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क्या है PPP मॉडल? जिसको लेकर पहले चंडीगढ़ में हुआ विरोध और अब यूपी में बिजली कर्मचारी कर रहे प्रदर्शन - WHAT IS PPP MODEL

चंडीगढ़ में बिजली विभाग के निजिकरण को लेकर हुए प्रदर्शन के बाद उत्तर प्रदेश में भी इसका विरोध हो रहा है.

बिजली विभाग का निजिकरण
बिजली विभाग का निजिकरण (सांकेतिक तस्वीर)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Dec 10, 2024, 10:17 PM IST

नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के लगभग 45 जिलों के बिजली विभाग के निजीकरण को लेकर मंगलवार को कैबिनेट मीटिंग की मीटिंग में फैसला होना था. हालांकि, फिलहाल मीटिंग को स्थगित कर दिया गया है. इसके साथ ही कयास लगाए जा रहें हैं कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस प्रस्ताव को नामंजूर कर देंगे.

इस बीच बिजली विभाग के कर्माचारियों के विरोध प्रदर्शन के नजर सरकार ने पूरे राज्य में एस्मा लगा दिया है.ताकि सरकारी विभागों में किसी भी तरह की हड़ताल न हो सके.कर्मचारी संगठनों का कहना है कि योगी सरकार दक्षिणांचल और पूर्वांचल विद्युत निगम का निजीकरण करने की तैयारी कर रही है.

पीपीपी मॉडल का विस्तार करने की योजना
संगठन का कहना है कि सरकार की योजना पीपीपी मॉडल का विस्तार करने की है. इसमें करीब 45 जिलों की बिजली निजी हाथों में चली जाएगी. इसको लेकर कर्मचारियों ने प्रदर्शन भी शुरू कर दिया है.फिलहाल उत्तर प्रदेश में आगरा और कानपुर जैसे शहरों में निजीकरण की व्यवस्था लागू है.

चंडीगढ़ में बिजली के निजिकरण को लेकर विरोध
इससे पहले पंजाब के चंडीगढ़ में भी बिजली के निजिकरण को लेकर बिजली विभाग के कर्मचारियों ने विरोध प्रदर्शन किया था. कर्मचारियों का आरोप था कि चंडीगढ़ में अफसर नियमों की लगातार धज्जियां उड़ा रहे हैं. साथ ही प्रॉफिट में चल रहे विभाग को कोलकाता की प्राइवेट कंपनी को सौंपा जा रहा है.

कर्मचारियों ने आरोप लगाया कि बिडिंग प्रोसेस करने से पहले ट्रांसफर पॉलिसी तक नहीं बनाई गई है और यहां बड़े स्तर पर धांधली की जा रही है. बता दें कि हाल ही में चंडीगढ़ प्रशासन ने एक मीटिंग की थी, जिसमें बिजली क्षेत्र में प्रमुख संरचनात्मक सुधारों के लिए बिजली वितरण के निजीकरण की परिकल्पना की गई. वहीं चंडीगढ़ में अब निजीकरण की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है.

मंत्रिमंडल से मंजूरी के बाद, ‘चंडीगढ़ पावर डिस्ट्रीब्यूशन लिमिटेड’ (CPDL) का गठन किया गया है. निजीकरण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हुए चंडीगढ़ प्रशासन ने सबसे ज्यादा बोली लगाने वाले को आशय पत्र (LoI) भी जारी कर दिया है.

क्या है पीपीपी मॉडल?
ओडिशा सरकार ने राज्य में पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरिशप (PPP) मॉडल लागू किया था. इसके जरिए राज्य सरकार और टाटा पावर ने पीपीपी मॉडल से बिजली वितरण व्यवस्था में बदलाव किया. इसके तहत प्राइवेट कंपनी पर 51 फीसदी और सरकार का हिस्सा 49 फीसदी है. इससे कंपनी को बिजली की खरीद, जरूरी बदलाव में निर्णय लेने की क्षमता मिल गई है. लाभ और हानि का हिस्सा शेयर के मुताबिक बना रहेगा.

पीपीपी मॉडल के तहत बदलाव
ओडिशा में पीपीपी मॉडल लागू होने के बाद कई बदलाव हुए. इनमें पूरे शहर का बिजली वितरण नेटवर्क भूमिगत हुआ, आंधी, तूफान, बारिश में बिजली कटौती कम हुई, 33 केवी के 27 सबस्टेशनों को रिंग के जरिए जोड़ा गया, तकनीकी खराबी में दूसरे स्टेशन से बिजली की सप्लाई हुई और 27 सबस्टेशनों को स्काडा सिस्टम से भी जोड़ा गया.

इसके अलावा बिजली फॉल्ट मरम्मत का समय 4 घंटे से घटकर एक घंटे हुआ. वहीं, ओवरलोडिंग के कारण ट्रांसफार्मर फुंकने में कमी आई, बिजली बिल जमा करने की कतारें खत्म हुईं, बिजली कटौती में कमी, तार टूटने और फेज उड़ने की शिकायतों में काफी कमी दर्ज की गई.

