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झारखंड से मोदी कैबिनेट में किसको मिलेगी जगह! कौन दिख रहा है रेस में, क्या एसटी सीटों पर हार की गिर सकती है गाज, क्या कहते हैं जानकार - Place in Modi cabinet

Who will become minister from Jharkhand. रविवार शाम को नरेंद्र मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे. उनकी कैबिनेट में किन्हें जगह मिलेगी, इसे लेकर चर्चा चल रही है. झारखंड से किनको उनकी कैबिनेट में काम करने का मौका मिलेगा, किनका पलड़ा भारी, किनके पक्ष में कौन से फैक्टर काम कर रहे हैं, इस रिपोर्ट में जानने की कोशिश करते हैं.

Who will become minister from Jharkhand
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jun 7, 2024, 6:50 PM IST

रांची: बहुत रोचक रहा 18वीं लोकसभा चुनाव का परिणाम. बेशक, एनडीए गठबंधन चार सौ पार के नारे को हकीकत में नहीं बदल पाया लेकिन बहुमत का आंकड़ा जरूर पा लिया. इसकी वजह से पंडित जवाहरलाल नेहरू के बाद नरेंद्र मोदी दूसरे ऐसे लीडर होंगे, जो लगातार तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री बनेंगे. यह अलग बात है कि वह अपने राजनीतिक करियर में पहली बार गठबंधन के सहयोगियों की बदौलत मिली बहुमत वाली सरकार चलाएंगे.

नरेंद्र मोदी के एनडीए संसदीय दल का नेता चुने जाने के साथ ही इस बात की चर्चा शुरु हो गई है कि उनकी कैबिनेट में किसको जगह मिल सकती है. झारखंड में भी इस सवाल का जवाब सभी जानना चाहते हैं. क्योंकि 14 में से 9 सीटें जीतने वाली भाजपा के सांसद निशिकांत दुबे ऐसे हैं जो लगातार चौथी बार चुनाव जीते हैं. उनके बाद नंबर आता है वीडी राम का. वह ऐसे शख्स हैं जो सूबे की एकमात्र एससी सीट पलामू से लगातार तीसरी बार जीते हैं. उनके अलावा ओबीसी कोटा से विद्युत वरण महतो भी तीसरी बार जमशेदपुर सीट जीतने में सफल रहे हैं. इन तीन प्रमुख नेताओं के अलावा कोडरमा से अन्नपूर्णा देवी और रांची से संजय सेठ लगातार दूसरी बार चुनाव जीते हैं.

लेकिन सभी जानते हैं कि 2019 में 14 में से 11 सीट जीतने पर खूंटी के पूर्व सांसद अर्जुन मुंडा को मोदी कैबिनेट में जनजातीय मामलों का मंत्री बनाया गया था. उनके अलावा अन्नपूर्णा देवी शिक्षा राज्य मंत्री बनीं थी. लेकिन इस बार की तस्वीर बिल्कुल अलग है. झारखंड में भाजपा अपनी तीनों एसटी सीटें गंवा चुकी है. ऊपर से टीडीपी और जदयू समेत अन्य दलों के सहयोग से गठबंधन की सरकार बनने जा रही है. ऐसे में सवाल है कि क्या नरेंद्र मोदी अपनी अगली कैबिनेट में झारखंड को तरजीह देंगे. अगर देते हैं तो इस रेस में किसकी दावेदारी प्रबल दिख रही है.

मोदी कैबिनेट में किसकी दिख रही है दावेदारी

वरिष्ठ पत्रकार शंभुनाथ चौधरी का कहना है कि आदिवासी स्टेट में भाजपा को काफी नुकसान हुआ है. इनके पास अर्जुन मुंडा के सिवाय कोई बड़ा आदिवासी चेहरा दिख नहीं रहा है. अर्जुन मुंडा जरुर चुनाव हार चुके हैं. लेकिन आदिवासी पॉलिटिक्स के लिहाज से उनको नजरअंदाज किया जाएगा, ऐसा नहीं लगता. संभव है कि राज्यसभा के रास्ते उन्हें फिर कैबिनेट में जगह मिल जाए.

क्योंकि झारखंड में अर्जुन मुंडा और बाबूलाल मरांडी सरीखे दो नेता एक साथ नहीं रह सकते. इससे पार्टी का बैलेंस प्रभावित होगा. ऊपर से कुछ माह बाद ही झारखंड में विधानसभा का चुनाव भी होना है. रही बात अर्जुन मुंडा के राजनीतिक कद की तो पिछली मोदी कैबिनेट में उनका प्रभाव दिख चुका है. वह जनजातीय मामलों के मंत्री थे. साथ ही उन्हें कृषि मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार भी दिया गया था.

