नूंह: रोटी तो अधिकांश लोग खाते हैं, लेकिन हरियाणा के नूंह जिले के मढ़ी गांव के लोग इस मामले में सबसे ज्यादा खुशनसीब हैं. नूंह जिले में मढ़ी ऐसा पहला गांव है, जहां सबसे पहले फसल पककर तैयार होती है. प्रदेश भर के लाखों किसानों के खेतों में इन दिनों भले ही हरी भरी फसलें लह लहा रही हों, लेकिन मढ़ी गांव में तो गेहूं की फसल होली से पहले ही कटने लग जाती है. जब तक जिले के अन्य क्षेत्र और प्रदेश के अन्य इलाकों में फसल पककर तैयार होगी, तब तक यहां के लोग नए देसी गेहूं की रोटी का खाने लगते हैं. यह परंपरा कोई नई बात नहीं है, बल्कि पिछले कई पीढ़ियों से गांव के लोग इसे देखते आ रहे हैं.
नूंह के मढ़ी गांव में सबसे पहले गेहूं की फसल तैयार: आम तौर पर गेहूं की फसल मार्च के अंतिम सप्ताह या अप्रैल के प्रथम सप्ताह में तैयार होती है. लेकिन हरियाणा के नूंह जिले के मढ़ी गांव में गेहूं की फसल तैयार हो कर कट भी गयी है. होली से पहले ही यहां के लोग नई फसल की रोटी खाने लगते हैं. यहां के लोग बड़े पैमाने पर गेहूं की खेती करते हैं.
क्या कहते हैं कृषि अधिकारी?: वहीं, इस मामले में जिला क्वालिटी कंट्रोल अधिकारी डॉ. अजय तोमर ने कहा "मढ़ी गांव में जीवाणुओं की संख्या मिट्टी में अधिक हो सकती है. इसीलिए वहां सबसे पहले गेहूं पककर तैयार होता है. इस गांव की मिट्टी की जांच कराई जाएगी और उसके बाद ही वैज्ञानिक तौर पर सही आकलन किया जा सकेगा."
इस गेहूं में क्या है खास?: मढ़ी गांव में अधिकांश किसान देसी यानी 306 किस्म के गेहूं की खेती करते हैं. इस गेहूं की खेती में बहुत ही कम पानी लगता है एक तरह से कहें तो यह बरसाती पानी से ही तैयार हो जाता है. सिंचाई के साधन नहीं होने के कारण इसमें खाद भी नहीं डाला जाता. इस गेहूं की शुद्धता का भी कोई सानी नहीं है. सबसे पहले नया और बिमारियों से मुक्त गेहूं मढ़ी गांव की शान को बढ़ाता है. किसानों का कहना है कि अगर उनके गांव को आकेड़ा की तरफ से आने वाले नाले से पानी नसीब हो जाए और अधिकारी एवं सरकार अगर उन पर थोड़ी मेहरबानी दिखाएं, तो कम पैदावार देने वाली जमीन सोना उगल सकती है.
अभी तक नहरी पानी से नहीं जुड़े क्षेत्र को दर्जनों गांव: बता दें कि नूंह जिले के नगीना खंड में मढ़ी गांव है. गांव की आबादी करीब 3-4 हजार है. गांव में खेती के लिए बरसाती पानी के अलावा कोई दूसरा साधन नहीं है. यही वजह है कि साल भर में इस गांव के लोग सिर्फ एक बार ही फसल ले पाते हैं. वैसे तो हरियाणा कई दशक का हो चुका है, लेकिन इस खंड के करीब 66 गांवों को अभी तक नहरी पानी से नहीं जोड़ा जा सका है. मढ़ी गांव का जलस्तर काफी नीचे है. इसके अलावा इस क्षेत्र में पानी खारा होने और भूजल स्तर काफी नीचे है जिसके चलते यहां का पानी किसी लायक नहीं है.
इन फसलों की खेती करते हैं क्षेत्र के किसान: मढ़ी गांव के किसान सरसों, गेहूं, जौ, चना, मसूर आदि फसलों की खेती करते आ रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है "जल्दी फसल पकने के पीछे सिंचाई नहीं होना भी एक कारण है. वैसे पानी तो पूरे खंड के करीब पांच दर्जन गांवों में लगभग एक समान ही है. मढ़ी गांव में सरसों, मसूर से लेकर गेहूं की फसल की कटाई शुरू हो चुकी है. सरसों की कटाई तो प्रदेश के अन्य जिलों और नूंह जिले के अन्य गांवों शुरू हो गई है. लेकिन अन्य क्षेत्रों में गेहूं की फसल तो अभी पकी भी नहीं है, कटाई की बात तो दूर है."
क्या कहते हैं स्थानीय लोग?: मढ़ी गांव के किसान सलीम खान कहते हैं "पूर्वजों से सुनते आ रहे हैं कि सदियों पहले एक फकीर आया था. कहने में आता है कि फकीर को बुजुर्ग दादी थी उन्होंने फकीर को खाना तो खिलाया लेकिन पानी नहीं पिलाया. कहते हैं खाना खाने के बाद फकीर ने कहा कि बेटी अनाज तो तू सबसे पहले खाएगी. लेकिन, पानी के लिए भटकेगी. तभी से इस गांव के लोग फसल सबसे पहले काटते हैं. उस घटना के बाद से ही यहां के लोग अनाज तो सबसे पहले खा लेते हैं. लेकिन, क्षेत्र में पानी की भारी किल्लत बनी रहती है. बरसात हो गई तो 30-35 मन गेहूं का फसल हो जाता है, लेकिन अगर बरसात नहीं हुई तो 15-16 मन होता है. बिना खाद और दवा के खेती करते हैं. इस गेहूं की रोटी बहुत मुलायम, चमकदार और पौष्टिक होती है."
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