ETV Bharat / bharat

भगवान भोलेनाथ के लिए क्यों खास है सोमवार, जानें कब से शुरू हो रहा ब्रह्म मुहूर्त, सावन की पहली सोमवारी पर बाबा धाम में उमड़ी भक्तों की भीड़ - Sawan 2024

author img

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jul 22, 2024, 7:15 AM IST

First Monday of Sawan 2024. आज से सावन महीने की शुरुआत हो रही है. आज सावन की पहली सोमवारी भी है. इस अवसर पर देवघर के बाबा बैद्यनाथ धाम में भक्तों की भीड़ उमड़ी है. रात से भी भक्त कतार में लगे हुए हैं. सुबह से ही भक्तों को बाबा के दर्शन मिलने शुरू हो गए हैं.

First Monday of Sawan 2024
ईटीवी भारत ग्राफिक्स इमेज (ईटीवी भारत)

देवघर: सावन का आज पहला दिन है और पहले ही दिन सोमवारी है. पहली सोमवारी पर देवघर के बाबा बैद्यनाथ धाम में भगवान भोलेनाथ के दर्शन के लिए भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी है. रविवार की रात से ही बड़ी संख्या में भक्त बाबा भोलेनाथ के दर्शन के लिए लाइन मे लगे हुए हैं. जैसे ही सुबह-मंदिर का कपाट खुला, वैसे ही भक्त बाबा के दर्शन करने लगे. भक्तों की भीड़ को देखते हुए प्रशासन और मंदिर प्रबंधन की ओर से सुरक्षा के साथ ही अन्य तरह के तमाम इंतजाम किए गए हैं.

भगवान भोलेनाथ के लिए क्यों खास है सोमवार (ईटीवी भारत)

बता दें कि सोमवार को सुबह 3:05 बजे से शुभ ब्रह्म मुहूर्त शुरू हो जाएगा. मान्यता है कि जो भक्त ब्रह्म मुहूर्त में भगवान भोलेनाथ पर जलाभिषेक कर आशीर्वाद लेते हैं, उनकी मनोकामनाएं अवश्य पूरी होती हैं. इस साल सावन का महीना कई अद्भुत संयोग लेकर आया है. सोमवार का दिन भगवान भोलेनाथ के भक्तों लिए सबसे शुभ दिन माना जाता है. इस बार सावन की शुरुआत भी सोमवार से हो रही है, वहीं सावन का पवित्र महीना भी सोमवार को खत्म हो रहा है.

देवघर बाबा मंदिर के वरिष्ठ पंडा लंबोदर परिहस्त का कहना है कि भगवान भोलेनाथ एकमात्र ऐसे देवता हैं जिनकी पूजा साल के 365 दिन की जा सकती है. लेकिन आध्यात्म के अनुसार सोमवार का दिन भगवान भोलेनाथ के लिए बेहद खास होता है. सोमवार चंद्रमा का दिन होता है. इसलिए जो व्यक्ति सोमवार को भगवान भोलेनाथ की पूजा करता है. उसकी हर मनोकामना पूरी होती है.

सोमवार को क्यों माना जाता है खास

उन्होंने बताया कि एक बार भगवान शिव ने चंद्रमा को श्राप से बचाया था. इसलिए चंद्र देव ने अपना दिन भगवान भोलेनाथ के लिए बेहद खास रखा है. समुद्र मंथन के दौरान जब भगवान भोलेनाथ ने विष पिया तो उनका शरीर जल रहा था लेकिन गंगा, बेलपत्र और गाय के दूध से उन्हें शीतलता मिली. इसलिए सनातन धर्म में मान्यता है कि सावन माह में जब बारिश होती है तो भगवान भोलेनाथ को शीतलता मिलती है और भगवान प्रसन्न होकर भक्तों को आशीर्वाद देते हैं. मंदिर के वरिष्ठ पुजारी लंबोदर परिहस्त बताते हैं कि सोमवार की सुबह 3:05 बजे से शुभ ब्रह्म मुहूर्त शुरू हो जाएगा. ऐसे में जो भक्त ब्रह्म मुहूर्त में भगवान भोलेनाथ पर जलाभिषेक कर आशीर्वाद लेंगे उनकी मनोकामनाएं अवश्य पूरी होंगी.

