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काराकाट और पाटलिपुत्र में किसका वोट काटेंगे ओवैसी? जानिए क्या है 7वें चरण को लेकर पूरी पटकथा - LOK SABHA ELECTION 2024

AIMIM candidates In Bihar : लोकसभा चुनाव 2024 के सातवें चरण में बिहार में 8 सीटों पर मतदान होना है. इस 8 में 2 हॉट सीट बन गया है. काराकाट में पवन सिंह (निर्दलीय) और पाटलिपुत्र में लालू यादव की बेटी मीसा भारती (RJD) मैदान में हैं. दोनों का एनडीए से मुकाबला है लेकिन AIMIM के प्रत्याशी भी दोनों सीट पर दावेदार हैं. ऐसे में AIMIM दोनों सीट पर किसका खेल बिगाड़ने का काम करेगी? क्या एनडीए और महागठबंधन की लड़ाई में AIMIM फायदा उठाने की कोशिश में लगी है? जानें विशेषज्ञ की राय.

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ओवैसी की एंट्री (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : May 28, 2024, 8:32 PM IST

Updated : May 29, 2024, 11:45 AM IST

लोकसभा चुनाव 2024 सातवां चरण (ETV Bharat)

पटनाः बिहार में लोकसभा की 40 सीटों में से अब अंतिम चरण में 8 सीटों पर 1 जून को वोटिंग होगी. इन 8 में 2 हॉट सीट बन गया है. काराकाट में एनडीए, महागठबंधन, निर्दलीय और AIMIM तो पाटलिपुत्र में एनडीए, महागठबंधन और AIMIM के बीच टक्कर है. ऐसे में यह तो तय है कि असदुद्दीन औवेसी की पार्टी AIMIM किसी न किसी का वोट काटेगी.

क्या कहते हैं विशेषज्ञ? पाटलिपुत्र मीसा भारती और काराकाट पवन सिंह के कारण पहले से ही चर्चा में है. AIMIM ने दोनों सीटों पर उम्मीदवार उतारा है. जहां काराकाट में प्रियंका चौधरी तो पाटलिपुत्र में राजद के पुराने साथी फारुख रजा को उतारा है. राजद नेता लगातार बयान दे रहे हैं कि बीजेपी और संघ के इसारे पर ओवैसी बिहार में काम कर रहे हैं. राजनीतिक विशेषज्ञ मान रहे हैं कि ओवैसी ने ट्रंप कार्ड खेला है, क्योंकि उनके उम्मीदवार जीतने वाले नहीं हैं. ये लोग सिर्फ वोट काटने का काम करेंगे.

पाटलिपुत्र लोकसभा सीट से मुख्य प्रत्याशी
पाटलिपुत्र लोकसभा सीट से मुख्य प्रत्याशी (ETV Bharat GFX)

क्या महागठबंधन की परेशानी बढ़ेगी? राजनीतिक विशेषज्ञ प्रिय रंजन भारती का कहना है कि असदुद्दीन ओवैसी बिहार ही नहीं उत्तर प्रदेश और दूसरे राज्यों में भी अपने उम्मीदवार मुस्लिम पॉकेट में देती रही है. हालांकि इस बार बिहार में स्ट्रेटजी बदला है. 8 सीटों में चार मुस्लिम और चार हिंदू को टिकट दिया है. काराकाट में अति पिछड़ा वर्ग से आने वाली प्रियंका चौधरी हैं तो पाटलिपुत्र में मुस्लिम समाज से आने वाले फारुख रजा हैं. दोनों पढ़े लिखे हैं और दोनों की अपने-अपने क्षेत्र में पकड़ है. इसी कारण महागठबंधन के लिए परेशानी थोड़ी बढ़ी हुई है.

