नई दिल्ली: अजमेर की एक स्थानीय अदालत ने बुधवार को अजमेर शरीफ दरगाह जो कि सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह है, के फिजिकल सर्वे की मांग करने वाली याचिका स्वीकार कर ली. याचिका में हिंदू सेना के प्रमुख विष्णु गुप्ता ने दावा किया कि प्रसिद्ध दरगाह मूल रूप से भगवान शिव का मंदिर था.
इस संबंध में अदालत ने अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) और अजमेर दरगाह समिति को नोटिस जारी किए. साथ ही मामले को 20 दिसंबर के लिए सूचीबद्ध कर दिया.
कौन है विष्णु गुप्ता?
उत्तर प्रदेश के एटा में जन्मे 40 वर्षीय विष्णु गुप्ता युवावस्था में ही दिल्ली चले गए थे. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार उग्र हिंदू राष्ट्रवाद से प्रभावित होकर वे छात्र जीवन में शिवसेना की युवा शाखा में शामिल हुए और बाद में बजरंग दल से जुड़ गए. गुप्ता और कुछ अन्य लोगों ने 2011 में हिंदू सेना की स्थापना की, जिसके बारे में उनका दावा है कि वर्तमान में इसके लाखों सदस्य हैं और इसकी शाखाए भारत के लगभग सभी हिस्सों में हैं. संगठन का संघ परिवार, शिवसेना या इससे जुड़े किसी भी समूह से कोई संबंध नहीं है.
संगठन की वेबसाइट के अनुसार इसका उद्देश्य किसी भी रूप में इस्लामीकरण, शरिया कानून के कार्यान्वयन, लव जिहाद और भारत में इस्लामी चरमपंथ का विरोध करना है. यह भारत और सनातन धर्म की संप्रभुता को नुकसान पहुंचाने वाले किसी भी व्यक्ति/संस्था को उजागर करने, उसका विरोध करने और उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का दावा करता है.
इसके अलावा, गुप्ता और उनके समूह ने कई कारणों से सुर्खियां बटोरीं, जिनमें बर्बरता, हमला और यहां तक कि 2016 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में ट्रंप की जीत के सम्मान में हवन का आयोजन करना भी शामिल है.
संगठन ने अभिनेता-राजनेता कमल हासन पर मई 2019 में महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को 'हिंदू आतंकवादी' कहकर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया. यह शिकायत दिल्ली की पटियाला अदालत में दर्ज की गई थी.
रिपोर्ट के अनुसार गुप्ता का संगठन सालों से पाकिस्तान में बलूचिस्तान स्वतंत्रता संग्राम का समर्थन करता आया है और हाल ही में उसने बांग्लादेश में हिंदुओं के पक्ष में प्रदर्शन भी किया.
विष्णु गुप्ता और उनके संगठन से जुड़े विवाद
विष्णु गुप्ता और उनका समूह कई विवादों और एफआईआर का विषय भी रहा है, जिनमें से कई हमले, तोड़फोड़ और भ्रामक जानकारी फैलाने जैसी घटनाओं से जुड़े मामले शामिल हैं. दिल्ली पुलिस ने अक्टूबर 2011 में गुप्ता को कथित तौर पर सुप्रीम कोर्ट के वकील प्रशांत भूषण पर कोर्ट में हमला करने के आरोप में गिरफ्तार भी किया था.
40 वर्षीय गुप्ता को अक्टूबर 2015 में कथित तौर पर झूठी शिकायत करने के लिए हिरासत में लिया गया था कि नई दिल्ली स्थित केरल हाउस की कैंटीन में गोमांस परोसा जा रहा है. जनवरी 2016 में, उन्हें पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस के दिल्ली कार्यालय में तोड़फोड़ करने के लिए भी गिरफ्तार किया गया था.
यह संगठन जून 2022 में दिल्ली के राजौरी में नूपुर शर्मा के समर्थन में तलवारें बांटने के लिए भी चर्चा में रहा था. नुपूर को नफरत भरे भाषण और पैगंबर मोहम्मद पर आपत्तिजनक टिप्पणी के लिए भाजपा द्वारा निलंबित कर दिया गया था. अगले साल उन्होंने जंतर-मंतर पर एक महापंचायत आयोजित की, लेकिन हरियाणा के नूंह सांप्रदायिक हिंसा से संबंधित कथित भड़काऊ भाषणों के कारण उन्हें रोक दिया गया.
मई 2022 में गुप्ता ने वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के वीडियोग्राफिक सर्वे को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज करने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक हस्तक्षेप आवेदन दायर किया. हालांकि, पूर्व CJI डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने आवेदन को खारिज कर दिया.
इसी तरह संगठन ने फरवरी 2023 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और 2002 के गुजरात दंगों के बारे में बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया गया था. इस साल की शुरुआत में दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली शराब नीति घोटाला मामले में गिरफ्तार किए जाने के बाद तत्कालीन दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को हटाने की मांग करने वाली हिंदू सेना की याचिका को खारिज कर दिया था.
नई याचिका में क्या है मांग?
विष्णु गुप्ता और उनके संगठन ने अजमेर के ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती दरगाह में भगवान शिव मंदिर की मौजूदगी का दावा करते हुए एक मामला दायर किया है और प्रसिद्ध दरगाह के सर्वे की मांग की है. अपनी याचिका में गुप्ता ने यह भी मांग की है कि अजमेर दरगाह को संकट मोचन महादेव मंदिर घोषित किया जाए. साथ ही उन्होंने इस स्थल पर हिंदू पूजा को फिर से शुरू करने का आह्वान भी किया.
उन्होंने और उनके वकील योगेश सिरोजा ने अजमेर के जज से राजनेता बने हर बिलास सारदा की 1910 की एक किताब का हवाला देते हुए इस दावे का समर्थन किया है. गुप्ता ने आरोप लगाया कि सारदा ने दरगाह के नीचे एक हिंदू मंदिर की मौजूदगी के बारे में लिखा है.
अदालत ने अब उनके मामले को स्वीकार कर लिया है और 20 दिसंबर को सुनवाई होगी. इसने दरगाह समिति, अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय और पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को भी नोटिस जारी किए हैं.