नई दिल्ली: जीवन जीने के लिए पानी बेहद जरूरी है. सौरमंडल में पृथ्वी ही एकमात्र ऐसी जगह है, जहां पर सांस लिया जा सकता है. पृथ्वी का लगभग 71 प्रतिशत भाग पानी से ढका हुआ है. हालांकि, पृथ्वी के पड़ोसी और सूर्य के निकटतम ग्रह शुक्र की बात करें तो वह एकदम सूखा है और वहां पर पानी नहीं है. ऐसे में आपके मन में आएगा कि आखिर क्यों? तो बता दें कि अमेरिकी वैज्ञानिकों ने शुक्र ग्रह के शुष्क होने का कारण पता लगा लिया है.
तो सारा पानी झट से बन जाएगा भाप
बता दें कि अमेरिकी वैज्ञानिकों के नए रिसर्च के अनुसार शुक्र ग्रह के पानी के बिना शुष्क होने का कारण यह है कि वहां पानी बनने के लिए आवश्यक दो तत्वों की कमी है. वायुमंडल में हाइड्रोजन (जो पानी के लिए आवश्यक है) अनुपस्थित है, उन्होंने कहा कि ऑक्सीजन के लिए वहां कोई पूरक तत्व नहीं हैं. यदि पृथ्वी पर मौजूद समस्त जल को एकत्रित करके फैला दिया जाये तो 3 किलोमीटर गहराई की एक जल परत बन जाएगी. यदि हम शुक्र ग्रह पर भी ऐसा ही करें तो वहां सारा पानी तुरंत भाप बन जाएगा.
रिसर्च में भाग लेने वाले एरिन कांगी ने कहा कि 'पानी केवल 3 सेमी गहरी परत में बनता है, उन्होंने कहा कि हालांकि, वर्तमान में शुक्र के ऊपर का वातावरण शुष्क है, लेकिन अतीत में अनुकूल वातावरण था. शुक्र ग्रह का निर्माण भी 100 मिलियन वर्ष पहले हुआ था और इसका जलस्तर भी पृथ्वी के समान था. शुक्र की वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड मौजूद हैं. उन्होंने बताया कि एक पॉइंट पर आकर ग्रीनहाउस का तेज प्रभाव अनुभव किया गया. इससे ग्रह का तापमान 500 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ गया और परिणामस्वरूप, वहां मौजूद सारा पानी भाप हो गया और बाहरी अंतरिक्ष में प्रवेश कर गया.
आज शुक्र सूखा क्यों है?
रिसर्चर्स ने कहा कि इस बात का कोई स्पष्टीकरण नहीं है कि ग्रह अभी भी पानी क्यों खो रहा है. एक नए रिसर्च में हमने खोज के लिए कंप्यूटर सिमुलेशन यूज किया. शुक्र ग्रह के ऊपरी वायुमंडल में अणुओं का पता चला है, जो इसका कारण हो सकता है. कार्बन डाइऑक्साइड को पानी के साथ मिलाने से अणुओं का निर्माण होता है. अध्ययन में HCO+ अपघटन के कारण पानी की हानि का विश्लेषण किया गया. यह वायुमंडल में इलेक्ट्रॉनों के साथ एक बंधन बनाता है और परिणामस्वरूप नेगेटिव चार्ज शुरू होता है. ऐसी स्थिति में HCO+ अणु दो भागों में बंट जाते हैं. इस प्रोसेस में पानी भी वायुमंडल द्वारा पूरी तरह से सोख लिया जाता है. परिणामस्वरूप, पानी बनाने के लिए दो आवश्यक तत्व उपलब्ध वहां नहीं हैं.