"दोनों जगह AIMIM के उम्मीदवार चुनाव जीतने के लिए नहीं बल्कि हराने के लिए खड़े हुए हैं. एक तरह से कहा जा सकता है AIMIM अपनी ताकत दिखाने की कोशिश कर रहा है जिसका लाभ विधानसभा चुनाव में उसे मिले, लेकिन AIMIM के उम्मीदवार से फिलहाल एनडीए के उम्मीदवार को लाभ मिलना तय है." -प्रिय रंजन भारती, राजनीतिक विशेषज्ञ

यादव और कुशवाहा का इलाका है काराकाटः यादव और कुशवाहा बहुल क्षेत्र काराकाट में इस बार 18 लाख 72 हजार से अधिक मतदाता हैं. सवर्ण व मुस्लिम वोटर की यहां अच्छी संख्या है. अति पिछड़ा में मल्लाह का वोट काफी है. दलित-महादलित वोटर भी निर्णायक भूमिका में हैं. इस सीट से कुशवाहा, यादव व राजपूत जाति के वोटर ही राजनीति साधते रहे हैं. यहां सबसे अधिक करीब 3 लाख यादव, 2.5 लाख मुस्लिम, कोइरी-कुर्मी मिलाकर ढाई लाख, राजपूत दो लाख, निषाद के 1.5 लाख, 75 हजार ब्राह्मण और 50 हजार भूमिहार हैं.

काराकाट लोकसभा सीट से मुख्य प्रत्याशी
काराकाट लोकसभा सीट से मुख्य प्रत्याशी (ETV Bharat GFX)

काराकाट में ओवैसी का दांव: ओवैसी की पार्टी AIMIM ने अल्पसंख्यक पर भरोसा न जताकर अति पिछड़ी जाति की महिला जिला पार्षद प्रियंका चौधरी पर दांव खेला है. 2021 में प्रियंका और उनकी सास दोनों ने चुनाव लड़ा था. प्रियंका ने जिला परिषद और उनकी सास रामदुलारी देवी ने मुखिया का चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. प्रियंका नासरीगंज पश्चिम की जिला पार्षद है. निषाद समाज से आने वाली प्रियंका के अपने फॉलोवर हैं. काराकाट में निषाद मतों की संख्या करीब 1.5 लाख है. ओवैसी के आने के बाद प्रियंका चौधरी को मुस्लिम वोटर कितने पसंद करते हैं यही चुनावी फैक्टर है.

पाटलिपुत्र राजद को लग सकता है झटका: पाटलिपुत्र में लालू प्रसाद यादव की बेटी मीसा भारती के चुनाव लड़ने से यह सीट चर्चा में है. AIMIM ने यहां से राजद के पुराने साथी फारुख रजा को उम्मीदवार बनाया है. कई वर्षों से राजद से जुड़े व गद्दावर नेता व पूर्व प्रदेश महासचिव फारुख रजा उर्फ डब्लू मुस्लिम बहुल फुलवारी शरीफ में रहते हैं. ऐसे में पाटलिपुत्र में भी ओवैसी की पार्टी मुस्लिम वोट पर डोरे डालने में लगी है. फारुख रजा इंजीनियर भी है और पिछले चुनाव में मीसा भारती के लिए काम भी कर चुके हैं. ऐसे में मीसा भारती और राजद को एक तरह से बड़ा झटका दिया है.

फारूक रजा का प्लान RJD: पाटलिपुत्र लोकसभा सीट पर कुल 18 लाख से भी ज्यादा वोटर्स हैं. इस सीट के अंतर्गत पटना जिले के ग्रामीण क्षेत्र खासकर पश्चिमी इलाके आते हैं. पाटलिपुत्र में यादव, भूमिहार, मुस्लिम, कोइरी, कुर्मी जाति, महादलित, अति पिछड़ा की अच्छी खासी जनसंख्या है. पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्र के अंदर छह विधानसभा सीटें हैं जिसमें मनेर, दानापुर, मसौढी, बिक्रम, पालीगंज और फुलवारी सरीफ शामिल है. फुलवारी मुस्लिम आबादी बहुल है. ऐसे में फारूक रजा राजद को नुकसान पहुंचा सकते हैं.

