ETV Bharat / bharat

SC ने दो चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति पर रोक लगाने से इनकार किया - SC EC commissioner appointment

Supreme Court Election commissioner appointment: सुप्रीम कोर्ट ने आज दो चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के मामले में बड़ा फैसला सुनाया है. शीर्ष अदालत ने चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति पर रोक लगाने से इनकार कर दिया.

author img

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Mar 21, 2024, 1:21 PM IST

SC refuses to stay appointment of two election commissioners
SC ने दो चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति पर रोक लगाने से इनकार किया

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बृहस्पतिवार को दो नए चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति में हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए कहा कि चुनाव नजदीक हैं और उनकी नियुक्ति पर रोक से अराजकता पैदा होगी. न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील प्रशांत भूषण से अनुच्छेद 324 के खंड 2 को पढ़ने के लिए कहा.

न्यायमूर्ति खन्ना ने कहा,'शुरुआत से इस फैसले तक राष्ट्रपति नियुक्तियाँ कर रहे थे. और एक प्रक्रिया निर्धारित थी और यह काम कर रही थी. जाहिर है इस फैसले (2023) का इरादा संसद पर कानून बनाने के लिए दबाव डालना था. यह अदालत यह नहीं कह सकती कि किस तरह का कानून पारित किया जाना है. ऐसा नहीं है कि पहले चुनाव नहीं हुए थे.'

पीठ ने भूषण से कहा कि 1950 से चुनाव आयुक्तों के लिए कई नियुक्तियां की गईं और यदि याचिकाकर्ताओं की दलीलें स्वीकार कर ली गईं तो इससे अराजकता पैदा हो जाएगी, जबकि चुनाव नजदीक हैं. पीठ ने इस बात पर जोर दिया कि सरकार द्वारा नियुक्त चुनाव आयुक्तों के खिलाफ कोई आरोप नहीं हैं. भूषण ने शीर्ष अदालत से यह निर्देश पारित करने का आग्रह किया कि भारत के मुख्य न्यायाधीश का पैनल बैठक करे और व्यक्तियों का चयन करे और सब कुछ काम करेगा.

पीठ ने कहा कि 2023 में पारित संविधान पीठ के फैसले में यह नहीं कहा गया है कि संसद द्वारा पारित नए कानून में चयन समिति में एक न्यायिक सदस्य को शामिल किया जाना चाहिए और कहा कि भूषण यह नहीं कह सकते कि चुनाव आयोग कार्यपालिका के अधीन है. शीर्ष अदालत ने 2023 के कानून पर रोक लगाने से भी इनकार कर दिया, जिसने चुनाव आयोग के सदस्यों की नियुक्ति के लिए एक नई व्यवस्था निर्धारित की, और नियुक्तियों में तेजी लाने के लिए केंद्र सरकार की आलोचना भी की.

केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता का कहना है कि 2023 के फैसले से यह स्पष्ट हो गया है कि संसद को ईसी और सीईसी की नियुक्ति के लिए एक कानून पारित करना होगा. मेहता ने कहा कि अधिनियम लागू होने के बाद ईसी के चयन के लिए प्रक्रिया शुरू हुई. पीठ ने कहा कि केंद्र ने 14 मार्च को पैनल के सदस्यों को ईसी की नियुक्ति के लिए उम्मीदवारों की सूची दी थी. पीठ ने केंद्र से पूछा, उसने ईसी के लिए 200 में से 6 नामों को कैसे शॉर्टलिस्ट किया और चयन समिति को निर्णय लेने के लिए कुछ दिन और दिए जाने चाहिए थे. पीठ ने कहा कि केंद्र को थोड़ा धीमा चलना चाहिए था. पीठ ने मेहता से सवाल किया कि जब विपक्ष के नेता ने नामों पर विचार करने के लिए कुछ समय मांगा तो उन्हें अतिरिक्त समय क्यों नहीं मिला?

ये भी पढ़ें- EC की स्वतंत्रता चयन समिति में न्यायिक सदस्य की उपस्थिति के कारण नहीं, केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट दिया जवाब

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बृहस्पतिवार को दो नए चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति में हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए कहा कि चुनाव नजदीक हैं और उनकी नियुक्ति पर रोक से अराजकता पैदा होगी. न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील प्रशांत भूषण से अनुच्छेद 324 के खंड 2 को पढ़ने के लिए कहा.

न्यायमूर्ति खन्ना ने कहा,'शुरुआत से इस फैसले तक राष्ट्रपति नियुक्तियाँ कर रहे थे. और एक प्रक्रिया निर्धारित थी और यह काम कर रही थी. जाहिर है इस फैसले (2023) का इरादा संसद पर कानून बनाने के लिए दबाव डालना था. यह अदालत यह नहीं कह सकती कि किस तरह का कानून पारित किया जाना है. ऐसा नहीं है कि पहले चुनाव नहीं हुए थे.'

पीठ ने भूषण से कहा कि 1950 से चुनाव आयुक्तों के लिए कई नियुक्तियां की गईं और यदि याचिकाकर्ताओं की दलीलें स्वीकार कर ली गईं तो इससे अराजकता पैदा हो जाएगी, जबकि चुनाव नजदीक हैं. पीठ ने इस बात पर जोर दिया कि सरकार द्वारा नियुक्त चुनाव आयुक्तों के खिलाफ कोई आरोप नहीं हैं. भूषण ने शीर्ष अदालत से यह निर्देश पारित करने का आग्रह किया कि भारत के मुख्य न्यायाधीश का पैनल बैठक करे और व्यक्तियों का चयन करे और सब कुछ काम करेगा.

पीठ ने कहा कि 2023 में पारित संविधान पीठ के फैसले में यह नहीं कहा गया है कि संसद द्वारा पारित नए कानून में चयन समिति में एक न्यायिक सदस्य को शामिल किया जाना चाहिए और कहा कि भूषण यह नहीं कह सकते कि चुनाव आयोग कार्यपालिका के अधीन है. शीर्ष अदालत ने 2023 के कानून पर रोक लगाने से भी इनकार कर दिया, जिसने चुनाव आयोग के सदस्यों की नियुक्ति के लिए एक नई व्यवस्था निर्धारित की, और नियुक्तियों में तेजी लाने के लिए केंद्र सरकार की आलोचना भी की.

केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता का कहना है कि 2023 के फैसले से यह स्पष्ट हो गया है कि संसद को ईसी और सीईसी की नियुक्ति के लिए एक कानून पारित करना होगा. मेहता ने कहा कि अधिनियम लागू होने के बाद ईसी के चयन के लिए प्रक्रिया शुरू हुई. पीठ ने कहा कि केंद्र ने 14 मार्च को पैनल के सदस्यों को ईसी की नियुक्ति के लिए उम्मीदवारों की सूची दी थी. पीठ ने केंद्र से पूछा, उसने ईसी के लिए 200 में से 6 नामों को कैसे शॉर्टलिस्ट किया और चयन समिति को निर्णय लेने के लिए कुछ दिन और दिए जाने चाहिए थे. पीठ ने कहा कि केंद्र को थोड़ा धीमा चलना चाहिए था. पीठ ने मेहता से सवाल किया कि जब विपक्ष के नेता ने नामों पर विचार करने के लिए कुछ समय मांगा तो उन्हें अतिरिक्त समय क्यों नहीं मिला?

ये भी पढ़ें- EC की स्वतंत्रता चयन समिति में न्यायिक सदस्य की उपस्थिति के कारण नहीं, केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट दिया जवाब
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.