यह भी पढ़ें- 3 साल 8 महीने में आंध्र प्रदेश से उत्तर प्रदेश पहुंची ट्रेन ? सच्चाई जानकर हो जाएंगे हैरान

नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के लगभग 45 जिलों के बिजली विभाग के निजीकरण को लेकर मंगलवार को कैबिनेट मीटिंग की मीटिंग में फैसला होना था. हालांकि, फिलहाल मीटिंग को स्थगित कर दिया गया है. इसके साथ ही कयास लगाए जा रहें हैं कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस प्रस्ताव को नामंजूर कर देंगे.

इस बीच बिजली विभाग के कर्माचारियों के विरोध प्रदर्शन के नजर सरकार ने पूरे राज्य में एस्मा लगा दिया है.ताकि सरकारी विभागों में किसी भी तरह की हड़ताल न हो सके.कर्मचारी संगठनों का कहना है कि योगी सरकार दक्षिणांचल और पूर्वांचल विद्युत निगम का निजीकरण करने की तैयारी कर रही है.

पीपीपी मॉडल का विस्तार करने की योजना
संगठन का कहना है कि सरकार की योजना पीपीपी मॉडल का विस्तार करने की है. इसमें करीब 45 जिलों की बिजली निजी हाथों में चली जाएगी. इसको लेकर कर्मचारियों ने प्रदर्शन भी शुरू कर दिया है.फिलहाल उत्तर प्रदेश में आगरा और कानपुर जैसे शहरों में निजीकरण की व्यवस्था लागू है.

चंडीगढ़ में बिजली के निजिकरण को लेकर विरोध
इससे पहले पंजाब के चंडीगढ़ में भी बिजली के निजिकरण को लेकर बिजली विभाग के कर्मचारियों ने विरोध प्रदर्शन किया था. कर्मचारियों का आरोप था कि चंडीगढ़ में अफसर नियमों की लगातार धज्जियां उड़ा रहे हैं. साथ ही प्रॉफिट में चल रहे विभाग को कोलकाता की प्राइवेट कंपनी को सौंपा जा रहा है.

कर्मचारियों ने आरोप लगाया कि बिडिंग प्रोसेस करने से पहले ट्रांसफर पॉलिसी तक नहीं बनाई गई है और यहां बड़े स्तर पर धांधली की जा रही है. बता दें कि हाल ही में चंडीगढ़ प्रशासन ने एक मीटिंग की थी, जिसमें बिजली क्षेत्र में प्रमुख संरचनात्मक सुधारों के लिए बिजली वितरण के निजीकरण की परिकल्पना की गई. वहीं चंडीगढ़ में अब निजीकरण की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है.

मंत्रिमंडल से मंजूरी के बाद, ‘चंडीगढ़ पावर डिस्ट्रीब्यूशन लिमिटेड’ (CPDL) का गठन किया गया है. निजीकरण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हुए चंडीगढ़ प्रशासन ने सबसे ज्यादा बोली लगाने वाले को आशय पत्र (LoI) भी जारी कर दिया है.

क्या है पीपीपी मॉडल?
ओडिशा सरकार ने राज्य में पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरिशप (PPP) मॉडल लागू किया था. इसके जरिए राज्य सरकार और टाटा पावर ने पीपीपी मॉडल से बिजली वितरण व्यवस्था में बदलाव किया. इसके तहत प्राइवेट कंपनी पर 51 फीसदी और सरकार का हिस्सा 49 फीसदी है. इससे कंपनी को बिजली की खरीद, जरूरी बदलाव में निर्णय लेने की क्षमता मिल गई है. लाभ और हानि का हिस्सा शेयर के मुताबिक बना रहेगा.

पीपीपी मॉडल के तहत बदलाव
ओडिशा में पीपीपी मॉडल लागू होने के बाद कई बदलाव हुए. इनमें पूरे शहर का बिजली वितरण नेटवर्क भूमिगत हुआ, आंधी, तूफान, बारिश में बिजली कटौती कम हुई, 33 केवी के 27 सबस्टेशनों को रिंग के जरिए जोड़ा गया, तकनीकी खराबी में दूसरे स्टेशन से बिजली की सप्लाई हुई और 27 सबस्टेशनों को स्काडा सिस्टम से भी जोड़ा गया.

इसके अलावा बिजली फॉल्ट मरम्मत का समय 4 घंटे से घटकर एक घंटे हुआ. वहीं, ओवरलोडिंग के कारण ट्रांसफार्मर फुंकने में कमी आई, बिजली बिल जमा करने की कतारें खत्म हुईं, बिजली कटौती में कमी, तार टूटने और फेज उड़ने की शिकायतों में काफी कमी दर्ज की गई.

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