नई दिल्ली: सरकार और टेलीकॉम रेगुलेटर ने साफ कर दिया है कि वे मोबाइल कंपनियों के टैरिफ हाइक के फैसले में कतई हस्तक्षेप नहीं करेंगे. इस मामले से जुड़े अधिकारियों ने मीडिया को इस बात की जानकारी दी. रिपोर्ट के अनुसार अधिकारियों ने कहा कि भारत में टैरिफ अभी भी दुनिया में सबसे सस्ते हैं. सरकार चाहती हैं कि कंपनियां सेवाओं की गुणवत्ता पर अपना ध्यान केंद्रित करे.
टेलीकॉम सेक्टर में पर्याप्त प्रतिस्पर्धा है और स्थिति इतनी गंभीर नहीं है कि सरकार के हस्तक्षेप की आवश्यकता हो. कीमतों में बढ़त्तरी से यूजर्स को कुछ परेशानी हो सकती है, लेकिन यह बढ़ोत्तरी तीन साल के बाद हुई है.
बता दें कि इस सप्ताह, भारत की तीन निजी टेलीकॉम कंपनियों ने मोबाइल टैरिफ में 11 से 25 फीसदी की बढ़ोतरी की है. इससे कंपनियों को शहरी भारत में टेलीकॉम सेवाओं पर खर्च करने में मदद मिलने की संभावना है, जो वित्त वर्ष 2025 में डोमेस्टिक रेवेन्यू का 2.8 फीसदी हो जाएगा, जो वित्त वर्ष 24 में 2.7 फीसदी था. ग्रामीण परिवारों के लिए, यह 4.5 फीसदी से बढ़कर 4.7 फीसदी हो जाएगा. रिपोर्ट में इस बढ़ोतरी को "मध्यम" कहा गया है.
एक रिपोर्ट के मुताबिक टैरिफ में 13 फीसदी (औसत) की बढ़ोत्तरी मध्यम है. और घरेलू खर्च पर इसका बहुत अधिक प्रभाव पड़ने की संभावना नहीं है. यह यह भी दिखाती है कि जियो के टैरिफ में की गई अधिक बढ़ोतरी और 5G मोनेटाइजेशन को भी कंज्यूमर को अच्छी तरह से समझने की संभावना है.