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क्या प्यार एक केमिकल लोचा है या फिर कुछ और, जानें - What is Love

जब आपका किसी से क्रश होता है, उस वक्त आप कैसा महसूस करते हैं. आप एक्साइटेड हो जाते हैं. आपके चेहरे चमक उठते हैं. दिल गुदगुदाने लगता है. उस वक्त आप सबसे अधिक खुश रहते हैं. आपको ये भी लगता होगा कि हां, मैं हूं. न्यूरो साइंस इन्हीं भावनाओं को डोपामाइन और नॉरपेनेफ्रिन नाम के हार्मोन से जोड़ देता है. उनका कहना है कि इन हार्मोंस के एक्टिव होने से ऐसी भावनाएं जगती हैं.

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प्रतीकात्मक फोटो (Getty Image)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Aug 8, 2024, 5:24 PM IST

नई दिल्ली : प्यार किसे कहते हैं. क्या प्यार भ्रमित करने वाला होता है. एक रिसर्च के अनुसार अमेरिका में लोग 'प्यार' शब्द को महीने में लगभग 12 लाख बार गूगल करते हैं. इनमें से एक चौथाई लोग यह सर्च करते हैं कि प्यार क्या है और प्यार की परिभाषा क्या है.

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कॉन्सेप्ट फोटो (Getty Image)

न्यूरो साइंस के अनुसार प्यार मस्तिष्क में मौजूद कुछ केमिकल्स की वजह से होता है. जैसे, आप किसी विशेष व्यक्ति से मिलते हैं, तो डोपामाइन और नॉरपेनेफ्रिन हार्मोन एक्टिव हो जाते हैं. इसकी वजह से आप उस व्यक्ति को बार-बार देखना चाहते हैं. यह ठीक उसी तरह से जिस तरह आप टेस्टी चॉकलेट खाते हैं, तो आपको उसे बार-बार खाने की इच्छा करती है.

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जिससे क्रश होता है, उसके चेहरे देखकर आप खिल उठते हैं

आपकी भावनाएं इन केमिकल्स की प्रतिक्रियाओं से निर्धारित होती हैं. जब आपका किसी से क्रश होता है या फिर आप अपने सबसे अच्छे दोस्त के आसपास होते हैं, तो आपमें अजीब उत्साह, आकर्षण, खुशी और स्नेह जैसा कुछ महसूस होता है. जब वे आपके रूम में प्रवेश करते हैं, तो आपके चेहरे खिल उठते हैं. थोड़ी देर में आप कंफर्ट महसूस करते हैं और ट्रस्ट का लेवल बढ़ जाता है. लेकिन माता-पिता और बच्चे के बीच प्यार अलग-अलग महसूस होता है, जिसमें केयर और स्नेह की भावना ज्यादा होती है.

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कॉन्सेप्ट फोटो (Getty Image)

लेकिन क्या ये भावनाएं, जो आपके मस्तिष्क में रासायनिक प्रतिक्रियाओं के कारण होती हैं, यही प्यार है. और यदि ऐसा है, तो आपके अंदर वो भावनाएं जरूर हैं. इसका ये भी मतलब है कि आप इस पर अपनी इच्छानुसार नियंत्रण भी लगा सकते हैं, ठीक उसी तरह से जिस तरह से आप गड्ढे में गिरने से बचने से आप कदम उठाते हैं.

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वैसे, बहुत लोग ये भी मानते रहे हैं कि प्यार सिर्फ भावनाओं तक सीमित नहीं होती है. यह उससे कहीं अधिक होता है.

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प्यार भावनाओं से हटकर होता है

प्राचीन यूनानी दार्शनिक प्लेटो मानते थे, "प्यार आकर्षण और आनंद जैसी भावनाओं से निर्धारित होता है और इस पर आपका वश नहीं होता है. फिर भी ये भावनाएं आपके द्वारा चुने गए प्यार भरे रिश्तों से कम महत्वपूर्ण हैं. खासकर उनसे जिनसे आपका जीवनभार का नाता जुड़ जाता है और वे एक दूसरे की मदद करते हैं."

प्लेटो के छात्र अरस्तू का मानना था- भावनाओं के आधार पर जो संबंध बनते हैं, उनमें आनंद कॉमन होता है. लेकिन जो संबंध गुडविल और सद्भावना के आधार पर बनते हैं, उनका मूल्य अधिक होता है. भावनाओं पर बने रिश्ते तब तक टिकते हैं जब तक भावनाएं टिकी रहती हैं.

एक उदाहरण से समझिए, यदि आप किसी भी व्यक्ति के साथ वीडियो गेम खेल रहे हैं, दोनों को इसमें आनंद आता है, लेकिन एक बार जब गेम खत्म हो जाता है, तो आप दोनों का जो संबंध आनंद के आधार पर बना था, वह धीरे-धीरे खत्म हो जाएगा.

