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मुख्य विपक्षी दल के रूप में मान्यता देने की अपील, जगन मोहन ने विधानसभा अध्यक्ष को लिखा पत्र - Jagan Mohan Writes To Speaker

Jagan Mohan Reddy: पूर्व मुख्यमंत्री और वाईएसआरसीपी अध्यक्ष वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने विधानसभा में विपक्ष के दर्जे के मुद्दे पर आंध्र प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष को एक पत्र भेजा है. जगन ने विपक्ष में सबसे अधिक सीटें होने के बावजूद विपक्ष के नेता का दर्जा न दिए जाने का उल्लेख किया.

ANDHRA PRADESH EX CM JAGAN
जगन मोहन रेड्डी, पूर्व मुख्यमंत्री, आंध्र प्रदेश (IANS File Photo)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jun 25, 2024, 8:05 PM IST

अमरावती: पूर्व मुख्यमंत्री और वाईएसआरसीपी (YSRCP) अध्यक्ष वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने मंगलवार को विधानसभा में विपक्ष के दर्जे के मुद्दे पर आंध्र प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष अय्यन्नापतरुडू को एक पत्र भेजा है. पूर्व मुख्यमंत्री ने विपक्ष के नेता (LoP) के रूप में मान्यता मांगी. जगन ने विपक्ष में सबसे अधिक सीटें होने के बावजूद विपक्ष के नेता का दर्जा न दिए जाने का उल्लेख किया. पत्र में जगन ने बताया कि कानून के अनुसार, विपक्ष में सबसे अधिक सीटें रखने वाली पार्टी को विपक्ष का दर्जा दिया जाना चाहिए, बिना किसी निश्चित प्रतिशत सीटों की आवश्यकता के.

आंध्र प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष को संबोधित चार पन्नों के पत्र में उन्होंने कहा कि, 'विधायकों के शपथ ग्रहण कार्यक्रम में मंत्रियों के बाद मेरे साथ शपथ लेना परंपरा के विरुद्ध है. ऐसा लगता है कि मुख्य विपक्षी नेता की पहचान न बताने का फैसला पहले से ही कर लिया गया है. कानून में यह परिभाषित है कि विपक्ष में जिसके पास सबसे अधिक सीटें होंगी, उसे मुख्य विपक्ष का दर्जा दिया जाएगा. कानून में कहीं भी यह नहीं लिखा है कि मुख्य विपक्ष का दर्जा देने के लिए 10 प्रतिशत सीटों की आवश्यकता होगी. इस नियम का न तो संसद में और न ही संयुक्त आंध्र प्रदेश में पालन किया गया.'

अमरावती: पूर्व मुख्यमंत्री और वाईएसआरसीपी (YSRCP) अध्यक्ष वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने मंगलवार को विधानसभा में विपक्ष के दर्जे के मुद्दे पर आंध्र प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष अय्यन्नापतरुडू को एक पत्र भेजा है. पूर्व मुख्यमंत्री ने विपक्ष के नेता (LoP) के रूप में मान्यता मांगी. जगन ने विपक्ष में सबसे अधिक सीटें होने के बावजूद विपक्ष के नेता का दर्जा न दिए जाने का उल्लेख किया. पत्र में जगन ने बताया कि कानून के अनुसार, विपक्ष में सबसे अधिक सीटें रखने वाली पार्टी को विपक्ष का दर्जा दिया जाना चाहिए, बिना किसी निश्चित प्रतिशत सीटों की आवश्यकता के.

आंध्र प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष को संबोधित चार पन्नों के पत्र में उन्होंने कहा कि, 'विधायकों के शपथ ग्रहण कार्यक्रम में मंत्रियों के बाद मेरे साथ शपथ लेना परंपरा के विरुद्ध है. ऐसा लगता है कि मुख्य विपक्षी नेता की पहचान न बताने का फैसला पहले से ही कर लिया गया है. कानून में यह परिभाषित है कि विपक्ष में जिसके पास सबसे अधिक सीटें होंगी, उसे मुख्य विपक्ष का दर्जा दिया जाएगा. कानून में कहीं भी यह नहीं लिखा है कि मुख्य विपक्ष का दर्जा देने के लिए 10 प्रतिशत सीटों की आवश्यकता होगी. इस नियम का न तो संसद में और न ही संयुक्त आंध्र प्रदेश में पालन किया गया.'

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