज भी रक्षा उपकरणों के लिए आयात पर निर्भर है. कई दशकों से हम रूस, इजराइल और फ्रांस जैसे देशों से हथियार, आयुध, लड़ाकू विमान, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और युद्धपोत आयात करते हैं. लेकिन अब स्थिति बदल रही है.

21,000 करोड़ रुपये से अधिक का निर्यात
उन्होंने कहा, पिछले चार-पांच वर्षों से रक्षा उत्पादों का निर्यात तेजी से बढ़ रहा है। 2023-24 में भारत से 21,083 करोड़ रुपये का निर्यात दर्ज किया गया. जबकि 2022-23 में रक्षा निर्यात 15,918 करोड़ रुपये का रहा. किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि रक्षा उपकरणों के लिए आयात पर निर्भर हमारा देश इतनी तेजी से निर्यात की ओर रुख करेगा. सूत्रों के मुताबिक, केंद्र सरकार की नीतियों के कारण ऐसा संभव हो सका. रक्षा क्षेत्र में घरेलू कंपनियों ने नई तकनीक पेश की है, विदेशी कंपनियों के साथ साझेदारी समझौते किए हैं और उत्पादन क्षमता का विस्तार किया है.

खाड़ी देशों को हो रहा रक्षा उत्पादों का निर्यात
सूत्रों ने कहा, भारत से विभिन्न देशों को रक्षा उत्पाद निर्यात किए जा रहे हैं. इसमें मिस्र, इटली, संयुक्त अरब अमीरात, भूटान, इथियोपिया, सऊदी अरब और अन्य देश शामिल हैं. परामर्श सेवा कंपनी जेफरीज (Jefferies) का अनुमान है कि बहुत जल्द भारत से खाड़ी देशों में रक्षा उत्पादों के निर्यात में वृद्धि हो सकती है. वर्तमान में खाड़ी देश अमेरिका, चीन, रूस और फ्रांस जैसे देशों से 11 अरब डॉलर (करीब 91,500 करोड़ रुपये) से ज्यादा के हथियार और उपकरण आयात कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि घरेलू जरूरतों को पूरा करते हुए निर्यात पर ध्यान केंद्रित करने से रक्षा क्षेत्र की कंपनियों के लिए अवसर बढ़ें हैं. वर्तमान में भारत हथियारों, मिसाइलों और गश्ती जहाजों का निर्यात कर रहा है. उम्मीद है कि भविष्य में लड़ाकू विमानों और युद्धपोतों का भी निर्यात किया जाएगा.

इन कंपनियों को मिल रहे बड़े ऑर्डर
रक्षा क्षेत्र की कंपनियों हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स, बीईएल, मझगांव शिपयार्ड, बीडीएल, कोचीन शिपयार्ड, एलएंडटी, भारत फोर्ज और अन्य को विदेश से बड़े ऑर्डर मिल रहे हैं. हैदराबाद में रक्षा विनिर्माण क्षेत्री की कई कंपनियां हैं. मिधानी के अलावा, बीडीएल, ऑर्डनेंस फैक्ट्री, निजी क्षेत्र में बीईएल यूनिट, एस्ट्रा माइक्रोवेव, भारत फोर्ज और अन्य कंपनियां यहां स्थित हैं। रक्षा उत्पाद क्षेत्र के विस्तार और निर्यात के अवसरों में वृद्धि से इन कंपनियों का राजस्व और मुनाफा बढ़ा है. जेफरीज का अनुमान है कि रक्षा क्षेत्र की कंपनियां अगले कुछ वर्षों में और तेजी से वृद्धि दर्ज करेंगी.

ये भी पढ़ें- सेना की बढ़ी ताकत, आकाश मिसाइल प्रणाली का हुआ सफलतापूर्वक परीक्षण

हैदराबाद: भारत रक्षा विनिर्माण क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है. हैदराबाद स्थित सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी भारत डायनामिक्स लिमिटेड (बीडीएल) ने पिछले वित्त वर्ष में 2,350 करोड़ रुपये का कारोबार हासिल किया. कंपनी के पास फिलहाल 19,468 करोड़ रुपये के ऑर्डर हैं. हाल के महीनों में निर्यात ऑर्डर मिलने के कारण बीडीएल ही नहीं, रक्षा क्षेत्र से जुड़ी कई कंपनियों के राजस्व और मुनाफे में उछाल आया है.

