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क्यों रिजेक्ट होते हैं हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम? क्या गलतियां करते हैं पॉलिसी होल्डर, जानें

Health Insurance Claims: हम अक्सर हेल्थ पॉलिसी खरीदते समय इन क्लॉज को ध्यान से नहीं पढ़ते हैं और गलती कर बैठते हैं.

क्यों रिजेक्ट होते हैं हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम?
क्यों रिजेक्ट होते हैं हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम? (ANI)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : 2 hours ago

नई दिल्ली: हेल्‍थ इमरजेंसी कब किसके सामने आ जाए, कोई नहीं जानता. ऐसे में आज कल इलाज करवाना भी काफी महंगा हो गया है. कई बार इमरजेंसी पड़ने पर आपको अपनी जेब खाली करनी पड़ सकती है. यही वजह है हेल्‍थ इंश्‍योरेंस की ओर लोगों का रुझान तेजी से बढ़ रहा है. आज के समय में हेल्‍थ इंश्‍योरेंस लोगों के लिए जरूरत बन चुका है.

भारत में लाखों लोग अस्पताल के खर्चों से बचने के लिए हेल्थ इंश्योरेंस लेते हैं. हालांकि, कई बार जब उनके क्लेम का नबंर आता है तो वह रिजेक्ट हो जाता है, जिससे लोग निराश हो जाते हैं. लेकिन, क्या आपने कभी सोचा है कि इंश्योरेंस क्लेम रिजेक्ट क्यों हो जाते हैं. अगर नहीं तो आज हम आपको इसी के बारे में बताने जा रहे हैं.

बता दें कि हेल्थ इंश्योरेंस में कई अहम क्लॉज होते हैं. इनमें वेटिंग पीरियड, नॉन कवरेज डिजीज और ब्लैक लिस्टेड हॉस्पिटल शामिल हैं. हम अक्सर हेल्थ पॉलिसी खरीदते समय इन क्लॉज को ध्यान से नहीं पढ़ते हैं और गलती कर बैठते हैं.

वेटिंग पीरियड
हेल्थ इंश्योरेंस में वेटिंग पीरियड बेहद अहम होता है. दरअसल, इंश्योरेंस कंपनियां, कुछ बीमारियों के लिए एक निश्चित समय निर्धारित करती हैं, जिसे वेटिंग पीरियड कहते हैं. ऐसे में अगर वेटिंग पीरियड के दौरान संबंधित बीमारी के इलाज को लेकर क्लेम किया जाता है तो इंश्योरेंस कंपनी उसे रिजेक्ट कर देती है.

नॉन कवरेज डिजीज
कुछ बीमारियां ऐसे होती हैं, जिनके इलाज को हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के बाहर रखा जाता है. यानी हेल्थ पॉलिसी इन बीमारियों के कवर नहीं करती . इनमें नशे की लत जैसी आदत शामिल है. इसलिए आपके लिए जरूरी है कि पॉलिसी खरीदने से पहले इस बारे में पूरी जानकारी हासिल कर लें.

इंश्योरेंस लेते समय न छुपाएं बीमारी
हेल्थ इंश्योरेंस लेते समय कंपनी को अपनी हेल्थ के बारे में सही जानकारी जरूर दें, क्योंकि अगर क्लेम के समय इस बात का खुलासा होता है कि आपने इंश्योरेंस लेते समय बीमारी के बारे में नहीं बताया था, तो कंपनी आपको पैसा देने से इनकार कर सकती है.

ब्लैक लिस्टेड हॉस्पिटल
हेल्थ इंश्योरेंस लेने के बाद बेहतर है कि कंपनी के नेटवर्क हॉस्पिटल में ही इलाज करवाया जाए. इससे क्लेम इंश्योरेंस क्लेम करना आसान हो जाता है. साथ ही आपको ब्लैक लिस्टेड अस्पताल में इलाज करवाने के झंझट से भी छुटकारा मिलेगा. दरअसल, कई बार ग्राहक ब्लैक लिस्टेड अस्पताल में अपना इलाज करवा लेते हैं, जिसके चलते उनका क्लेम रिजेक्ट हो सकता है.

बिना वजह अस्पताल में न हों भर्ती
इसके अलावा कई बार पॉलिसी होल्डर बिना किसी जरूरत के या छोटी-मोटी बीमारी जैसे कि सामान्य बुखार आदि के कारण अस्पताल में भर्ती हो जाते हैं. हालांकि, ऐसा नहीं करना चाहिए, क्योंकि इस तरह की बीमारियों के लिए अस्पताल में भर्ती होने पर क्लेम रिजेक्ट हो सकता है.

