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क्या आप जानते हैं बुढ़ापा आने पर लोग धीरे क्यों चलते हैं? शोध में हुआ इसका खुलासा - Old Age Activities - OLD AGE ACTIVITIES

एक उम्र के बाद किसी भी व्यक्ति की प्रतिक्रिया करने का समय ज्यादा हो जाता है. चलना धीमा हो जाता है और कोई भी काम करना धीमा हो जाता है. लेकिन यहां पर सवाल यह उठता है कि आखिर ऐसा क्यों होता है. इस सवाल का जवाब एक वैज्ञानिकों द्वारा किए गए एक शोध में सामने आया है.

People Move Slower as Getting Old
बुढ़ापे में लोग धीरे क्यों चलते हैं (फोटो - IANS Photo)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jun 4, 2024, 1:26 PM IST

हैदराबाद: ये तो सभी को पता है कि जैसे-जैसे किसी व्यक्ति की उम्र ढलती है, वैसे-वैसे उस व्यक्ति की क्रियाएं धीमी होने लगती है. वह हर काम धीरे करने लगता है और यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है. आम तौर पर इसके लिए लोगों का कहना है कि इसके पीछे कुछ संभावित कारण जैसे धीमी चयापचय, मांसपेशियों का नुकसान और समय के साथ कम सक्रिय होना शामिल हो सकता है. लेकिन सवाल यह उठता है कि आखिर क्यों बूढ़े लोग धीरे चलते या काम करते हैं.

लेकिन कोलोराडो बोल्डर विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने एक शोध के आधार पर बताया कि वृद्ध वयस्क आंशिक रूप से धीमी गति से चलते हैं या कोई भी काम करते हैं, क्योंकि उन्हें युवा वयस्कों की तुलना में ऐसा करने के लिए अधिक ऊर्जा खर्च करनी पड़ती है. वैज्ञानिकों का मानना ​​है कि यह नया शोध पार्किंसंस रोग और मल्टीपल स्केलेरोसिस जैसी बीमारियों के लिए नए नैदानिक ​​उपकरणों के विकास में सहायक हो सकता है.

ऊर्जा बचाने के लिए धीमी रफ्तार से चलते हैं बुजुर्ग
यह शोध हाल ही में जर्नल ऑफ न्यूरोसाइंस पत्रिका में प्रकाशित हुआ है. इस अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने 84 स्वस्थ प्रतिभागियों को शामिल किया, जिनमें 18 से 35 वर्ष की आयु के युवा वयस्क और 66 से 87 वर्ष की आयु के वृद्ध वयस्क शामिल थे. अध्ययन के दौरान प्रतिभागियों को अपने दाहिने हाथ में रोबोटिक हाथ पकड़कर स्क्रीन पर किसी लक्ष्य तक पहुंचने के लिए कहा गया.

रोबोटिक हाथ कंप्यूटर माउस की तरह ही काम करता था. इस शोध में प्रतिभागियों द्वारा उनकी पहुंच के प्रदर्शन के पैटर्न का विश्लेषण करने पर, वैज्ञानिकों ने पाया कि युवा वयस्कों की तुलना में, वृद्ध वयस्कों ने अपनी सीमित मात्रा में ऊर्जा को संरक्षित करने के लिए कुछ निश्चित समय पर अपनी गतिविधियों को संशोधित किया.

क्या उम्र के साथ दिमाग भी काम करना कर देता है बंद
शोध में इस बात का भी विश्लेषण किया गया कि उम्र बढ़ने से मस्तिष्क में 'इनाम सर्किटरी' कैसे प्रभावित हो सकता है, क्योंकि उम्र बढ़ने के साथ शरीर कम डोपामाइन का उत्पादन करता है. एक बार फिर, प्रतिभागियों को रोबोटिक हाथ का उपयोग करके कंप्यूटर स्क्रीन पर कर्सर चलाने के लिए कहा गया. इसका उद्देश्य स्क्रीन पर एक विशिष्ट लक्ष्य तक पहुंचना था. जब वे लक्ष्य पर पहुंचते, तो 'बिंग' ध्वनि होती थी.

