नालंदा : बिहार का ऐतिहासिक शहर राजगीर अपने भीतर इतिहास की थाती को संजोए हुए है. राजगीर विश्व के मानचित्र में बहुत पुराना स्थान है. यह एक अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन स्थल होने के साथ विश्व की धरोहर में से एक है. इन्हीं में से एक है 'साइक्लोपियन वॉल' जिसे 'द ग्रेट वॉल ऑफ चाइना' से भी पुराना बताया जा रहा है.
संकट में राजगीर की दीवार : इतिहासकारों की मानें तो राजगीर की ये दीवार चीन की दीवार से भी 600 साल पुरानी है. ये दीवार महाभारतकालीन दीवार है, जिसे सुरक्षा की दृष्टि से तैयार किया गया था. अफसोस इस बात का है कि ऐतिहासिक महत्व रखने वाली ये दीवार अब पुरात्तव विभाग की अनदेखी का शिकार हो गई है. यही वजह है कि दीवार जहां-तहां क्षतिग्रस्त हो गई है. 1940-45 में इस दीवार की अंग्रेजों ने मरम्मत कराई थी तब से इसकी तरफ कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है.
राजगीर की वॉल को देखकर बनी चीन की दीवार : राजगीर की दीवार के इतिहास को लेकर इतिहासकार काफी आशान्वित हैं. उनका कहना है कि ये दीवार चीन की दीवार से भी 6 शताब्दी पूर्व की है. इसी दीवार की प्रतिकृति के तौर पर चीन में दीवार बनाई गई थी. राजगीर के इस वॉल को 'साइक्लोपियन वॉल' भी कहते हैं. इस दीवार का उल्लेख पाली ग्रंथों में भी मिलता है. पाली बौद्ध धर्म की प्राचीन भाषा है. ह्वेनसांग जब भारत आया (सन् 630 ई.) तो उसने भी इस दीवार का जिक्र किया था.
900 ईसा पूर्व हुआ निर्माण : मिस्र देश में साइक्लोपियन 11वीं-10वीं शताब्दी ईसा पूर्व में एक महान शासक हुआ करता था. उसके शासन काल में इस तरह की दीवारों का निर्माण होता था. इतिहासकारों की मानें तो मिस्र देश से जब कुछ लोग पलायित होकर राजगीर आए तो यहां पर उन्होंने अपनी सुरक्षा के लिए दीवार खड़ी की. मान्यता है कि इस साइक्लोपियन वॉल का निर्माण 9वीं से 8वीं शताब्दी ईसा पूर्व के बीच में हुआ था.
''राजगीर की साइक्लोपियन वॉल एक प्राचीन दीवार है. यह 40 से 45 किलोमीटर लंबी दीवार है. इसके निर्माण का अनुमानित कालखंड 9वीं और 8वीं शताब्दी ईसा पूर्व मानी जाती है. इसे किसने बनवाया इसका कोई अभिलेख हमारे पास नहीं है लेकिन ये मिस्री सभ्यता के लोग (मक्का क्षेत्र) जब इधर आए और मगध में बसे और उन्होंने राजगीर को अपनी राजधानी बनाई, जिसकी सुरक्षा के लिए ये दीवार बनाई गई. ग्रीस में 'साइक्लोपस' नाम के राजा ने 11वीं शताब्दी ईसा पूर्व इस तरह की दीवार बनाई थी इसलिए राजगीर की इस दीवार को 'साइक्लोपियन दीवार' कहते हैं.''- डॉ. लक्ष्मीकांत सिंह, इतिहासकार
महाभारत कालीन दीवार : भारत के प्राचीन इतिहास का उल्लेख 600 शताब्दी ईसा पूर्व नहीं मिलता है. यह कालखंड वैदिक युग का था. ऐसी मान्यता है कि बृहद्रथ ने राजगीर की इस दीवार की नींव रखी थी. बृहद्रथ के पुत्र जरासंध ने ही दीवार का निर्माण पूरा कराया था. ये वो दौर था जिसे आज हम महाभारत काल के नाम से जानते हैं. जरासंध ने ही मगध की सुरक्षा के लिए इस दीवार को अभेद्य बनाया था.