यह भी पढ़ें- Techie Suicide: क्या है सेक्शन 498-A? जिसके दुरुपयोग पर SC और वरिष्ठ अधिवक्ता ने जताई चिंता

नई दिल्ली: हेल्‍थ इमरजेंसी कब किसके सामने आ जाए, कोई नहीं जानता. ऐसे में आज कल इलाज करवाना भी काफी महंगा हो गया है. कई बार इमरजेंसी पड़ने पर आपको अपनी जेब खाली करनी पड़ सकती है. यही वजह है हेल्‍थ इंश्‍योरेंस की ओर लोगों का रुझान तेजी से बढ़ रहा है. आज के समय में हेल्‍थ इंश्‍योरेंस लोगों के लिए जरूरत बन चुका है.

भारत में लाखों लोग अस्पताल के खर्चों से बचने के लिए हेल्थ इंश्योरेंस लेते हैं. हालांकि, कई बार जब उनके क्लेम का नबंर आता है तो वह रिजेक्ट हो जाता है, जिससे लोग निराश हो जाते हैं. लेकिन, क्या आपने कभी सोचा है कि इंश्योरेंस क्लेम रिजेक्ट क्यों हो जाते हैं. अगर नहीं तो आज हम आपको इसी के बारे में बताने जा रहे हैं.

बता दें कि हेल्थ इंश्योरेंस में कई अहम क्लॉज होते हैं. इनमें वेटिंग पीरियड, नॉन कवरेज डिजीज और ब्लैक लिस्टेड हॉस्पिटल शामिल हैं. हम अक्सर हेल्थ पॉलिसी खरीदते समय इन क्लॉज को ध्यान से नहीं पढ़ते हैं और गलती कर बैठते हैं.

वेटिंग पीरियड
हेल्थ इंश्योरेंस में वेटिंग पीरियड बेहद अहम होता है. दरअसल, इंश्योरेंस कंपनियां, कुछ बीमारियों के लिए एक निश्चित समय निर्धारित करती हैं, जिसे वेटिंग पीरियड कहते हैं. ऐसे में अगर वेटिंग पीरियड के दौरान संबंधित बीमारी के इलाज को लेकर क्लेम किया जाता है तो इंश्योरेंस कंपनी उसे रिजेक्ट कर देती है.

नॉन कवरेज डिजीज
कुछ बीमारियां ऐसे होती हैं, जिनके इलाज को हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के बाहर रखा जाता है. यानी हेल्थ पॉलिसी इन बीमारियों के कवर नहीं करती . इनमें नशे की लत जैसी आदत शामिल है. इसलिए आपके लिए जरूरी है कि पॉलिसी खरीदने से पहले इस बारे में पूरी जानकारी हासिल कर लें.

इंश्योरेंस लेते समय न छुपाएं बीमारी
हेल्थ इंश्योरेंस लेते समय कंपनी को अपनी हेल्थ के बारे में सही जानकारी जरूर दें, क्योंकि अगर क्लेम के समय इस बात का खुलासा होता है कि आपने इंश्योरेंस लेते समय बीमारी के बारे में नहीं बताया था, तो कंपनी आपको पैसा देने से इनकार कर सकती है.

ब्लैक लिस्टेड हॉस्पिटल
हेल्थ इंश्योरेंस लेने के बाद बेहतर है कि कंपनी के नेटवर्क हॉस्पिटल में ही इलाज करवाया जाए. इससे क्लेम इंश्योरेंस क्लेम करना आसान हो जाता है. साथ ही आपको ब्लैक लिस्टेड अस्पताल में इलाज करवाने के झंझट से भी छुटकारा मिलेगा. दरअसल, कई बार ग्राहक ब्लैक लिस्टेड अस्पताल में अपना इलाज करवा लेते हैं, जिसके चलते उनका क्लेम रिजेक्ट हो सकता है.

बिना वजह अस्पताल में न हों भर्ती
इसके अलावा कई बार पॉलिसी होल्डर बिना किसी जरूरत के या छोटी-मोटी बीमारी जैसे कि सामान्य बुखार आदि के कारण अस्पताल में भर्ती हो जाते हैं. हालांकि, ऐसा नहीं करना चाहिए, क्योंकि इस तरह की बीमारियों के लिए अस्पताल में भर्ती होने पर क्लेम रिजेक्ट हो सकता है.

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