शंभुनाथ चौधरी का कहना है कि झारखंड में जाति के आधार पर आदिवासी के बाद कुर्मी आते हैं. संभव है कि हैट्रिक लगाने वाले विद्युत वरण को जगह मिल जाए. लेकिन विद्युत के बनने से कुर्मी पॉलिटिक्स सधता नहीं दिख रहा है. ऐसे में ओबीसी वोट बैंक के लिहाज से अन्नपूर्णा देवी अच्छा ऑप्शन हो सकती हैं. उनको ड्रॉप करने पर अलग मैसेज जाएगा.

क्योंकि वह राजद छोड़कर भाजपा में आई हैं. यह भी संभव है कि अगड़ी जाति को साधने के लिए लगातार चौथी बार जीतने वाले निशिकांत दुबे को जगह मिल जाए. क्योंकि निशिकांत दुबे अपनी बातों को रखने में मुखर रहे हैं. उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी पहचान बनायी है. लगातार चौथी बार चुनाव जीते हैं. दलित चेहरा के रूप में वीडी राम जरुर दिखते हैं लेकिन उनके चेहरे पर दलित राजनीति सधती नहीं दिख रही है.

वरिष्ठ पत्रकार रवि प्रकाश का मानना है कि वर्तमान समीकरण में चौथी बार चुनाव जीतने वाले निशिकांत दुबे बड़े दावेदार दिख रहे हैं. क्योंकि यहां की सभी एसटी सीटें भाजपा हार गयी है. निशिकांत दुबे भाजपा के कल्चर में फिट बैठते हैं. वह संसद में भी वोकल रहे हैं. गौर करने वाली बात ये है कि इस बार एनडीए की सरकार बन रही है. इसलिए भाजपा कोटे के मंत्रियों की संख्या सीमित रहेगी.

रही बात अन्नपूर्णा देवी की तो बतौर शिक्षा राज्य मंत्री उनका कोई ऐसा बड़ा काम नहीं दिखा, जिसकी चर्चा हो सके. काम के मामले में अर्जुन मुंडा प्रभावी थे. उन्होंने एकलव्य विद्यालय समेत सिकल सेल एनीमिया को लेकर आदिवासी क्षेत्र में बेहतर काम करवाया था. लिहाजा, अर्जुन मुंडा की हार के बाद झारखंड से निशिकांत दुबे का पलड़ा भारी दिख रहा है.

झारखंड की राजनीति को बारीकी से समझने वाले जानकारों के मुताबिक गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे कैबिनेट मंत्री की रेस में सबसे बड़े दावेदार दिख रहे हैं. यह संभावना भर है. लेकिन यह भी सही है कि संभावनाएं ही आकार लेती हैं. फिलहाल, इसके लिए थोड़ा इंतजार करना पड़ेगा.

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नरेंद्र मोदी के एनडीए संसदीय दल का नेता चुने जाने के साथ ही इस बात की चर्चा शुरु हो गई है कि उनकी कैबिनेट में किसको जगह मिल सकती है. झारखंड में भी इस सवाल का जवाब सभी जानना चाहते हैं. क्योंकि 14 में से 9 सीटें जीतने वाली भाजपा के सांसद निशिकांत दुबे ऐसे हैं जो लगातार चौथी बार चुनाव जीते हैं. उनके बाद नंबर आता है वीडी राम का. वह ऐसे शख्स हैं जो सूबे की एकमात्र एससी सीट पलामू से लगातार तीसरी बार जीते हैं. उनके अलावा ओबीसी कोटा से विद्युत वरण महतो भी तीसरी बार जमशेदपुर सीट जीतने में सफल रहे हैं. इन तीन प्रमुख नेताओं के अलावा कोडरमा से अन्नपूर्णा देवी और रांची से संजय सेठ लगातार दूसरी बार चुनाव जीते हैं.

लेकिन सभी जानते हैं कि 2019 में 14 में से 11 सीट जीतने पर खूंटी के पूर्व सांसद अर्जुन मुंडा को मोदी कैबिनेट में जनजातीय मामलों का मंत्री बनाया गया था. उनके अलावा अन्नपूर्णा देवी शिक्षा राज्य मंत्री बनीं थी. लेकिन इस बार की तस्वीर बिल्कुल अलग है. झारखंड में भाजपा अपनी तीनों एसटी सीटें गंवा चुकी है. ऊपर से टीडीपी और जदयू समेत अन्य दलों के सहयोग से गठबंधन की सरकार बनने जा रही है. ऐसे में सवाल है कि क्या नरेंद्र मोदी अपनी अगली कैबिनेट में झारखंड को तरजीह देंगे. अगर देते हैं तो इस रेस में किसकी दावेदारी प्रबल दिख रही है.

