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बेमेतरा के कठिया में दुनिया का सबसे बड़ा बांस टावर, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने किया लोकार्पण - World largest bamboo tower

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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : 23 hours ago

Updated : 2 hours ago

बेमेतरा के कठिया में दुनिया का सबसे बड़ा बांस का टावर तैयार किया गया. बुधवार को वर्चुअल माध्यम से केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने इस टावर का लोकार्पण किया. यह उपलब्धि पूरे छत्तीसगढ़ के लिए गर्व की बात है.

World largest bamboo tower in Bemetara
दुनिया का सबसे बड़ा बांस टावर (ETV Bharat)
छत्तीसगढ़ में विश्व का सबसे बड़ा बांस टावर (ETV Bharat)

बेमेतरा: विश्व बांस दिवस 2024 के मौके पर बेमेतरा शहर के कठिया में विश्व के सबसे बड़े बांस से बने ऊंचे टावर का लोकार्पण केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने किया. यह लोकार्पण वर्चुअल तरीके से किया गया.

11 लाख की लागत से बना बांस टावर: बेमेतरा में भव्य सृष्टि उद्योग ग्राम कठिया की ओर से विश्व के सबसे बड़े बांस टावर का निर्माण किया गया है. इस टावर का बुधवार को विश्व बांस दिवस के मौके पर लोकार्पण किया है. एफिल टावर की तर्ज पर बने इस टावर की ऊंचाई 140 फीट है, जिसका वजन करीब 7400 किलोग्राम है. इसको बनाने में करीब 11 लाख रुपये की लागत आई है.

गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में बांस टावर शामिल : भव्य सृष्टि उद्योग के फाउंडर और बांस प्रौद्योगिकी से जुड़े गणेश वर्मा ने दुनिया का सबसे ऊंचा बांस का टावर तैयार किया. यह टावर 140 फीट ऊंचा है. इसकी डिजाइन पेरिस के एफिल टावर जैसी है. इस टावर को गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल किया गया है.

स्टील का बेहतर विकल्प बांस: गणेश वर्मा के भव्य सृष्टि उद्योग को बांस के क्षेत्र में 15 पेटेंट मिल चुके हैं. यह भारत में बांस नवाचार के क्षेत्र में अग्रणी कंपनी है. इस बारे में गणेश वर्मा ने बताया कि, "यह बैम्बू टावर वैक्यूम प्रेशर इम्प्रेग्नेशन से उपचारित और हाई-डेंसिटी पॉलीएथिलीन कोटेड बांस से बना है, जिसे बाहु-बल्ली भी कहा जाता है. इसका जीवनकाल 25 वर्षों से अधिक है. हल्का होने के कारण इसे आसानी से दूसरे जगह ट्रांसफर किया जा सकता है."

"यह टावर पर्यावरण के अनुकूल विकल्प के रूप में हाईटेंशन बिजली सप्लाई टावर, दूरसंचार टावर, हाई मास्ट लाइट पोल्स और वॉच टावरों के लिए एक बेहतर उदाहरण है. दुनिया की पहली बांस क्रैश बैरियर के बाद यह बैम्बू टावर एक अद्भुत नवाचार है. यह स्टील की जगह बांस के उपयोग की संभावनाओं को और भी व्यापक करता है.: गणेश वर्मा, किसान

बांस से बनाए जाते हैं कई उत्पाद: गणेश वर्मा ने बताया कि बाहु-बल्ली के निर्माण के दौरान काफी मात्रा में अनुपयोगी बांस बच जाता है, जिसका उपयोग बॉयो चारकोल बनाने में होता है. इस प्रक्रिया में काफी मात्रा में बायोविनेगर और बायोबीटूमिन का उत्पादन भी किया जाता है. यह भी बांस से जुड़ा एक फायदा है.

"बेमेतरा ही नहीं बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ के लिए ये सौभाग्य का क्षण है. सृष्टि उद्योग बेमेतरा के जरिए आज विश्व के सबसे बड़े बैंबू टावर का निर्माण किया गया. इस टावर में हमने मां भारती के सम्मान में तिरंगा झंडा लगाया है." -विजय बघेल, सांसद, दुर्ग लोकसभा

"आज विश्व बांस दिवस के मौके पर बेमेतरा में 140 फीट ऊंचे बांस के टावर का निर्माण किया गया. इसकी डिजाइन पेरिस के एफिल टावर जैसी है. इसके निर्माण से एक बार फिर छत्तीसगढ़ का नाम विश्व पटल पर दर्ज किया गया है. ये हमारे लिए गर्व की बात है." -सोनम शर्मा, प्रदेश प्रमुख, गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स

परिवहन मंत्रालय बांस का कर रहा उपयोग: वर्तमान में क्रैश बैरियर्स, बैम्बू टावर, सुरक्षा फेंसिंग और अन्य उत्पादों को बांस से तैयार किया जा रहा है. जैसे-जैसे उत्पादन की मात्रा बढ़ेगी, इसके लिए सहयोगी ईकोसिस्टम विकसित होगा. इससे भविष्य में इनकी लागत में काफी कमी की उम्मीद की जा रही है. स्टील की कीमतों में हो रही बढ़ोतरी और खनन चुनौतियों के कारण बांस एक स्थिर मूल्य विकल्प साबित हो सकता है. बड़े पैमाने पर उत्पादन में बांस स्टील की तुलना में किफायती साबित हो सकता है.

