बस्तर: बस्तर का दशहरा पूरे देश में ही नहीं पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है. यहां मनाया जाने वाला दशहरे का पर्व 75 दिनों तक चलता है. ये दशहरा रस्मों की वजह से विशेष हो जाता है. विदेश से भी लोग इस दशहरे में होने वाले रस्मों को देखने के लिए आते हैं. इस दशहरे में अपनाई जाने वाली रस्में काफी आकर्षित होती है. आकर्षित होने के साथ साथ बस्तर दशहरा में निभाई जाने वाली रस्में अनोखी हैं.
बस्तर दशहरा की अवधि में कई वर्षों से हो रहा बदलाव: बस्तर दशहरे की अवधि में हर साल बदलाव देखने को मिलता है. आम तौर पर यह दशहरा 75 दिनों तक मनाया जाता है, लेकिन बीते दो साल से इसमें परिवर्तन देखने को मिल रहा है. साल 2023 में बस्तर दशहरा 75 दिनों के बजाय 107 तक मनाया गया था. इस साल यह दशहरा 75 दिनों की जगह पर 77 दिनों तक मनाया जाएगा. बस्तर दशहरे की शुरुआत पाठजात्रा रस्म के साथ हो चुकी है.
बस्तर दशहरा के अवधि में बदलाव की वजह जानिए: बस्तर दशहरा की अवधि में क्यों बदलाव हुआ है. इसे जानने के लिए ईटीवी भारत ने दंतेश्वरी मंदिर के पुजारी कृष्ण कुमार पाढ़ी से बात की है. उन्होंने बातचीत में बस्तर दहशरे की अवधि में बदलाव को लेकर जानकारी दी है. हर साल नक्षत्र के अनुसार बस्तर दशहरा में 2 दिन की कमी बेसी होती है. जिसके कारण वनमास आ जाता है. इस साल 2024 में 77 दिनों तक इसीलिए मनाया जा रहा है
"इस साल नवरात्रि जो 9 दिनों का होता था वह 10 दिनों तक मनाया जाएगा. इस कारण 1 दिन बढ़ गया. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है वह डोली जो दंतेवाड़ा से जगदलपुर आती है. उनकी विदाई केवल मंगलवार और शनिवार के दिन ही रियासत काल से करने की परंपरा चली आ रही है. डोली विदाई से पहले का रस्म कुटुम्ब जात्रा बुधवार को किया जा रहा है. यदि यह जात्रा सोमवार को किया जाता तो अगले दिन मंगलवार को डोली विदाई की जाती. चूंकि बुधवार को कुटुम्ब जात्रा हो रहा है. डोली की विदाई केवल मंगलवार और शनिवार को की जाती है. इसीलिए डोली विदाई की रस्म को शनिवार के दिन पूरा किया जाएगा. यही कारण है कि इस साल दशहरा का पर्व 77 दिनों तक बस्तर में मनाया जायेगा.": कृष्ण कुमार पाढ़ी, मुख्य पुजारी, दंतेश्वरी मंदिर
बस्तर दशहरा में होती है कितनी रस्में: बस्तर दशहरा में मुख्य रूप से 14 रस्में निभाई जाती है. ये रस्में कुछ इस प्रकार से है.
- पाठजात्रा
- डेरी गढ़ई
- काछनगादी
- जोगी बिठाई
- फूल रथ यात्रा
- बेल पूजा
- निशा जात्रा
- जोगी उठाई
- मावली परघाव
- भीतर रैनी
- बाहर रैनी
- मुरिया दरबार
- कुटुम्ब जात्रा
- डोली विदाई
बस्तर दशहरा को लेकर बस्तर अंचल के साथ साथ छत्तीसगढ़ के अन्य जिलों में काफी उत्साह रहता है. छत्तीसगढ़ के लोग इस दशहरा में शामिल होते हैं. इसके अलावा देश और विदेश से भी लोग इसमें शामिल होने के लिए पहुंचते हैं.