नई दिल्ली: दुनिया भर में करीब एक अरब से अधिक लोग हाई ब्लड प्रेशर से पीड़ित हैं. ये एक साइलेंट किलर की तरह है. अधिकांश मामले ऐसे पाए जाते हैं जिनमें लोगों को ये पता ही नहीं होता कि उन्हें हाई बीपी की समस्या है. उच्च रक्तचाप की रोकथाम, पहचान और उपचार के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल विश्व उच्च रक्तचाप दिवस मनाया जाता है.
'अपने रक्तचाप को सटीक रूप से मापें, इसे नियंत्रित करें, लंबे समय तक जिएं' थीम के साथ, विश्व उच्च रक्तचाप दिवस (वर्ल्ड हाइपरटेंशन डे) 2024 इस वर्ष 17 मई को मनाया जाएगा. यह रक्तचाप की निगरानी के महत्व और उच्च रक्तचाप से जुड़े जोखिमों के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए समर्पित है. उच्च रक्तचाप हृदय रोग, स्ट्रोक, गुर्दे की जटिलताओं और समय से पहले मौत के लिए नंबर एक जोखिम कारक है.
उच्च रक्तचाप हृदय रोग, स्ट्रोक, गुर्दे की जटिलताओं और समय से पहले मौत का खतरा बढ़ाता है. हालांकि अधिकांश लोगों में उच्च रक्तचाप का कोई लक्षण नहीं होता है, लेकिन अगर इसका इलाज न किया जाए तो यह गंभीर जटिलताओं का कारण बन सकता है. नियमित रूप से रक्तचाप की जांच करके और यदि निर्धारित हो तो दवा लेकर उच्च रक्तचाप को रोका और प्रबंधित किया जा सकता है. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) के पूर्व अध्यक्ष डॉ. जेए जयलाल ने ईटीवी भारत को बताया कि 'उच्च रक्तचाप विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण है क्योंकि यह एक स्पर्शोन्मुख (एसिम्टोमैटिक), मौन हत्यारा (Silent Killer) है. यह अक्सर तब तक छिपा रहता है, जब तक कि निगरानी के दौरान पकड़ा नहीं जाता या उच्च रक्तचाप से जुड़ी बीमारी जैसे हदय विफलता या स्ट्रोक का पता नहीं चल जाता'.
डॉ. जयलाल ने कहा, 'अनदेखा और अनुपचारित, उच्च रक्तचाप हृदय, मस्तिष्क और गुर्दे की बीमारियों के विकास के जोखिम को काफी बढ़ा देता है. कम नमक वाला हृदय-स्वस्थ आहार खाने, नियमित शारीरिक गतिविधि करने, स्वस्थ वजन बनाए रखने के साथ-साथ शराब और धूम्रपान को सीमित करने से उच्च रक्तचाप को नियंत्रित किया जा सकता है'.
वर्ल्ड हाइपरटेंशन डे का इतिहास और महत्व
वर्ल्ड हाइपरटेंशन डे/विश्व उच्च रक्तचाप दिवस पहली बार 14 मई, 2005 को विश्व उच्च रक्तचाप लीग (WHL) द्वारा स्थापित किया गया था. उच्च रक्तचाप और स्वास्थ्य पर इसके हानिकारक प्रभावों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से 2006 से यह दिन हर साल 17 मई को मनाया जाता है. इस दिन का उद्देश्य लोगों को उच्च रक्तचाप की गंभीर जटिलताओं के बारे में शिक्षित करना है. यह दिन रक्तचाप की निगरानी के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने और उच्च रक्तचाप की रोकथाम और उपचार को बढ़ावा देने पर जोर देता है.
हाई ब्लड प्रेशर और इसके कारक
उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) तब होता है जब रक्त वाहिकाओं में दबाव बहुत अधिक (140/90 mmHg या अधिक) होता है. यह सामान्य है लेकिन अगर इलाज न किया जाए तो यह गंभीर हो सकता है. उच्च रक्तचाप वाले लोगों को लक्षण महसूस नहीं हो सकते हैं. इसका पता लगाने का एकमात्र तरीका अपने रक्तचाप की जांच करवाना है. अधिक उम्र, आनुवंशिकी, अधिक वजन या मोटापा, शारीरिक रूप से सक्रिय न होना, उच्च नमक वाला आहार और बहुत अधिक शराब पीना उच्च रक्तचाप होने के कुछ प्रमुख कारण हैं.
लक्षण और सुधार
उच्च रक्तचाप वाले अधिकांश लोगों को कोई लक्षण महसूस नहीं होता है. बहुत उच्च रक्तचाप के कारण सिरदर्द, धुंधली दृष्टि, सीने में दर्द और अन्य लक्षण हो सकते हैं. उच्च रक्तचाप के कुछ प्रमुख लक्षणों में गंभीर सिरदर्द, सीने में दर्द, चक्कर आना, सांस लेने में कठिनाई, मतली, उल्टी, धुंधली दृष्टि या अन्य दृष्टि परिवर्तन, चिंता, भ्रम, कानों में गूंज, नाक से खून आना और असामान्य हृदय ताल शामिल हैं.
जीवनशैली में बदलाव जैसे स्वस्थ आहार खाना, तंबाकू और शराब छोड़ना और अधिक सक्रिय रहना रक्तचाप को कम करने में मदद कर सकता है. कई अवसरों पर दवाओं की आवश्यकता हो सकती है.
भारतीय सिनेरियो
अनुमानतः चार में से एक वयस्क भारतीय उच्च रक्तचाप से पीड़ित है. इनमें से केवल 10 प्रतिशत का रक्तचाप नियंत्रण में है. भारत को बढ़े हुए रक्तचाप की व्यापकता में 25 प्रतिशत की कमी के लक्ष्य तक पहुंचने में मदद करने के लिए, नवंबर 2017 में भारत उच्च रक्तचाप नियंत्रण पहल (IHCI) शुरू की गई थी. इसमें भारत सरकार और राज्य सरकारें नेतृत्व प्रदान कर रही थीं, और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) भारत तकनीकी सहायता प्रदान कर रहा है.
IHCI को 25 राज्यों के 141 जिलों में लागू किया गया था, जिसमें 303 मिलियन लोगों को शामिल किया गया था. इसके परिणामस्वरूप 21579 स्वास्थ्य सुविधाएं उच्च रक्तचाप से पीड़ित लोगों को सहायता प्रदान कर रही थीं. पिछले चार वर्षों में, भारत की अनुमानित उच्च रक्तचाप से ग्रस्त वयस्क आबादी का 12.5 प्रतिशत आईएचसीआई में नामांकित किया गया है. इसमें 72 प्रतिशत रोगी रिटेंशन रेट है. इसके कारण नियंत्रित रक्तचाप वाले रोगियों की संख्या 2019 की पहली तिमाही में 65240 से बढ़कर 2022 की पहली तिमाही में 777243 हो गई है.
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