रेलवे और सड़क परिवहन मंत्रालय भी बांस आधारित बाड़ लगाने के उपायों को लागू करने की दिशा में काम कर रहे हैं. ताकि अतिक्रमण और जानवरों की टक्कर से होने वाली दुर्घटनाओं को रोका जा सके.

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बेमेतरा: विश्व बांस दिवस 2024 के मौके पर बेमेतरा शहर के कठिया में विश्व के सबसे बड़े बांस से बने ऊंचे टावर का लोकार्पण केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने किया. यह लोकार्पण वर्चुअल तरीके से किया गया.

11 लाख की लागत से बना बांस टावर: बेमेतरा में भव्य सृष्टि उद्योग ग्राम कठिया की ओर से विश्व के सबसे बड़े बांस टावर का निर्माण किया गया है. इस टावर का बुधवार को विश्व बांस दिवस के मौके पर लोकार्पण किया है. एफिल टावर की तर्ज पर बने इस टावर की ऊंचाई 140 फीट है, जिसका वजन करीब 7400 किलोग्राम है. इसको बनाने में करीब 11 लाख रुपये की लागत आई है.

गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में बांस टावर शामिल : भव्य सृष्टि उद्योग के फाउंडर और बांस प्रौद्योगिकी से जुड़े गणेश वर्मा ने दुनिया का सबसे ऊंचा बांस का टावर तैयार किया. यह टावर 140 फीट ऊंचा है. इसकी डिजाइन पेरिस के एफिल टावर जैसी है. इस टावर को गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल किया गया है.

स्टील का बेहतर विकल्प बांस: गणेश वर्मा के भव्य सृष्टि उद्योग को बांस के क्षेत्र में 15 पेटेंट मिल चुके हैं. यह भारत में बांस नवाचार के क्षेत्र में अग्रणी कंपनी है. इस बारे में गणेश वर्मा ने बताया कि, "यह बैम्बू टावर वैक्यूम प्रेशर इम्प्रेग्नेशन से उपचारित और हाई-डेंसिटी पॉलीएथिलीन कोटेड बांस से बना है, जिसे बाहु-बल्ली भी कहा जाता है. इसका जीवनकाल 25 वर्षों से अधिक है. हल्का होने के कारण इसे आसानी से दूसरे जगह ट्रांसफर किया जा सकता है."

"यह टावर पर्यावरण के अनुकूल विकल्प के रूप में हाईटेंशन बिजली सप्लाई टावर, दूरसंचार टावर, हाई मास्ट लाइट पोल्स और वॉच टावरों के लिए एक बेहतर उदाहरण है. दुनिया की पहली बांस क्रैश बैरियर के बाद यह बैम्बू टावर एक अद्भुत नवाचार है. यह स्टील की जगह बांस के उपयोग की संभावनाओं को और भी व्यापक करता है.: गणेश वर्मा, किसान

बांस से बनाए जाते हैं कई उत्पाद: गणेश वर्मा ने बताया कि बाहु-बल्ली के निर्माण के दौरान काफी मात्रा में अनुपयोगी बांस बच जाता है, जिसका उपयोग बॉयो चारकोल बनाने में होता है. इस प्रक्रिया में काफी मात्रा में बायोविनेगर और बायोबीटूमिन का उत्पादन भी किया जाता है. यह भी बांस से जुड़ा एक फायदा है.

"बेमेतरा ही नहीं बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ के लिए ये सौभाग्य का क्षण है. सृष्टि उद्योग बेमेतरा के जरिए आज विश्व के सबसे बड़े बैंबू टावर का निर्माण किया गया. इस टावर में हमने मां भारती के सम्मान में तिरंगा झंडा लगाया है." -विजय बघेल, सांसद, दुर्ग लोकसभा

"आज विश्व बांस दिवस के मौके पर बेमेतरा में 140 फीट ऊंचे बांस के टावर का निर्माण किया गया. इसकी डिजाइन पेरिस के एफिल टावर जैसी है. इसके निर्माण से एक बार फिर छत्तीसगढ़ का नाम विश्व पटल पर दर्ज किया गया है. ये हमारे लिए गर्व की बात है." -सोनम शर्मा, प्रदेश प्रमुख, गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स

परिवहन मंत्रालय बांस का कर रहा उपयोग: वर्तमान में क्रैश बैरियर्स, बैम्बू टावर, सुरक्षा फेंसिंग और अन्य उत्पादों को बांस से तैयार किया जा रहा है. जैसे-जैसे उत्पादन की मात्रा बढ़ेगी, इसके लिए सहयोगी ईकोसिस्टम विकसित होगा. इससे भविष्य में इनकी लागत में काफी कमी की उम्मीद की जा रही है. स्टील की कीमतों में हो रही बढ़ोतरी और खनन चुनौतियों के कारण बांस एक स्थिर मूल्य विकल्प साबित हो सकता है. बड़े पैमाने पर उत्पादन में बांस स्टील की तुलना में किफायती साबित हो सकता है.

रेलवे और सड़क परिवहन मंत्रालय भी बांस आधारित बाड़ लगाने के उपायों को लागू करने की दिशा में काम कर रहे हैं. ताकि अतिक्रमण और जानवरों की टक्कर से होने वाली दुर्घटनाओं को रोका जा सके.

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