साइक्लोपियन वॉल की खासियत : राजगीर की दीवार की कुल लंबाई 45 से 48 किलोमीटर है. जो 14 फीट चौड़ी और कहीं कहीं 20 फीट तक ऊंची है. इसकी चिनाई नहीं हुई है. यह एक विशेष टेक्निक से बनाई गई है. जिसके कारण यह दीवार हजारों साल से टिकी हुई है. दो पत्थरों को एक दूसरे में लॉक करके दीवार को तैयार किया गया है. यह कला 'साइक्लोपियन कला' के रूप में उदाहरण होने की वजह से इस दीवार को 'साइक्लोपियन वॉल' कहा जाता है.
विश्व धरोहर में शामिल कराने का प्रयास जारी : साल 1905 से इस दीवार की सुरक्षा का जिम्मा भारतीय पुरातत्व विभाग को दिया गया है. 1987 में इस दीवार को यूनेस्कों में विश्व धरोहर में शामिल कराने के लिए दस्तावेज भी जमा कराने के लिए नामांकन किया गया लेकिन अभी तक इस ओर सफलता नहीं मिली है. खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस दिशा में पहल कर रहे हैं. इस दीवार पर इतिहासकार अभी भी अध्ययन कर रहे हैं.
महाभारत कालीन कनेक्शन : एक मान्यता यह भी है कि राजा बिम्बिसार और उनके पत्र अजातशुत्रु की राजधानी राजगृह थी. दोनों भगवान बुद्ध के समकालीन थे. सुरक्षा के दृष्टिकोण से शहर के चारो ओर पंच पहाड़ियों व समतल भूमि पर 48 किलोमीटर लंबी दीवार बनाई गई. इस दीवार को महाभारत कालीन बृहद्रथपुरी (वर्तमान राजगीर) के राजा बृहद्रथ से भी जोड़कर देखा जाता है. बात में उनके पुत्र जरासंध ने इस दीवार को पूरा कराया.
क्यों कहा जाता है साइक्लोपियन वॉल : पाली ग्रंथों में भी इस सुरक्षा दीवार का वर्णन मिलता है. दीवार को मजबूत करने के लिए 32 बड़े और 64 छोटे गेट थे. यह दुनिया में 'साइक्लोपियन चिनाई' के सबसे पुराने उदाहरणों में से एक है. ऐसी अधिकतर दीवारें माइसीनियन वास्तुकला की उदाहरण होती हैं. राजगीर की दीवार भी इसमें शुमार है. माना जाता है कि ग्रीक का 'साइक्लोपस' बहुत ही बलवान व्यक्ति था. उसने माइसीन व टिरिन की दीवारों को बनाने के लिए बड़े-बड़े पत्थरों को एक-दूसरे पर सजाया था. यही कारण है कि ऐसी दीवारों को 'साइक्लोपियन वॉल' कहा जाता है.
ये भी पढ़ें-
- 'बिहार में पर्यटन का होगा विकास, बढ़ेंगे रोजगार के अवसर'- केंद्रीय बजट पर बोले, पर्यटन मंत्री - Union Budget 2024
- महाबोधि-विष्णुपद मंदिर बनेंगे काशी विश्वनाथ की तरह, राजगीर-नालंदा को बनाया जाएगा ग्लोबल टूरिस्ट - Corridor Tourism In Union Budget
- नालंदा विश्वविद्यालय के नए कैंपस का शुभारंभ, बोले PM मोदी- 'विश्व को भारत के सामर्थ्य का परिचय देगा नालंदा' - Nalanda University
- अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल के रूप में गुलजार हुआ बिहार का राजगीर, जानें जू सफारी में क्या है खास