'काराकाट में पढ़ी-लिखी उम्मीदवार': AIMIM के प्रदेश अध्यक्ष और विधायक अख्तरुल इमान का कहना है कि दोनों लोकसभा सीट में हमारी मजबूत दावेदारी है. हम बेहतर परिणाम देंगे. अख्तरुल इमान का यह भी कहना है की काराकाट में पढ़ी-लिखी और बेदाग उम्मीदवार हैं. इस दौरान उन्होंने पवन सिंह को लेकर बड़ी बात कही. उन्होंने कहा कि पवन सिंह की बात है तो कलाकार आदमी हैं. शमशान और कब्रिस्तान में भी जाएंगे तो भीड़ लग जाएगी. लेकिन वोट कितना बदलता है यह मायने रखता है.

लोकसभा चुनाव में AIMIM की भूमिका
लोकसभा चुनाव में AIMIM की भूमिका (ETV Bharat GFX)

'राजद परिवारवाद': अखतरुल इमान ने कहा कि काराकाट में उन्हें जीत की उम्मीद है क्योंकि वहां जनता नाराज है. मुस्लिम वहां नेगलेक्टेड हैं. पाटलिपुत्र में मीसा भारती के खिलाफ उम्मीदवार दिए जाने के सवाल पर अख्तरूल ईमान ने भड़कते हुए कहा कि हम अपने हक की लड़ाई लड़ रहे हैं. लालू प्रसाद यादव 2019 में पांच मुस्लिम उम्मीदवार दिए थे लेकिन इस बार उनका 11 सदस्य का परिवार है. दो को उम्मीदवार बना दिया है.

"2 करोड़ 31 लाख से अधिक मुसलमान हैं. इसके बाद भी राजद के दो उम्मीदवार हैं. हम दोनों सीट पर मजबूती से दावेदार हैं. काराकाट और पाटलिपुत्र दोनों सीट पर जीत की उम्मीद है. कुछ लोग बहुत कुछ बोल रहे हैं लेकिन हम अपने हक की लड़ाई लड़ रहे हैं. लोकतंत्र में सबको लड़ने का अधिकार है." -अख्तरुल इमान, AIMIM प्रत्याशी, किशनगंज

'AIMIM को मदद कर रहा संघ': राजद के नेता लगातार कह रहे हैं कि AIMIM बीजेपी की 'बी' टीम है. संघ और बीजेपी के इशारे पर उम्मीदवार उतारती है. राजद के मधुबनी से उम्मीदवार अली अशरफ फातमी ने भी इसी तरह का आरोप लगाया. क्योंकि मधुबनी से भी AIMIM ने उम्मीदवार उतारा है. अली अशरफ फातमी का कहना है कि "AIMIM की मदद संघ परिवार ही करता होगा. हर जगह उम्मीदवार खड़ा कर सेक्युलर पार्टी का वोट खराब किया जा रहा है."

'जनता मोदी जी के साथ': AIMIM के द्वारा उम्मीदवार देने से सीधा लाभ एनडीए को होने वाला है. इसको लेकर भाजपा प्रवक्ता राकेश कुमार सिंह का कहना है कि "किसे लाभ होगा किसे नुकसान हमलोग इस पर ध्यान नहीं देते हैं. जनता हम लोगों के साथ है, मोदी जी के साथ है. कौन कहां से लड़ रहा है उससे फर्क नहीं पड़ता है. जिनको परेशानी है वो जानें."

किशनगंज में AIMIM मजबूतः बता दें कि AIMIM 2020 बिहार विधानसभा चुनाव में पांच सीटों पर जीत हासिल कर बिहार की राजनीति में अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज करायी थी. हालांकि उसमें से चार विधायक आरजेडी में शामिल हो गए. 2019 लोकसभा चुनाव में भी पार्टी किशनगंज से अख्तरुल इमान को लड़ा चुकी है हालांकि अख्तरुल इमान तीसरे स्थान पर आए थे. इस बार फिर से किशनगंज में अखतरुल इमान को मौका मिला.

