अयोध्या : राम मंदिर में छत से पानी टपकने को लेकर मंदिर निर्माण समिति के चेयरमैन नृपेंद्र मिश्र ने बड़ी वजह बताई है. उन्होंने कहा कि मैं अयोध्या में हूं. मैंने मंदिर में बारिश का पानी टपकते देखा है. मंदिर में दूसरी मंजिल पूरी तरह से खुली हुई है और पहली मंजिल का निर्माण कार्य अगले महीने के अंत तक पूरा हो जाएगा. मंदिर के पहली मंजिल पर निर्माण कार्य चल रहा है.
इसलिए मंदिर के गर्भगृह में नाली बंद कर दी गई है. मंदिर के गर्भगृह से पानी मैन्युअल रूप से निकाला जा रहा है. पानी का इस तरह इकट्ठा होना या नीचे आने का मंदिर के डिजाइन से कोई लेना-देना नहीं है. खुले फर्श से बारिश का पानी नीचे गिर ही सकता है.
वहीं, श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य डॉ. अनिल मिश्रा ने भी इस मामले को स्वीकार करते हुए कहा कि प्रथम मंजिल पर फर्श बनाने का कार्य शुरू हो गया है और पत्थरों का कार्य अधिक से अधिक पूरा हो चुका है. बरसात से सुरक्षित रखने के लिए पानी का रिसाव न हो इसके लिए वाटर प्रूफिंग का कार्य सभी स्थानों पर चल रहा है और बरसात आने से पूर्व इस कार्य को पूरा कर लिया जाए जिससे आने वाले श्रद्धालुओं के लिए किसी प्रकार की समस्या ना खड़ी हो.
उन्होंने कहा कि यह प्री मानसून की बारिश थी. प्रथम तल पर वाटर प्रूफिंग का कार्य चल रहा है. इसके साथ ही वायरिंग का कार्य भी किया जा रहा है. पाइपलाइन लगी रहती है. मैकेनिक कुछ कार्य को आधा छोड़कर चले जाते हैं. उन्होंने कहा कि दूसरी मंजिल की छत भी डाली जा रही है, जहां पर वाटर प्रूफिंग के बाद कुछ भी नहीं रहेगा.
बिजली की वायरिंग के लिए पाइप लगते हैं उसे भी शील्ड किया जा रहा है और इस प्रकार से आगे किसी भी प्रकार से पानी आने की संभावना नहीं रहेगी. धीरे-धीरे मंदिर के कार्य की जो स्थितियां हैं वह बदल रही हैं. बीती रात पानी बरसा है, इसलिए थोड़ा पानी आ गया है. इसके लिए पूर्व तैयारी नहीं थी लेकिन, दूसरे दिन ही इसे व्यवस्थित कर लिया गया है.
राम मंदिर में पानी टपकने की वजह को लेकर मंदिर निर्माण समिति के चेयरमैन नृपेंद्र मिश्र ने सफाई दी है. उन्होंने कहा कि मंदिर के गर्भगृह में पानी आने की दो प्रमुख वजह हैं. पहला कारण, गर्भगृह के आगे गूढ़ मंडप का निर्माण अभी अधूरा है, जिससे होकर पानी मंदिर परिसर में पहुंच गया. दूसरा कारण प्रथम तल पर बिजली के लिए डाले जा रहे तार हैं. इसके चलते पाइप खुला है, जिससे पानी का रिसाव हुआ है.
चेयरमैन नृपेंद्र मिश्रा ने कहा कि मैंने खुद मंदिर का निरीक्षण कर सभी बिंदुओं को देखा है. कुछ लोगों ने केवल मंदिर में पानी टपकने का भ्रम पैदा किया है. मंदिर की गुणवत्ता के साथ समझौता नहीं किया गया है. 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा के बाद भक्तों के लिए मंदिर को खोले जाने के कारण गूढ़ मंडप के ऊपर अस्थाई निर्माण कराया गया था, जिस पर अब स्थायी निर्माण कराया जाएगा.
उन्होंने कहा कि गर्भगृह के आगे मंडप अभी अस्थायी तरीके से बनाया गया है. इसे दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया था. इसे हटाकर पक्का किया जाएगा. मंदिर नागर शैली में बना है, जिसमे मंदिर के बगल के सभी हिस्से खुले रहते हैं. जहां तेज बारिश में पानी आने की संभावना रहती है. स्थायी मंदिर के अंदर पानी आने की संभावना नहीं होगी.
उन्होंने कहा कि हम लोगों को स्पष्ट करना चाहते हैं कि मंदिर निर्माण की गुणवत्ता में किसी प्रकार की कोई कमी नहीं की गई है. हर सावधानी बरती जा रही है. हाई क्वालिटी का निर्माण किया जा रहा है और हर निर्माण की जांच सीबीआई रुड़की से कराई जाती है, जिसका वह सर्टिफिकेट भी देते हैं.
मंदिर के गर्भगृह में गिरने वाले पानी को बाहर निकालने के लिए किसी प्रकार की व्यवस्था न होने के आरोप को लेकर भी उन्होंने कहा कि गर्भगृह में भगवान के अभिषेक से निकलने वाले पानी को एक कुंड में एकत्रित किया जाता है. गर्भगृह सहित अन्य सभी मंडपों में परनाला बना हुआ है. वहां से प्राकृतिक तरीके से पानी निकल जाएगा. मंदिर की डिजाइन को इसी तरह से बनाया गया है.