हजारीबाग: क्या आपने कभी सुना है कि हाथी भी अपने समूह से बहिष्कृत हो जाते हैं, जी हां यह सच्चाई है. हजारीबाग के दारू प्रखंड में पिछले दो दिनों से एक मर्द हाथी का उत्पात देखने को मिल रहा है. यह हाथी कभी इचाक तो कभी दारू तो कभी किसी दूसरे गांव में नजर आ रहा है. दरअसल यह बिछड़ा हुआ हाथी नहीं है बल्कि समूह से बहिष्कृत हाथी है.
जंगली जानवरों पर पर शोध करने वाले मुरारी सिंह बताते हैं कि व्यस्क हाथी कभी भी समूह से बिछड़ता नहीं है. अभी जो हाथी तबाही मचा रहा है वह व्यस्क है और उसके दो बड़े-बड़े दांत भी हैं. उन्होंने कहा कि एक शोध के अनुसार हाथियों का समूह सबसे विकसित समूह होता है जो एक दूसरे को नाम से भी पुकारते हैं. जब कोई हाथी नियम का पालन नहीं करता है तो समूह का नेतृत्वकर्ता उसे बहिष्कृत कर देता है.
कौन होता है हाथी का ग्रुप लीडर
हाथी समूह की नेतृत्वकर्ता हथिनी होती है और इसका सेनापति एक नर हाथी होता है. नर हाथी सभी हथिनी के साथ संबंध बना सकता है. जो नए जवान हाथी होते हैं वह नियम तोड़ते हुए हथिनी के साथ संबंध बनाने की कोशिश करते हैं. ऐसी स्थिति में नियम तोड़ने का उन्हें दंड दिया जाता है और उसे समूह से बहिष्कृत कर दिया जाता है.
हाथी क्यों हो जाता है विद्रोही
दरअसल, हाथी के सर और कान के बीच में एक ग्रंथि होती है. हाथी के व्यस्त होने पर एक तरल पदार्थ का रिसाव उस ग्रंथि से होता है. इस दौरान हाथी चिड़चिड़ा हो जाता है और वह विद्रोही हो जाता है. विद्रोही होने पर वह नियम का उल्लंघन भी करता है. वन विभाग के पदाधिकारी भी बताते हैं जो हाथी हजारीबाग में तबाही मचा रहा है वह बहिष्कृत हाथी है. जब किसी जानवर को या इंसान को समाज से बहिष्कृत किया जाता है तो वह चिड़चिड़ा और घातक हो जाता है. कुछ यही स्थिति इस हाथी के साथ हुई है.
उन्होंने ग्रामीणों से अपील करते हुए कहा है कि हाथी से दूरी बनाकर रहें. अगर गांव में प्रवेश कर रहा है तो लाल मिर्च जलाएं ताकि वह दूर चला जाए. कोशिश करें कि घर के अंदर ही रहें और इसकी सूचना वन विभाग को दें. उन्होंने यह भी कहा है कि यह हाथी बेहद खतरनाक साबित हो रहा है ऐसे में सावधानी ही बचाव है.
नियम हर जगह है चाहे वह जंगल हो या शहर. नियम का उल्लंघन करने पर हाथी को भी सजा समूह देती है. खैर यह दूसरी बात है, जिस तरह से हाथी गांव में दहशत फैला रहा है जरूरत है सावधानी बरतने की.
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