बाबा धाम में स्थापित है पंचशूल

वहीं मंदिर के पंडा झलक बाबा बताते हैं कि देवघर स्थित बाबा बैद्यनाथ के मंदिर में किसी भी ग्रह का प्रभाव नहीं लगता है क्योंकि यहां पंचशूल है. पूरा संसार और शरीर पांच तत्वों से बना है. अन्य मंदिरों में त्रिशूल है लेकिन देवघर का बाबा मंदिर एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां पंचशूल स्थापित है. जो भक्त पंचशूल के दर्शन कर भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक करते हैं उनके जीवन के सभी ग्रह गोचर समाप्त हो जाते हैं. भगवान शिव के साथ मां पार्वती, भगवान गणेश, भगवान कार्तिकेय और भगवान नंदी की पूजा करने से भक्तों को भगवान भोलेनाथ का सीधा आशीर्वाद प्राप्त होता है.

भगवान को चढ़ाएं इनका भोग

उन्होंने बताया कि भगवान भोलेनाथ की पूजा करने के लिए गंगाजल, बेलपत्र और गाय के दूध को सबसे उत्तम माना गया है क्योंकि सावन के महीने में भगवान भोलेनाथ इन तीनों के भोग से प्रसन्न होते हैं. अगर सोमवार को भगवान भोलेनाथ की पूजा करने की विधि की बात करें तो पुजारी ने बताया कि भक्त को अपने साथ गंगाजल, बेलपत्र और गाय का दूध जरूर रखना चाहिए. इसके अलावा भक्त अपनी संतुष्टि के लिए जनेऊ, धतूरा, धूपबत्ती, शहद, पंच पात्र, कपूर, घी नारियल, घंटी भी रख सकते हैं.

यह भी पढ़ें:

सावन की पहली सोमवारी: अहले सुबह खुल जाएंगे शिवभक्तों के लिए अमरेश्वर धाम की कपाट - Sawan 2024

पहली सोमवारी को बाबा का जलाभिषेक करने के लिए भक्तों में उत्साह, कई किलोमीटर तक कतार में खड़े इंतजार में हैं श्रद्धालु - Shravani Mela 2024

श्रावणी मेले के लिए देवघर पूरी तरह तैयार, श्रद्धालुओं के लिए की जा रही खास व्यवस्था - Shravani Mela 2024

देवघर: सावन का आज पहला दिन है और पहले ही दिन सोमवारी है. पहली सोमवारी पर देवघर के बाबा बैद्यनाथ धाम में भगवान भोलेनाथ के दर्शन के लिए भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी है. रविवार की रात से ही बड़ी संख्या में भक्त बाबा भोलेनाथ के दर्शन के लिए लाइन मे लगे हुए हैं. जैसे ही सुबह-मंदिर का कपाट खुला, वैसे ही भक्त बाबा के दर्शन करने लगे. भक्तों की भीड़ को देखते हुए प्रशासन और मंदिर प्रबंधन की ओर से सुरक्षा के साथ ही अन्य तरह के तमाम इंतजाम किए गए हैं.

भगवान भोलेनाथ के लिए क्यों खास है सोमवार (ईटीवी भारत)

बता दें कि सोमवार को सुबह 3:05 बजे से शुभ ब्रह्म मुहूर्त शुरू हो जाएगा. मान्यता है कि जो भक्त ब्रह्म मुहूर्त में भगवान भोलेनाथ पर जलाभिषेक कर आशीर्वाद लेते हैं, उनकी मनोकामनाएं अवश्य पूरी होती हैं. इस साल सावन का महीना कई अद्भुत संयोग लेकर आया है. सोमवार का दिन भगवान भोलेनाथ के भक्तों लिए सबसे शुभ दिन माना जाता है. इस बार सावन की शुरुआत भी सोमवार से हो रही है, वहीं सावन का पवित्र महीना भी सोमवार को खत्म हो रहा है.

