नई दिल्ली: ईरान और इजराइल के बीच जारी तनाव के बीच मध्य एशिया में परमाणु हमले का खतरा बना हुआ है. जहां एक ओर माना इजराइल परमाणु संपन्न देश माना जाता है. वहीं, ईरान भी लगभग परमाणु बम बनाने के नजदीक पहुंच चुका हैं. कहा जाता है कि ईरान के पास इतनी मात्रा में यूरिनियम है, जिससे वह कभी भी परमाणु बम बना सकता है.
फिलहाल दुनिया में सिर्फ नौ देश ही ऐसे हैं, जिनके पास परमाणु बम है और भारत उन शक्तिशाली देशों में से एक है. आपने परमाणु बम और उसकी टेस्टिंग को लेकर कई रोचक तथ्य सुने होंगे, लेकिन क्या आपने कभी सुना है कि प्याज और आलू परमाणु बम की टेस्टिंग में अहम भूमिका निभाते हैं?
द डेली गार्जियन की रिपोर्ट के मुताबिक भारत ने पोखरण में जो परमाणु परीक्षण किया था, उसमें कई टन प्याज और आलू का इस्तेमाल किया गया था. भारत के उदाहरण को फॉलो करते हुए, कई अन्य देशों ने भी अपने परमाणु बम परीक्षणों में प्याज और टमाटर का इस्तेमाल किया. हालांकि, आप में से अधिकांश यह जानने के लिए उत्साहित होंगे कि परमाणु बम परीक्षण में प्याज और आलू का उपयोग कैसे और क्यों किया जाता है?
परमाणु परीक्षण में प्याज की भूमिका
परमाणु बम की टेस्टिंग में प्याज और आलू का इस्तेमाल रेडिएशन की मात्रा को कम करने के लिए किया जाता है. चूंकि परमाणु विस्फोट से अल्फा, बीटा और गामा किरणें निकलती हैं. वहीं प्याज में इन रेडिएशन को अवशोषित करने की क्षमता होती है और इसी उद्देश्य से परमाणु परीक्षण स्थल पर लाखों टन प्याज गाड़ दिए जाते हैं. बता दें इन रेडिएशन को नियंत्रित करना महत्वपूर्ण है क्योंकि अगर रेडिएशन मनुष्यों के संपर्क में आते हैं, तो ब्लड टिश्यू तुरंत नष्ट हो सकते हैं,
वैज्ञानिकों ने पाया है कि रेडिएशन के संपर्क में आने वाली कोशिकाओं की जीवित रहने की दर को प्याज के अर्क से बेहतर बनाया जा सकता है. फ्लेवोनोइड्स और फेनोलिक एसिड से भरपूर प्याज में प्राकृतिक रूप से एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-जीनोटॉक्सिक गुण होते हैं. रिपोर्ट्स में कहा गया है कि प्याज की जड़ों का उपयोग परमाणु बम के परीक्षणों से निकलने वाले रेडिएशन के प्रभावों का अध्ययन करने के लिए किया जाता है.
परमाणु परीक्षण में आलू की भूमिका
आलू की भूमिका के बारे में बात करें तो इसका उपयोग रेडिएशन के प्रभाव को कम करने के लिए किया जाता है. इसके अलावा, आलू का उपयोग यह देखने के लिए भी किया जाता है कि परमाणु विस्फोटों से अर्ध-विनाशकारी खाद्य पदार्थ कैसे प्रभावित होते हैं.
हाल ही में एक वैज्ञानिक उपलब्धि में टेनेसी विश्वविद्यालय के प्लांट साइंस शोधकर्ताओं ने पाया है कि आलू असाधारण रूप से गामा रेडिएशन को अच्छी तरह से सोख लेते हैं, जिसका उपयोग इंजीनियर प्लांट-आधारित सेंसर में किया जा सकता है जो समुदायों को हानिकारक रेडिएशन से बचाने में मदद कर सकते हैं.