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इसके ठीक उलट, वैसे संबंध जिसमें आप एक दूसरे पर समय देते हैं, एक दूसरे को बेहतर बनाने के लिए प्रयासरत रहते हैं, इस तरह के संबंध लंबे रहते हैं. बिल्कुल उसी तरह से जैसा कि प्लेटो और अरस्तू की राय थी.

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क्या कहते हैं आज के दार्शनिक

आज के समय में देखें, तो दार्शनिक जे. डेविड वेलेमैन भी सोचते हैं कि प्यार को 'पसंद और लालसाओं' से अलग किया जा सकता है जो इसके साथ आती हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि प्यार सिर्फ एक एहसास नहीं है, एक दूसरे पर समय व्यतीत किया जाता है, जो किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व का जश्न मनाता है.

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वेलेमैन का कहना है कि डॉ. सीस ने यह बताते हुए अच्छा काम किया कि किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व का जश्न मनाने का क्या मतलब है, जब उन्होंने लिखा - “चलो! अपना मुंह खोलो और आकाश की ओर आवाज़ दो ! अपनी ऊंची आवाज़ में जोर से चिल्लाएं, 'मैं मैं हूं! मुझे! मैं मैं हूं!'' जब आप किसी से प्यार करते हैं, तो आप उसका जश्न मनाते हैं क्योंकि आप उस ''मैं हूं मैं'' को महत्व देते हैं.

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प्यार करना भी एक स्किल है

आप प्यार के मामले में भी बेहतर हो सकते हैं. सामाजिक मनोवैज्ञानिक एरिच फ्रॉम का मानना ​​है कि प्यार करना एक स्किल है, जिसके लिए अभ्यास की आवश्यकता होती है, जिसे वह 'प्यार में डटे रहना' कहते हैं. जब आप प्यार में होते हैं, तो आप किसी व्यक्ति के प्रति कुछ खास तरीकों से व्यवहार करते हैं.

यह बिल्कुल उसी तरह है जैसे कोई वाद्य यंत्र को बजाना सीखता है, जिसमें आपको धैर्य, एकाग्रता और अनुशासन बनाए रखने की जरूरत होती है, प्यार में भी ठीक ऐसा ही होता है. प्यार और दोस्ती, दोनों में ऐसा ही करना होता है. दोनों में अभ्यास की जरूरत होती है और धीरे-धीरे आप इस कला में पारंगत होने की राह पर निकल पड़ते हैं.

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क्या आप जिसको हेट करते हैं, उसके लिए खड़े हो सकते हैं

अब सवाल ये है कि क्या आप किसी से घृणा करते हैं, तो क्या उसके लिए खड़े हो सकते हैं या फिर किसी के लिए कोई फीलिंग नहीं है, तो उसके लिए क्या खड़े होंगे. जवाब है नहीं. फिलॉस्फर वर्जीनिया हेल्ड का कहना है कि किसी गतिविधि को करने और उसका अभ्यास में भाग लेने के बीच अंतर होता है. ठीक उस तरह से जैसे गणित का शिक्षक किसी सवाल को हल कर दे, लेकिन उसकी व्याख्या न करे, तो क्या होगा. और एक दूसरा शिक्षक है जो हरेक स्टेप पर उसकी व्याख्या करते जाए, निश्चित तौर पर आप दूसरे शिक्षक को सही मानेंगे. प्यार में भी ऐसा होता है. आप करेंगे, तभी इसे महसूस कर पाएंगे.

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प्यार पर नियंत्रण- क्या प्रेम को एक भावना या एक विकल्प के रूप में समझना सर्वोत्तम है ? इस बारे में सोचें कि जब आप किसी से संबंध तोड़ लेते हैं या किसी मित्र को खो देते हैं तो क्या होता है. यदि आप प्यार को पूरी तरह से उन भावनाओं के संदर्भ में समझते हैं जो यह उत्तेजित करती है, तो प्यार खत्म हो जाता है. दूसरी ओर, यदि प्यार जिसे आप जीते हैं, तो वह कभी गायब नहीं होता है. साथी के चले जाने के बाद भी वह बना रहता है, भले ही आप उस शहर को छोड़ दें. प्यार करना एक अभ्यास है. और, किसी भी अभ्यास की तरह, इसमें ऐसी गतिविधियाँ शामिल हैं जिन्हें आप करना या न करना चुन सकते हैं - जैसे बाहर घूमना, सुनना और उपस्थित रहना. इसके अलावा, प्यार का अभ्यास करने में सम्मान और सहानुभूति जैसे सही मूल्यों को लागू करना शामिल होगा. हालांकि प्यार के साथ आने वाली भावनाएं आपके नियंत्रण से बाहर हो सकती हैं, आप किसी से कैसे प्यार करते हैं यह बहुत हद तक आपके नियंत्रण में होता है.

