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प्रतिकूल परिस्थितियों से विजय तक: वैष्णवी की पावरलिफ्टिंग यात्रा - Vaishnavi

YUVA: आर्थिक तंगी के बावजूद हैदराबाद की वैष्णवी दुनिया में पावरलिफ्टिंग की दृढ़ संकल्प की मिसाल बनकर उभरी हैं. वैष्णवी की यात्रा में दृढ़ता और समर्पण की झलक मिलती है.

वैष्णवी
वैष्णवी (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 3, 2024, 7:42 PM IST

हैदराबाद: आर्थिक तंगी और निराशा का सामना करने के बावजूद हैदराबाद की वैष्णवी दुनिया में पावरलिफ्टिंग की दृढ़ संकल्प की मिसाल बनकर उभरी हैं. अपनी दृढ़ प्रतिबद्धता और कड़ी मेहनत से उन्होंने हाल ही में कॉमनवेल्थ गेम्स में जगह बनाई है. इस दौरान उन्होंने अपनी असाधारण प्रतिभा का प्रदर्शन किया है.

वैष्णवी की यात्रा में दृढ़ता और समर्पण की झलक मिलती है. एक साधारण बैकग्राउंड से आने वाली इस युवा एथलीट ने अपने सपने को पूरा करने के लिए कई बाधाओं को पार किया. अपने परिवार और कोच के सहयोग से वह पावरलिफ्टिंग में बड़ी उपलब्धी हासिल करने में सफल रही हैं. वैष्णवी राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर कुल 40 मेडल जीत चुकी हैं.

आर्थिक चुनौतियों का करना पड़ा सामना
सिकंदराबाद में गीता और राम महेश के घर जन्मी वैष्णवी के परिवार को आर्थिक चुनौतियों का सामना करना पड़ा. उनके पिता महेश अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए मैकेनिक का काम करते हैं, जबकि उनके भाई ने बीटेक की पढ़ाई की है. फिलहाल वह नौकरी की तलाश कर रहा है. इन संघर्षों के बीच, वैष्णवी ने खेलों के प्रति अपने जुनून के साथ खुद को अलग पहचान दिलाई है. अपनी पढ़ाई के साथ-साथ, उन्होंने अपनी ताकत और स्किल का प्रदर्शन करते हुए विभिन्न प्रतियोगिताओं में सक्रिय रूप से भाग लिया.

शारीरिक प्रयास और अनुशासन की आवश्यकता
एथलीट की मां गीता ने कहा कि वैष्णवी का खेल के प्रति प्रेम पावरलिफ्टिंग तक सीमित नहीं है. उसने कबड्डी, वॉलीबॉल, खोखो और सॉफ्टबॉल जैसे गेम खेले. उसके कॉलेज ने उसकी एथलेटिक क्षमता को पहचाना और प्रोत्साहित किया. उसे टीम गेम के बजाय इंडिविजुअल गेम में विशेषज्ञता हासिल करने की सलाह दी गई. इसके चलते वैष्णवी ने पावरलिफ्टिंग को चुना, जो एक ऐसा खेल है जिसमें शारीरिक प्रयास और अनुशासन की आवश्यकता होती है.

बता दें की वैष्णवी की दिनचर्या में उनका समर्पण साफ दिखाई देता है, जिसमें कठोर जिम सेशन और कांस्टेबल उम्मीदवारों के लिए निशुल्क प्रशिक्षण कार्यक्रमों में भाग लेना शामिल है. उनकी प्रतिबद्धता तब रंग लाई जब उन्होंने 2021 में राष्ट्रीय सब-जूनियर पावरलिफ्टिंग प्रतियोगिता में कांस्य पदक जीता. वैष्णवी ने कोच कौशिक से ट्रेनिंग ली, जिनका मार्गदर्शन उनके विकास में महत्वपूर्ण रहा है.

सब-जूनियर क्लासिक्स में स्वर्ण पदक
2022 में वैष्णवी की मेहनत रंग लाई और उन्होंने केरल में सब-जूनियर क्लासिक्स में स्वर्ण पदक और एशियाई पावरलिफ्टिंग प्रतियोगिता में कांस्य पदक जीता. उनकी उपलब्धियां पंजाब में आयोजित अखिल भारतीय विश्वविद्यालय और राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में स्वर्ण पदक के साथ जारी रहीं. इन उपलब्धियों ने कॉमनवेल्थ गेम्स में उनके चयन का मार्ग प्रशस्त किया है.

वर्तमान में कोच कौशिक के अधीन प्रशिक्षण ले रही वैष्णवी को उनकी उदारता का लाभ मिलता है, क्योंकि वह अपनी वित्तीय स्थिति के कारण बिना किसी शुल्क के उनसे कोचिंग लेती हैं. कौशिक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में उनकी भागीदारी का समर्थन करने के लिए सक्रिय रूप से दानदाताओं की तलाश भी कर रहे हैं.

वैष्णवी की कहानी दृढ़ता की शक्ति और उन लोगों के समर्थन का प्रमाण है, जो उनकी क्षमता में विश्वास करते हैं. राष्ट्रमंडल खेलों की तैयारी करते हुए, उनकी यात्रा कई लोगों को प्रेरित करती है और प्रतिकूल परिस्थितियों पर दृढ़ संकल्प की जीत को उजागर करती है.

