नई दिल्ली: दिल्ली के बुराड़ी में बन रहा केदारनाथ धाम मंदिर का विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा. इस बीच बुधवार को श्री केदारनाथ धाम दिल्ली ट्रस्ट ने मंदिर के नाम में से "धाम" शब्द को हटाने का ऐलान किया है. हालांकि, मंदिर के नाम में केदारनाथ रहेगा. साथ ही ट्रस्ट ने साफ कहा है कि केदारनाथ मंदिर का मॉडल बनाने से पीछे नहीं हटेंगे और जरूरत पड़ने पर कानूनी लड़ाई लड़ने के लिए तैयार हैं.
उत्तराखंड में तीर्थस्थलों और मंदिरों की देखरेख करने वाली बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) ने बुराड़ी में मूल केदारनाथ मंदिर की प्रतिकृति बनाने की योजना बनाने के लिए दिल्ली ट्रस्ट के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की धमकी दी है. मंदिर के फाउंडर सुरेंद्र सिंह रौतेला ने कहा कि भ्रम से बचने के लिए अपने ट्रस्ट के नाम से 'धाम' शब्द हटाने का फैसला किया है, लेकिन मंदिर बनाने से पीछे नहीं हटेंगे.
हम पहले नहीं हैंः रौतेला ने कहा, "हम केदारनाथ के मॉडल पर मंदिर बनाने वाले पहले लोग नहीं हैं. इंदौर और मुंबई में भी है. अगर वे (बीकेटीसी) कानूनी कार्रवाई करना चाहते हैं तो उन्हें सभी के खिलाफ ऐसा करना चाहिए." उन्होंने कहा, "हमने कुछ भी गलत नहीं किया है, हम हिंदुओं और सनातन धर्म के लिए अच्छा काम कर रहे हैं. हम कानूनी चुनौती के बावजूद मंदिर का निर्माण जारी रखेंगे. दिल्ली में केदारनाथ मंदिर ट्रस्ट द्वारा जुटाए गए दान के पैसे से बनाया जाएगा. दो से तीन वर्षों में बनकर तैयार हो जाएगा."
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बाकी जगह भी हैं कई मंदिरः रौतेला का कहना है कि हमारे 12 ज्योतिर्लिंग हैं उन सभी ज्योतिर्लिंग के नाम से देश में कई स्थानों पर अलग-अलग मंदिर बने हुए हैं. गुजरात में मुख्य सोमनाथ ज्योतिर्लिंग हैं और दिल्ली में भी एक सोमनाथ मंदिर है. रौतेला ने आंध्र प्रदेश में मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग का जिक्र करते हुए कहा कि बेंगलुरु में भी मल्लिकार्जुन मंदिर है. हम भगवान शिव का एक मंदिर बना रहे हैं. लेकिन कुछ लोग अपने राजनीतिक लाभ के लिए इसे केदारनाथ धाम से जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं.
विवाद को लेकर सालासर बालाजी मंदिर के आचार्य का कहना है कि भगवान शिव का एक मंदिर बन रहा हैं और यह पहली बार नहीं है जब बाबा भोलेनाथ का किसी स्थान पर मंदिर बन रहा हो. केदारनाथ धाम पर कुछ लोग बेवजह राजनीति कर रहे हैं. मंदिर बनने से सनातन धर्म का ही प्रचार होगा. जो लोग उत्तराखंड के केदारनाथ धाम नहीं जा पा रहे हैं वे आस्था के साथ यहां बनने वाले मंदिर आ सकते हैं.
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