बीडीएल के सूत्रों ने बताया कि हमारा देश आज भी रक्षा उपकरणों के लिए आयात पर निर्भर है. कई दशकों से हम रूस, इजराइल और फ्रांस जैसे देशों से हथियार, आयुध, लड़ाकू विमान, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और युद्धपोत आयात करते हैं. लेकिन अब स्थिति बदल रही है.

21,000 करोड़ रुपये से अधिक का निर्यात
उन्होंने कहा, पिछले चार-पांच वर्षों से रक्षा उत्पादों का निर्यात तेजी से बढ़ रहा है। 2023-24 में भारत से 21,083 करोड़ रुपये का निर्यात दर्ज किया गया. जबकि 2022-23 में रक्षा निर्यात 15,918 करोड़ रुपये का रहा. किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि रक्षा उपकरणों के लिए आयात पर निर्भर हमारा देश इतनी तेजी से निर्यात की ओर रुख करेगा. सूत्रों के मुताबिक, केंद्र सरकार की नीतियों के कारण ऐसा संभव हो सका. रक्षा क्षेत्र में घरेलू कंपनियों ने नई तकनीक पेश की है, विदेशी कंपनियों के साथ साझेदारी समझौते किए हैं और उत्पादन क्षमता का विस्तार किया है.

खाड़ी देशों को हो रहा रक्षा उत्पादों का निर्यात
सूत्रों ने कहा, भारत से विभिन्न देशों को रक्षा उत्पाद निर्यात किए जा रहे हैं. इसमें मिस्र, इटली, संयुक्त अरब अमीरात, भूटान, इथियोपिया, सऊदी अरब और अन्य देश शामिल हैं. परामर्श सेवा कंपनी जेफरीज (Jefferies) का अनुमान है कि बहुत जल्द भारत से खाड़ी देशों में रक्षा उत्पादों के निर्यात में वृद्धि हो सकती है. वर्तमान में खाड़ी देश अमेरिका, चीन, रूस और फ्रांस जैसे देशों से 11 अरब डॉलर (करीब 91,500 करोड़ रुपये) से ज्यादा के हथियार और उपकरण आयात कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि घरेलू जरूरतों को पूरा करते हुए निर्यात पर ध्यान केंद्रित करने से रक्षा क्षेत्र की कंपनियों के लिए अवसर बढ़ें हैं. वर्तमान में भारत हथियारों, मिसाइलों और गश्ती जहाजों का निर्यात कर रहा है. उम्मीद है कि भविष्य में लड़ाकू विमानों और युद्धपोतों का भी निर्यात किया जाएगा.

इन कंपनियों को मिल रहे बड़े ऑर्डर
रक्षा क्षेत्र की कंपनियों हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स, बीईएल, मझगांव शिपयार्ड, बीडीएल, कोचीन शिपयार्ड, एलएंडटी, भारत फोर्ज और अन्य को विदेश से बड़े ऑर्डर मिल रहे हैं. हैदराबाद में रक्षा विनिर्माण क्षेत्री की कई कंपनियां हैं. मिधानी के अलावा, बीडीएल, ऑर्डनेंस फैक्ट्री, निजी क्षेत्र में बीईएल यूनिट, एस्ट्रा माइक्रोवेव, भारत फोर्ज और अन्य कंपनियां यहां स्थित हैं। रक्षा उत्पाद क्षेत्र के विस्तार और निर्यात के अवसरों में वृद्धि से इन कंपनियों का राजस्व और मुनाफा बढ़ा है. जेफरीज का अनुमान है कि रक्षा क्षेत्र की कंपनियां अगले कुछ वर्षों में और तेजी से वृद्धि दर्ज करेंगी.

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