यह भी पढ़ें- ममता बनर्जी ने एंटी रेप बिल किया पेश, जानें क्या हैं मौत की सजा के प्रावधान?

हैदराबाद: आर्थिक तंगी और निराशा का सामना करने के बावजूद हैदराबाद की वैष्णवी दुनिया में पावरलिफ्टिंग की दृढ़ संकल्प की मिसाल बनकर उभरी हैं. अपनी दृढ़ प्रतिबद्धता और कड़ी मेहनत से उन्होंने हाल ही में कॉमनवेल्थ गेम्स में जगह बनाई है. इस दौरान उन्होंने अपनी असाधारण प्रतिभा का प्रदर्शन किया है.

वैष्णवी की यात्रा में दृढ़ता और समर्पण की झलक मिलती है. एक साधारण बैकग्राउंड से आने वाली इस युवा एथलीट ने अपने सपने को पूरा करने के लिए कई बाधाओं को पार किया. अपने परिवार और कोच के सहयोग से वह पावरलिफ्टिंग में बड़ी उपलब्धी हासिल करने में सफल रही हैं. वैष्णवी राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर कुल 40 मेडल जीत चुकी हैं.

आर्थिक चुनौतियों का करना पड़ा सामना
सिकंदराबाद में गीता और राम महेश के घर जन्मी वैष्णवी के परिवार को आर्थिक चुनौतियों का सामना करना पड़ा. उनके पिता महेश अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए मैकेनिक का काम करते हैं, जबकि उनके भाई ने बीटेक की पढ़ाई की है. फिलहाल वह नौकरी की तलाश कर रहा है. इन संघर्षों के बीच, वैष्णवी ने खेलों के प्रति अपने जुनून के साथ खुद को अलग पहचान दिलाई है. अपनी पढ़ाई के साथ-साथ, उन्होंने अपनी ताकत और स्किल का प्रदर्शन करते हुए विभिन्न प्रतियोगिताओं में सक्रिय रूप से भाग लिया.

शारीरिक प्रयास और अनुशासन की आवश्यकता
एथलीट की मां गीता ने कहा कि वैष्णवी का खेल के प्रति प्रेम पावरलिफ्टिंग तक सीमित नहीं है. उसने कबड्डी, वॉलीबॉल, खोखो और सॉफ्टबॉल जैसे गेम खेले. उसके कॉलेज ने उसकी एथलेटिक क्षमता को पहचाना और प्रोत्साहित किया. उसे टीम गेम के बजाय इंडिविजुअल गेम में विशेषज्ञता हासिल करने की सलाह दी गई. इसके चलते वैष्णवी ने पावरलिफ्टिंग को चुना, जो एक ऐसा खेल है जिसमें शारीरिक प्रयास और अनुशासन की आवश्यकता होती है.

बता दें की वैष्णवी की दिनचर्या में उनका समर्पण साफ दिखाई देता है, जिसमें कठोर जिम सेशन और कांस्टेबल उम्मीदवारों के लिए निशुल्क प्रशिक्षण कार्यक्रमों में भाग लेना शामिल है. उनकी प्रतिबद्धता तब रंग लाई जब उन्होंने 2021 में राष्ट्रीय सब-जूनियर पावरलिफ्टिंग प्रतियोगिता में कांस्य पदक जीता. वैष्णवी ने कोच कौशिक से ट्रेनिंग ली, जिनका मार्गदर्शन उनके विकास में महत्वपूर्ण रहा है.

सब-जूनियर क्लासिक्स में स्वर्ण पदक
2022 में वैष्णवी की मेहनत रंग लाई और उन्होंने केरल में सब-जूनियर क्लासिक्स में स्वर्ण पदक और एशियाई पावरलिफ्टिंग प्रतियोगिता में कांस्य पदक जीता. उनकी उपलब्धियां पंजाब में आयोजित अखिल भारतीय विश्वविद्यालय और राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में स्वर्ण पदक के साथ जारी रहीं. इन उपलब्धियों ने कॉमनवेल्थ गेम्स में उनके चयन का मार्ग प्रशस्त किया है.

वर्तमान में कोच कौशिक के अधीन प्रशिक्षण ले रही वैष्णवी को उनकी उदारता का लाभ मिलता है, क्योंकि वह अपनी वित्तीय स्थिति के कारण बिना किसी शुल्क के उनसे कोचिंग लेती हैं. कौशिक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में उनकी भागीदारी का समर्थन करने के लिए सक्रिय रूप से दानदाताओं की तलाश भी कर रहे हैं.

वैष्णवी की कहानी दृढ़ता की शक्ति और उन लोगों के समर्थन का प्रमाण है, जो उनकी क्षमता में विश्वास करते हैं. राष्ट्रमंडल खेलों की तैयारी करते हुए, उनकी यात्रा कई लोगों को प्रेरित करती है और प्रतिकूल परिस्थितियों पर दृढ़ संकल्प की जीत को उजागर करती है.

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