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कुवैत अग्निकांड : कुवैत से पश्चिम बंगाल लाया गया इंजीनियर का शव, सांसद ने उठाए सवाल - Kuwait Fire Tragedy

Kuwait Fire: कुवैत में लगी भीषण आग की घटना में कम से कम 50 श्रमिकों की जान चली गई, जिनमें से अधिकतर भारतीय नागरिक थे. इस हादसे में पश्चिम बंगाल के मेदिनीपर से द्वारिकेश पटनायक भी मौत हो गई. पटनायक कुवैत में एक निजी कंपनी में इंजीनियर सुपरवाइजर के तौर पर काम कर रहे थे. पीड़ित का शव शनिवार को कोलकाता पहुंचा.

Kuwait Fire
कुवैत अग्निकांड में पश्चिम बंगाल के व्यक्ति की मौत (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jun 15, 2024, 8:53 PM IST

मेदिनीपुर: कुवैत में एक बहुमंजिला इमारत में आग लगने से 50 श्रमिकों की जान चली गई. मरने वाले लोगों में अधिकतर भारतीय नागरिक हैं. द्वारिकेश पटनायक उन भारतीयों में शामिल थे, जिनकी उस भयानक हादसे में मौत हो गई. पटनायक (52) ने अपने परिवार के साथ समय बिताने के बारे में सोचा, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था. पटनायक घर लौट आए, लेकिन उनका शव ताबूत में बंद था. सांसद जून मालिया ने मृतक को श्रद्धांजलि दी.

जून मालिया ने कहा कि, करीब 21 फीसदी भारतीय कुवैत और दूसरे देशों में मजदूरी करते हैं. वहां की कंपनियां उन्हें ठीक से नहीं रखतीं. वे यहां से मजदूरों को कम पैसे में ले जाकर अपने देश में काम करवाती हैं. जिस इमारत में मजदूरों को रखा गया था, उसके नीचे सिलेंडर फटने से आग लग गई. माना जा रहा है कि छत के दरवाजे बंद थे. सख्त रुख अपनाकर मजदूरों की ऐसी मौतों को रोका जा सकता था'.

सयंतन पटनायक अपने जीजा का शव एयरपोर्ट लाने गए. उन्होंने कहा कि, 'मेरी भांजी ने अपने पिता को खो दिया है. मैंने अपने जीजा को खो दिया है, लेकिन मैं इस घर की सभी जिम्मेदारियों को निभाने का वादा करता हूं, ताकि भविष्य में कोई असुविधा न हो'.

पता चला है कि मृतक द्वारिकेश पटनायक का असली घर दांतन के तुरका में है. उन्होंने हाल ही में मेदिनीपुर शहर के सरतपल्ली इलाके में एक घर बनवाया था. वह अपनी पत्नी और बेटी के साथ वहां रहते थे. उन्होंने 27 साल तक देश से बाहर काम किया. वह 20 साल से कुवैत में एक निजी कंपनी में इंजीनियर सुपरवाइजर के तौर पर काम कर रहे थे. पिछले बुधवार को कुवैत में लगी भीषण आग में कुल 50 लोगों की मौत हो गई थी, जिनमें से 45 भारतीय हैं. मूल रूप से, कुवैत की राजधानी के दक्षिण में मंगफ इलाके में एक ऊंची अपार्टमेंट इमारत में बुधवार सुबह आग लग गई. परिसर में काम करने वाले कर्मचारी रहते थे, जिनमें से अधिकांश भारतीय थे. हालांकि, आग लगने का कारण अभी भी स्पष्ट नहीं है.

पढ़ें: कुवैत अग्निकांड: क्यों होती हैं ऐसी घटनाएं, कैसे किया जा सकता है बचाव ?

मेदिनीपुर: कुवैत में एक बहुमंजिला इमारत में आग लगने से 50 श्रमिकों की जान चली गई. मरने वाले लोगों में अधिकतर भारतीय नागरिक हैं. द्वारिकेश पटनायक उन भारतीयों में शामिल थे, जिनकी उस भयानक हादसे में मौत हो गई. पटनायक (52) ने अपने परिवार के साथ समय बिताने के बारे में सोचा, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था. पटनायक घर लौट आए, लेकिन उनका शव ताबूत में बंद था. सांसद जून मालिया ने मृतक को श्रद्धांजलि दी.

जून मालिया ने कहा कि, करीब 21 फीसदी भारतीय कुवैत और दूसरे देशों में मजदूरी करते हैं. वहां की कंपनियां उन्हें ठीक से नहीं रखतीं. वे यहां से मजदूरों को कम पैसे में ले जाकर अपने देश में काम करवाती हैं. जिस इमारत में मजदूरों को रखा गया था, उसके नीचे सिलेंडर फटने से आग लग गई. माना जा रहा है कि छत के दरवाजे बंद थे. सख्त रुख अपनाकर मजदूरों की ऐसी मौतों को रोका जा सकता था'.

सयंतन पटनायक अपने जीजा का शव एयरपोर्ट लाने गए. उन्होंने कहा कि, 'मेरी भांजी ने अपने पिता को खो दिया है. मैंने अपने जीजा को खो दिया है, लेकिन मैं इस घर की सभी जिम्मेदारियों को निभाने का वादा करता हूं, ताकि भविष्य में कोई असुविधा न हो'.

पता चला है कि मृतक द्वारिकेश पटनायक का असली घर दांतन के तुरका में है. उन्होंने हाल ही में मेदिनीपुर शहर के सरतपल्ली इलाके में एक घर बनवाया था. वह अपनी पत्नी और बेटी के साथ वहां रहते थे. उन्होंने 27 साल तक देश से बाहर काम किया. वह 20 साल से कुवैत में एक निजी कंपनी में इंजीनियर सुपरवाइजर के तौर पर काम कर रहे थे. पिछले बुधवार को कुवैत में लगी भीषण आग में कुल 50 लोगों की मौत हो गई थी, जिनमें से 45 भारतीय हैं. मूल रूप से, कुवैत की राजधानी के दक्षिण में मंगफ इलाके में एक ऊंची अपार्टमेंट इमारत में बुधवार सुबह आग लग गई. परिसर में काम करने वाले कर्मचारी रहते थे, जिनमें से अधिकांश भारतीय थे. हालांकि, आग लगने का कारण अभी भी स्पष्ट नहीं है.

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