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(नोट - यह लेख डिस्कवर मैगजीन में प्रकाशित रिपोर्ट के आधार पर लिखा गया है)

ये भी पढ़ें : सिर्फ प्यार का सिंबल नहीं है गुलाब, स्किन से लेकर डिप्रेशन तक, इन समस्याओं में आता है काम

नई दिल्ली : प्यार किसे कहते हैं. क्या प्यार भ्रमित करने वाला होता है. एक रिसर्च के अनुसार अमेरिका में लोग 'प्यार' शब्द को महीने में लगभग 12 लाख बार गूगल करते हैं. इनमें से एक चौथाई लोग यह सर्च करते हैं कि प्यार क्या है और प्यार की परिभाषा क्या है.

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न्यूरो साइंस के अनुसार प्यार मस्तिष्क में मौजूद कुछ केमिकल्स की वजह से होता है. जैसे, आप किसी विशेष व्यक्ति से मिलते हैं, तो डोपामाइन और नॉरपेनेफ्रिन हार्मोन एक्टिव हो जाते हैं. इसकी वजह से आप उस व्यक्ति को बार-बार देखना चाहते हैं. यह ठीक उसी तरह से जिस तरह आप टेस्टी चॉकलेट खाते हैं, तो आपको उसे बार-बार खाने की इच्छा करती है.

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जिससे क्रश होता है, उसके चेहरे देखकर आप खिल उठते हैं

आपकी भावनाएं इन केमिकल्स की प्रतिक्रियाओं से निर्धारित होती हैं. जब आपका किसी से क्रश होता है या फिर आप अपने सबसे अच्छे दोस्त के आसपास होते हैं, तो आपमें अजीब उत्साह, आकर्षण, खुशी और स्नेह जैसा कुछ महसूस होता है. जब वे आपके रूम में प्रवेश करते हैं, तो आपके चेहरे खिल उठते हैं. थोड़ी देर में आप कंफर्ट महसूस करते हैं और ट्रस्ट का लेवल बढ़ जाता है. लेकिन माता-पिता और बच्चे के बीच प्यार अलग-अलग महसूस होता है, जिसमें केयर और स्नेह की भावना ज्यादा होती है.

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लेकिन क्या ये भावनाएं, जो आपके मस्तिष्क में रासायनिक प्रतिक्रियाओं के कारण होती हैं, यही प्यार है. और यदि ऐसा है, तो आपके अंदर वो भावनाएं जरूर हैं. इसका ये भी मतलब है कि आप इस पर अपनी इच्छानुसार नियंत्रण भी लगा सकते हैं, ठीक उसी तरह से जिस तरह से आप गड्ढे में गिरने से बचने से आप कदम उठाते हैं.

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वैसे, बहुत लोग ये भी मानते रहे हैं कि प्यार सिर्फ भावनाओं तक सीमित नहीं होती है. यह उससे कहीं अधिक होता है.

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प्यार भावनाओं से हटकर होता है

प्राचीन यूनानी दार्शनिक प्लेटो मानते थे, "प्यार आकर्षण और आनंद जैसी भावनाओं से निर्धारित होता है और इस पर आपका वश नहीं होता है. फिर भी ये भावनाएं आपके द्वारा चुने गए प्यार भरे रिश्तों से कम महत्वपूर्ण हैं. खासकर उनसे जिनसे आपका जीवनभार का नाता जुड़ जाता है और वे एक दूसरे की मदद करते हैं."

प्लेटो के छात्र अरस्तू का मानना था- भावनाओं के आधार पर जो संबंध बनते हैं, उनमें आनंद कॉमन होता है. लेकिन जो संबंध गुडविल और सद्भावना के आधार पर बनते हैं, उनका मूल्य अधिक होता है. भावनाओं पर बने रिश्ते तब तक टिकते हैं जब तक भावनाएं टिकी रहती हैं.

एक उदाहरण से समझिए, यदि आप किसी भी व्यक्ति के साथ वीडियो गेम खेल रहे हैं, दोनों को इसमें आनंद आता है, लेकिन एक बार जब गेम खत्म हो जाता है, तो आप दोनों का जो संबंध आनंद के आधार पर बना था, वह धीरे-धीरे खत्म हो जाएगा.

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इसके ठीक उलट, वैसे संबंध जिसमें आप एक दूसरे पर समय देते हैं, एक दूसरे को बेहतर बनाने के लिए प्रयासरत रहते हैं, इस तरह के संबंध लंबे रहते हैं. बिल्कुल उसी तरह से जैसा कि प्लेटो और अरस्तू की राय थी.

