हैदराबाद: केरल की मलप्पुरम सीट से भाजपा ने डॉ. अब्दुल सलाम को चुनाव मैदान में उतारा है. लोकसभा चुनाव 2024 के लिए अब तक घोषित उम्मीदवारों में डॉ. सलाम एकमात्र मुस्लिम चेहरा हैं. हालांकि, कालीकट विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति अब्दुल सलाम को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. चुनाव प्रचार के दौरान उन्हें अपने ही समुदाय के लोगों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है. मुस्लिम समुदाय के लोग उनका तिरस्कार कर रहे हैं. डॉ. सलाम भाजपा की स्थानीय इकाई से भी परेशानियों का सामना कर रहे हैं. मलप्पुरम निर्वाचन क्षेत्र में 68.3 प्रतिशत से अधिक मतदाता मुस्लिम समुदाय से हैं.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, मुस्लिम समाज के लोग डॉ. अब्दुल को गद्दार बताकर उनका विरोध कर रहे हैं. उन्होंने मीडिया से अपने कड़वे अनुभव साझा किए हैं. भाजपा उम्मीदवार ने बताया कि ईद के दिन वह नमाज पढ़ने के बाद मस्जिद के बाहर लोगों को शुभकामनाएं दे रहे थे, तभी 60 वर्षीय व्यक्ति ने गद्दार कहकर उनका अपमान किया. डॉ. सलाम ने कहा, इस घटना से मैं बहुत आहत हुआ. मैं भी मुस्लिम हैं, लेकिन भाजपा में शामिल होने की वजह से मेरे साथ इस तरह का व्यवहार किया गया.
डॉ. सलाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बहुत बड़े प्रशंसक हैं. वह अपने प्रचार अभियान में विकास को मुद्दा बना रहे हैं और एनडीए सरकार की विकास परियोजनाओं को जनता के बीच रख रहे हैं.
कौन हैं डॉ अब्दुल सलाम
71 वर्षीय अब्दुल सलाम केरल के तिरूर के रहने वाले हैं. वह 2019 में भाजपा में शामिल हुए थे. साल 2021 के केरल विधानसभा चुनाव में डॉ सलाम ने नेमोम सीट से चुनाव लड़ा था. हालांकि, वह चुनाव हार गए थे. डॉ सलाम ने 2011 से 2015 तक कालीकट यूनिवर्सिटी के कुलपति रह चुके हैं. गरीब परिवेश से आने वाले सलाम के नौ भाई और एक बहन है. मृदा प्रबंधन में पीजी करने के बाद उन्होंने फसलों के पोषण और काजू की फसल पर शोध किया. इसके बाद उन्होंने अध्ययन की ओर रुख किया. इस दौरान कई जिम्मेदारियों को बखूबी निभाया. उन्होंने जैविक विज्ञान में 153 शोध पत्र, 15 समीक्षा लेख और 13 पुस्तकें प्रकाशित की हैं.
आईयूएमएल के गढ़ में सलाम की राह आसान नहीं
मलप्पुरम लोकसभा सीट इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) का गढ़ मानी जाती है. डॉ. सलाम के लिए मलप्पुरम में जीतना काफी चुनौतीपूर्ण है. राजनीतिक जानकारों का कहना है कि भाजपा के लिए यहां खोने के लिए कुछ नहीं है. लेकिन वह डॉ. सलाम की उम्मीदवारी के जरिये मुस्लिमों के बीच अपनी राजनीतिक छवि सुधारना चाहती है. साथ ही एक प्रयोग के जरिये मुस्लिम मतदाताओं को भी परखने को कोशिश कर रही है.
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