देवघर बाबा मंदिर के वरिष्ठ पंडा लंबोदर परिहस्त का कहना है कि भगवान भोलेनाथ एकमात्र ऐसे देवता हैं जिनकी पूजा साल के 365 दिन की जा सकती है. लेकिन आध्यात्म के अनुसार सोमवार का दिन भगवान भोलेनाथ के लिए बेहद खास होता है. सोमवार चंद्रमा का दिन होता है. इसलिए जो व्यक्ति सोमवार को भगवान भोलेनाथ की पूजा करता है. उसकी हर मनोकामना पूरी होती है.

सोमवार को क्यों माना जाता है खास

उन्होंने बताया कि एक बार भगवान शिव ने चंद्रमा को श्राप से बचाया था. इसलिए चंद्र देव ने अपना दिन भगवान भोलेनाथ के लिए बेहद खास रखा है. समुद्र मंथन के दौरान जब भगवान भोलेनाथ ने विष पिया तो उनका शरीर जल रहा था लेकिन गंगा, बेलपत्र और गाय के दूध से उन्हें शीतलता मिली. इसलिए सनातन धर्म में मान्यता है कि सावन माह में जब बारिश होती है तो भगवान भोलेनाथ को शीतलता मिलती है और भगवान प्रसन्न होकर भक्तों को आशीर्वाद देते हैं. मंदिर के वरिष्ठ पुजारी लंबोदर परिहस्त बताते हैं कि सोमवार की सुबह 3:05 बजे से शुभ ब्रह्म मुहूर्त शुरू हो जाएगा. ऐसे में जो भक्त ब्रह्म मुहूर्त में भगवान भोलेनाथ पर जलाभिषेक कर आशीर्वाद लेंगे उनकी मनोकामनाएं अवश्य पूरी होंगी.

बाबा धाम में स्थापित है पंचशूल

वहीं मंदिर के पंडा झलक बाबा बताते हैं कि देवघर स्थित बाबा बैद्यनाथ के मंदिर में किसी भी ग्रह का प्रभाव नहीं लगता है क्योंकि यहां पंचशूल है. पूरा संसार और शरीर पांच तत्वों से बना है. अन्य मंदिरों में त्रिशूल है लेकिन देवघर का बाबा मंदिर एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां पंचशूल स्थापित है. जो भक्त पंचशूल के दर्शन कर भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक करते हैं उनके जीवन के सभी ग्रह गोचर समाप्त हो जाते हैं. भगवान शिव के साथ मां पार्वती, भगवान गणेश, भगवान कार्तिकेय और भगवान नंदी की पूजा करने से भक्तों को भगवान भोलेनाथ का सीधा आशीर्वाद प्राप्त होता है.

भगवान को चढ़ाएं इनका भोग

उन्होंने बताया कि भगवान भोलेनाथ की पूजा करने के लिए गंगाजल, बेलपत्र और गाय के दूध को सबसे उत्तम माना गया है क्योंकि सावन के महीने में भगवान भोलेनाथ इन तीनों के भोग से प्रसन्न होते हैं. अगर सोमवार को भगवान भोलेनाथ की पूजा करने की विधि की बात करें तो पुजारी ने बताया कि भक्त को अपने साथ गंगाजल, बेलपत्र और गाय का दूध जरूर रखना चाहिए. इसके अलावा भक्त अपनी संतुष्टि के लिए जनेऊ, धतूरा, धूपबत्ती, शहद, पंच पात्र, कपूर, घी नारियल, घंटी भी रख सकते हैं.

यह भी पढ़ें:

सावन की पहली सोमवारी: अहले सुबह खुल जाएंगे शिवभक्तों के लिए अमरेश्वर धाम की कपाट - Sawan 2024

पहली सोमवारी को बाबा का जलाभिषेक करने के लिए भक्तों में उत्साह, कई किलोमीटर तक कतार में खड़े इंतजार में हैं श्रद्धालु - Shravani Mela 2024

श्रावणी मेले के लिए देवघर पूरी तरह तैयार, श्रद्धालुओं के लिए की जा रही खास व्यवस्था - Shravani Mela 2024

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.