किसे पहुंचेगा नुकसानः बिहार में विधानसभा के उपचुनाव में भी AIMIM की एंट्री से महागठबंधन को नुकसान पहुंच चुका है. अब लोकसभा चुनाव में देखना है कि ओवैसी की पार्टी किसे नुकसान और किसे लाभ पहुंचाती है. फिलहाल ओवैसी की पार्टी के उम्मीदवार ने दोनों लोकसभा सीट पर हलचल बढ़ा दी है.

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लोकसभा चुनाव 2024 सातवां चरण (ETV Bharat)

पटनाः बिहार में लोकसभा की 40 सीटों में से अब अंतिम चरण में 8 सीटों पर 1 जून को वोटिंग होगी. इन 8 में 2 हॉट सीट बन गया है. काराकाट में एनडीए, महागठबंधन, निर्दलीय और AIMIM तो पाटलिपुत्र में एनडीए, महागठबंधन और AIMIM के बीच टक्कर है. ऐसे में यह तो तय है कि असदुद्दीन औवेसी की पार्टी AIMIM किसी न किसी का वोट काटेगी.

क्या कहते हैं विशेषज्ञ? पाटलिपुत्र मीसा भारती और काराकाट पवन सिंह के कारण पहले से ही चर्चा में है. AIMIM ने दोनों सीटों पर उम्मीदवार उतारा है. जहां काराकाट में प्रियंका चौधरी तो पाटलिपुत्र में राजद के पुराने साथी फारुख रजा को उतारा है. राजद नेता लगातार बयान दे रहे हैं कि बीजेपी और संघ के इसारे पर ओवैसी बिहार में काम कर रहे हैं. राजनीतिक विशेषज्ञ मान रहे हैं कि ओवैसी ने ट्रंप कार्ड खेला है, क्योंकि उनके उम्मीदवार जीतने वाले नहीं हैं. ये लोग सिर्फ वोट काटने का काम करेंगे.

पाटलिपुत्र लोकसभा सीट से मुख्य प्रत्याशी
पाटलिपुत्र लोकसभा सीट से मुख्य प्रत्याशी (ETV Bharat GFX)

क्या महागठबंधन की परेशानी बढ़ेगी? राजनीतिक विशेषज्ञ प्रिय रंजन भारती का कहना है कि असदुद्दीन ओवैसी बिहार ही नहीं उत्तर प्रदेश और दूसरे राज्यों में भी अपने उम्मीदवार मुस्लिम पॉकेट में देती रही है. हालांकि इस बार बिहार में स्ट्रेटजी बदला है. 8 सीटों में चार मुस्लिम और चार हिंदू को टिकट दिया है. काराकाट में अति पिछड़ा वर्ग से आने वाली प्रियंका चौधरी हैं तो पाटलिपुत्र में मुस्लिम समाज से आने वाले फारुख रजा हैं. दोनों पढ़े लिखे हैं और दोनों की अपने-अपने क्षेत्र में पकड़ है. इसी कारण महागठबंधन के लिए परेशानी थोड़ी बढ़ी हुई है.

"दोनों जगह AIMIM के उम्मीदवार चुनाव जीतने के लिए नहीं बल्कि हराने के लिए खड़े हुए हैं. एक तरह से कहा जा सकता है AIMIM अपनी ताकत दिखाने की कोशिश कर रहा है जिसका लाभ विधानसभा चुनाव में उसे मिले, लेकिन AIMIM के उम्मीदवार से फिलहाल एनडीए के उम्मीदवार को लाभ मिलना तय है." -प्रिय रंजन भारती, राजनीतिक विशेषज्ञ

यादव और कुशवाहा का इलाका है काराकाटः यादव और कुशवाहा बहुल क्षेत्र काराकाट में इस बार 18 लाख 72 हजार से अधिक मतदाता हैं. सवर्ण व मुस्लिम वोटर की यहां अच्छी संख्या है. अति पिछड़ा में मल्लाह का वोट काफी है. दलित-महादलित वोटर भी निर्णायक भूमिका में हैं. इस सीट से कुशवाहा, यादव व राजपूत जाति के वोटर ही राजनीति साधते रहे हैं. यहां सबसे अधिक करीब 3 लाख यादव, 2.5 लाख मुस्लिम, कोइरी-कुर्मी मिलाकर ढाई लाख, राजपूत दो लाख, निषाद के 1.5 लाख, 75 हजार ब्राह्मण और 50 हजार भूमिहार हैं.