शोधकर्ताओं ने पाया कि युवा और वृद्ध दोनों ही अपने लक्ष्य तक जल्दी पहुंच जाते हैं, जब उन्हें पता चलता है कि 'बिंग' ध्वनि आएगी. हालांकि, वैज्ञानिकों का कहना है कि उन्होंने इसे अलग तरीके से हासिल किया. युवा वयस्कों ने अपनी भुजाओं को तेजी से चलाया, जबकि वृद्ध वयस्कों ने अपनी प्रतिक्रिया समय में सुधार किया. उन्होंने रोबोटिक हाथ से औसतन 17 मिलीसेकंड पहले ही अपनी पहुंच शुरू कर दी.

हैदराबाद: ये तो सभी को पता है कि जैसे-जैसे किसी व्यक्ति की उम्र ढलती है, वैसे-वैसे उस व्यक्ति की क्रियाएं धीमी होने लगती है. वह हर काम धीरे करने लगता है और यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है. आम तौर पर इसके लिए लोगों का कहना है कि इसके पीछे कुछ संभावित कारण जैसे धीमी चयापचय, मांसपेशियों का नुकसान और समय के साथ कम सक्रिय होना शामिल हो सकता है. लेकिन सवाल यह उठता है कि आखिर क्यों बूढ़े लोग धीरे चलते या काम करते हैं.

लेकिन कोलोराडो बोल्डर विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने एक शोध के आधार पर बताया कि वृद्ध वयस्क आंशिक रूप से धीमी गति से चलते हैं या कोई भी काम करते हैं, क्योंकि उन्हें युवा वयस्कों की तुलना में ऐसा करने के लिए अधिक ऊर्जा खर्च करनी पड़ती है. वैज्ञानिकों का मानना ​​है कि यह नया शोध पार्किंसंस रोग और मल्टीपल स्केलेरोसिस जैसी बीमारियों के लिए नए नैदानिक ​​उपकरणों के विकास में सहायक हो सकता है.

ऊर्जा बचाने के लिए धीमी रफ्तार से चलते हैं बुजुर्ग
यह शोध हाल ही में जर्नल ऑफ न्यूरोसाइंस पत्रिका में प्रकाशित हुआ है. इस अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने 84 स्वस्थ प्रतिभागियों को शामिल किया, जिनमें 18 से 35 वर्ष की आयु के युवा वयस्क और 66 से 87 वर्ष की आयु के वृद्ध वयस्क शामिल थे. अध्ययन के दौरान प्रतिभागियों को अपने दाहिने हाथ में रोबोटिक हाथ पकड़कर स्क्रीन पर किसी लक्ष्य तक पहुंचने के लिए कहा गया.

रोबोटिक हाथ कंप्यूटर माउस की तरह ही काम करता था. इस शोध में प्रतिभागियों द्वारा उनकी पहुंच के प्रदर्शन के पैटर्न का विश्लेषण करने पर, वैज्ञानिकों ने पाया कि युवा वयस्कों की तुलना में, वृद्ध वयस्कों ने अपनी सीमित मात्रा में ऊर्जा को संरक्षित करने के लिए कुछ निश्चित समय पर अपनी गतिविधियों को संशोधित किया.

क्या उम्र के साथ दिमाग भी काम करना कर देता है बंद
शोध में इस बात का भी विश्लेषण किया गया कि उम्र बढ़ने से मस्तिष्क में 'इनाम सर्किटरी' कैसे प्रभावित हो सकता है, क्योंकि उम्र बढ़ने के साथ शरीर कम डोपामाइन का उत्पादन करता है. एक बार फिर, प्रतिभागियों को रोबोटिक हाथ का उपयोग करके कंप्यूटर स्क्रीन पर कर्सर चलाने के लिए कहा गया. इसका उद्देश्य स्क्रीन पर एक विशिष्ट लक्ष्य तक पहुंचना था. जब वे लक्ष्य पर पहुंचते, तो 'बिंग' ध्वनि होती थी.

शोधकर्ताओं ने पाया कि युवा और वृद्ध दोनों ही अपने लक्ष्य तक जल्दी पहुंच जाते हैं, जब उन्हें पता चलता है कि 'बिंग' ध्वनि आएगी. हालांकि, वैज्ञानिकों का कहना है कि उन्होंने इसे अलग तरीके से हासिल किया. युवा वयस्कों ने अपनी भुजाओं को तेजी से चलाया, जबकि वृद्ध वयस्कों ने अपनी प्रतिक्रिया समय में सुधार किया. उन्होंने रोबोटिक हाथ से औसतन 17 मिलीसेकंड पहले ही अपनी पहुंच शुरू कर दी.

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