मोदी कैबिनेट में किसकी दिख रही है दावेदारी

वरिष्ठ पत्रकार शंभुनाथ चौधरी का कहना है कि आदिवासी स्टेट में भाजपा को काफी नुकसान हुआ है. इनके पास अर्जुन मुंडा के सिवाय कोई बड़ा आदिवासी चेहरा दिख नहीं रहा है. अर्जुन मुंडा जरुर चुनाव हार चुके हैं. लेकिन आदिवासी पॉलिटिक्स के लिहाज से उनको नजरअंदाज किया जाएगा, ऐसा नहीं लगता. संभव है कि राज्यसभा के रास्ते उन्हें फिर कैबिनेट में जगह मिल जाए.

क्योंकि झारखंड में अर्जुन मुंडा और बाबूलाल मरांडी सरीखे दो नेता एक साथ नहीं रह सकते. इससे पार्टी का बैलेंस प्रभावित होगा. ऊपर से कुछ माह बाद ही झारखंड में विधानसभा का चुनाव भी होना है. रही बात अर्जुन मुंडा के राजनीतिक कद की तो पिछली मोदी कैबिनेट में उनका प्रभाव दिख चुका है. वह जनजातीय मामलों के मंत्री थे. साथ ही उन्हें कृषि मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार भी दिया गया था.

शंभुनाथ चौधरी का कहना है कि झारखंड में जाति के आधार पर आदिवासी के बाद कुर्मी आते हैं. संभव है कि हैट्रिक लगाने वाले विद्युत वरण को जगह मिल जाए. लेकिन विद्युत के बनने से कुर्मी पॉलिटिक्स सधता नहीं दिख रहा है. ऐसे में ओबीसी वोट बैंक के लिहाज से अन्नपूर्णा देवी अच्छा ऑप्शन हो सकती हैं. उनको ड्रॉप करने पर अलग मैसेज जाएगा.

क्योंकि वह राजद छोड़कर भाजपा में आई हैं. यह भी संभव है कि अगड़ी जाति को साधने के लिए लगातार चौथी बार जीतने वाले निशिकांत दुबे को जगह मिल जाए. क्योंकि निशिकांत दुबे अपनी बातों को रखने में मुखर रहे हैं. उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी पहचान बनायी है. लगातार चौथी बार चुनाव जीते हैं. दलित चेहरा के रूप में वीडी राम जरुर दिखते हैं लेकिन उनके चेहरे पर दलित राजनीति सधती नहीं दिख रही है.

वरिष्ठ पत्रकार रवि प्रकाश का मानना है कि वर्तमान समीकरण में चौथी बार चुनाव जीतने वाले निशिकांत दुबे बड़े दावेदार दिख रहे हैं. क्योंकि यहां की सभी एसटी सीटें भाजपा हार गयी है. निशिकांत दुबे भाजपा के कल्चर में फिट बैठते हैं. वह संसद में भी वोकल रहे हैं. गौर करने वाली बात ये है कि इस बार एनडीए की सरकार बन रही है. इसलिए भाजपा कोटे के मंत्रियों की संख्या सीमित रहेगी.

रही बात अन्नपूर्णा देवी की तो बतौर शिक्षा राज्य मंत्री उनका कोई ऐसा बड़ा काम नहीं दिखा, जिसकी चर्चा हो सके. काम के मामले में अर्जुन मुंडा प्रभावी थे. उन्होंने एकलव्य विद्यालय समेत सिकल सेल एनीमिया को लेकर आदिवासी क्षेत्र में बेहतर काम करवाया था. लिहाजा, अर्जुन मुंडा की हार के बाद झारखंड से निशिकांत दुबे का पलड़ा भारी दिख रहा है.

झारखंड की राजनीति को बारीकी से समझने वाले जानकारों के मुताबिक गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे कैबिनेट मंत्री की रेस में सबसे बड़े दावेदार दिख रहे हैं. यह संभावना भर है. लेकिन यह भी सही है कि संभावनाएं ही आकार लेती हैं. फिलहाल, इसके लिए थोड़ा इंतजार करना पड़ेगा.

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