काराकाट लोकसभा सीट से मुख्य प्रत्याशी
काराकाट लोकसभा सीट से मुख्य प्रत्याशी (ETV Bharat GFX)

काराकाट में ओवैसी का दांव: ओवैसी की पार्टी AIMIM ने अल्पसंख्यक पर भरोसा न जताकर अति पिछड़ी जाति की महिला जिला पार्षद प्रियंका चौधरी पर दांव खेला है. 2021 में प्रियंका और उनकी सास दोनों ने चुनाव लड़ा था. प्रियंका ने जिला परिषद और उनकी सास रामदुलारी देवी ने मुखिया का चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. प्रियंका नासरीगंज पश्चिम की जिला पार्षद है. निषाद समाज से आने वाली प्रियंका के अपने फॉलोवर हैं. काराकाट में निषाद मतों की संख्या करीब 1.5 लाख है. ओवैसी के आने के बाद प्रियंका चौधरी को मुस्लिम वोटर कितने पसंद करते हैं यही चुनावी फैक्टर है.

पाटलिपुत्र राजद को लग सकता है झटका: पाटलिपुत्र में लालू प्रसाद यादव की बेटी मीसा भारती के चुनाव लड़ने से यह सीट चर्चा में है. AIMIM ने यहां से राजद के पुराने साथी फारुख रजा को उम्मीदवार बनाया है. कई वर्षों से राजद से जुड़े व गद्दावर नेता व पूर्व प्रदेश महासचिव फारुख रजा उर्फ डब्लू मुस्लिम बहुल फुलवारी शरीफ में रहते हैं. ऐसे में पाटलिपुत्र में भी ओवैसी की पार्टी मुस्लिम वोट पर डोरे डालने में लगी है. फारुख रजा इंजीनियर भी है और पिछले चुनाव में मीसा भारती के लिए काम भी कर चुके हैं. ऐसे में मीसा भारती और राजद को एक तरह से बड़ा झटका दिया है.

फारूक रजा का प्लान RJD: पाटलिपुत्र लोकसभा सीट पर कुल 18 लाख से भी ज्यादा वोटर्स हैं. इस सीट के अंतर्गत पटना जिले के ग्रामीण क्षेत्र खासकर पश्चिमी इलाके आते हैं. पाटलिपुत्र में यादव, भूमिहार, मुस्लिम, कोइरी, कुर्मी जाति, महादलित, अति पिछड़ा की अच्छी खासी जनसंख्या है. पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्र के अंदर छह विधानसभा सीटें हैं जिसमें मनेर, दानापुर, मसौढी, बिक्रम, पालीगंज और फुलवारी सरीफ शामिल है. फुलवारी मुस्लिम आबादी बहुल है. ऐसे में फारूक रजा राजद को नुकसान पहुंचा सकते हैं.

'काराकाट में पढ़ी-लिखी उम्मीदवार': AIMIM के प्रदेश अध्यक्ष और विधायक अख्तरुल इमान का कहना है कि दोनों लोकसभा सीट में हमारी मजबूत दावेदारी है. हम बेहतर परिणाम देंगे. अख्तरुल इमान का यह भी कहना है की काराकाट में पढ़ी-लिखी और बेदाग उम्मीदवार हैं. इस दौरान उन्होंने पवन सिंह को लेकर बड़ी बात कही. उन्होंने कहा कि पवन सिंह की बात है तो कलाकार आदमी हैं. शमशान और कब्रिस्तान में भी जाएंगे तो भीड़ लग जाएगी. लेकिन वोट कितना बदलता है यह मायने रखता है.