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क्या कहते हैं आज के दार्शनिक

आज के समय में देखें, तो दार्शनिक जे. डेविड वेलेमैन भी सोचते हैं कि प्यार को 'पसंद और लालसाओं' से अलग किया जा सकता है जो इसके साथ आती हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि प्यार सिर्फ एक एहसास नहीं है, एक दूसरे पर समय व्यतीत किया जाता है, जो किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व का जश्न मनाता है.

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वेलेमैन का कहना है कि डॉ. सीस ने यह बताते हुए अच्छा काम किया कि किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व का जश्न मनाने का क्या मतलब है, जब उन्होंने लिखा - “चलो! अपना मुंह खोलो और आकाश की ओर आवाज़ दो ! अपनी ऊंची आवाज़ में जोर से चिल्लाएं, 'मैं मैं हूं! मुझे! मैं मैं हूं!'' जब आप किसी से प्यार करते हैं, तो आप उसका जश्न मनाते हैं क्योंकि आप उस ''मैं हूं मैं'' को महत्व देते हैं.

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प्यार करना भी एक स्किल है

आप प्यार के मामले में भी बेहतर हो सकते हैं. सामाजिक मनोवैज्ञानिक एरिच फ्रॉम का मानना ​​है कि प्यार करना एक स्किल है, जिसके लिए अभ्यास की आवश्यकता होती है, जिसे वह 'प्यार में डटे रहना' कहते हैं. जब आप प्यार में होते हैं, तो आप किसी व्यक्ति के प्रति कुछ खास तरीकों से व्यवहार करते हैं.

यह बिल्कुल उसी तरह है जैसे कोई वाद्य यंत्र को बजाना सीखता है, जिसमें आपको धैर्य, एकाग्रता और अनुशासन बनाए रखने की जरूरत होती है, प्यार में भी ठीक ऐसा ही होता है. प्यार और दोस्ती, दोनों में ऐसा ही करना होता है. दोनों में अभ्यास की जरूरत होती है और धीरे-धीरे आप इस कला में पारंगत होने की राह पर निकल पड़ते हैं.

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क्या आप जिसको हेट करते हैं, उसके लिए खड़े हो सकते हैं

अब सवाल ये है कि क्या आप किसी से घृणा करते हैं, तो क्या उसके लिए खड़े हो सकते हैं या फिर किसी के लिए कोई फीलिंग नहीं है, तो उसके लिए क्या खड़े होंगे. जवाब है नहीं. फिलॉस्फर वर्जीनिया हेल्ड का कहना है कि किसी गतिविधि को करने और उसका अभ्यास में भाग लेने के बीच अंतर होता है. ठीक उस तरह से जैसे गणित का शिक्षक किसी सवाल को हल कर दे, लेकिन उसकी व्याख्या न करे, तो क्या होगा. और एक दूसरा शिक्षक है जो हरेक स्टेप पर उसकी व्याख्या करते जाए, निश्चित तौर पर आप दूसरे शिक्षक को सही मानेंगे. प्यार में भी ऐसा होता है. आप करेंगे, तभी इसे महसूस कर पाएंगे.

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प्यार पर नियंत्रण- क्या प्रेम को एक भावना या एक विकल्प के रूप में समझना सर्वोत्तम है ? इस बारे में सोचें कि जब आप किसी से संबंध तोड़ लेते हैं या किसी मित्र को खो देते हैं तो क्या होता है. यदि आप प्यार को पूरी तरह से उन भावनाओं के संदर्भ में समझते हैं जो यह उत्तेजित करती है, तो प्यार खत्म हो जाता है. दूसरी ओर, यदि प्यार जिसे आप जीते हैं, तो वह कभी गायब नहीं होता है. साथी के चले जाने के बाद भी वह बना रहता है, भले ही आप उस शहर को छोड़ दें. प्यार करना एक अभ्यास है. और, किसी भी अभ्यास की तरह, इसमें ऐसी गतिविधियाँ शामिल हैं जिन्हें आप करना या न करना चुन सकते हैं - जैसे बाहर घूमना, सुनना और उपस्थित रहना. इसके अलावा, प्यार का अभ्यास करने में सम्मान और सहानुभूति जैसे सही मूल्यों को लागू करना शामिल होगा. हालांकि प्यार के साथ आने वाली भावनाएं आपके नियंत्रण से बाहर हो सकती हैं, आप किसी से कैसे प्यार करते हैं यह बहुत हद तक आपके नियंत्रण में होता है.

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(नोट - यह लेख डिस्कवर मैगजीन में प्रकाशित रिपोर्ट के आधार पर लिखा गया है)

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