लोकसभा चुनाव में AIMIM की भूमिका
लोकसभा चुनाव में AIMIM की भूमिका (ETV Bharat GFX)

'राजद परिवारवाद': अखतरुल इमान ने कहा कि काराकाट में उन्हें जीत की उम्मीद है क्योंकि वहां जनता नाराज है. मुस्लिम वहां नेगलेक्टेड हैं. पाटलिपुत्र में मीसा भारती के खिलाफ उम्मीदवार दिए जाने के सवाल पर अख्तरूल ईमान ने भड़कते हुए कहा कि हम अपने हक की लड़ाई लड़ रहे हैं. लालू प्रसाद यादव 2019 में पांच मुस्लिम उम्मीदवार दिए थे लेकिन इस बार उनका 11 सदस्य का परिवार है. दो को उम्मीदवार बना दिया है.

"2 करोड़ 31 लाख से अधिक मुसलमान हैं. इसके बाद भी राजद के दो उम्मीदवार हैं. हम दोनों सीट पर मजबूती से दावेदार हैं. काराकाट और पाटलिपुत्र दोनों सीट पर जीत की उम्मीद है. कुछ लोग बहुत कुछ बोल रहे हैं लेकिन हम अपने हक की लड़ाई लड़ रहे हैं. लोकतंत्र में सबको लड़ने का अधिकार है." -अख्तरुल इमान, AIMIM प्रत्याशी, किशनगंज

'AIMIM को मदद कर रहा संघ': राजद के नेता लगातार कह रहे हैं कि AIMIM बीजेपी की 'बी' टीम है. संघ और बीजेपी के इशारे पर उम्मीदवार उतारती है. राजद के मधुबनी से उम्मीदवार अली अशरफ फातमी ने भी इसी तरह का आरोप लगाया. क्योंकि मधुबनी से भी AIMIM ने उम्मीदवार उतारा है. अली अशरफ फातमी का कहना है कि "AIMIM की मदद संघ परिवार ही करता होगा. हर जगह उम्मीदवार खड़ा कर सेक्युलर पार्टी का वोट खराब किया जा रहा है."

'जनता मोदी जी के साथ': AIMIM के द्वारा उम्मीदवार देने से सीधा लाभ एनडीए को होने वाला है. इसको लेकर भाजपा प्रवक्ता राकेश कुमार सिंह का कहना है कि "किसे लाभ होगा किसे नुकसान हमलोग इस पर ध्यान नहीं देते हैं. जनता हम लोगों के साथ है, मोदी जी के साथ है. कौन कहां से लड़ रहा है उससे फर्क नहीं पड़ता है. जिनको परेशानी है वो जानें."

किशनगंज में AIMIM मजबूतः बता दें कि AIMIM 2020 बिहार विधानसभा चुनाव में पांच सीटों पर जीत हासिल कर बिहार की राजनीति में अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज करायी थी. हालांकि उसमें से चार विधायक आरजेडी में शामिल हो गए. 2019 लोकसभा चुनाव में भी पार्टी किशनगंज से अख्तरुल इमान को लड़ा चुकी है हालांकि अख्तरुल इमान तीसरे स्थान पर आए थे. इस बार फिर से किशनगंज में अखतरुल इमान को मौका मिला.

किसे पहुंचेगा नुकसानः बिहार में विधानसभा के उपचुनाव में भी AIMIM की एंट्री से महागठबंधन को नुकसान पहुंच चुका है. अब लोकसभा चुनाव में देखना है कि ओवैसी की पार्टी किसे नुकसान और किसे लाभ पहुंचाती है. फिलहाल ओवैसी की पार्टी के उम्मीदवार ने दोनों लोकसभा सीट पर हलचल बढ़ा दी है.

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Last Updated : May 29, 2024, 11:45 AM IST
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