एर्नाकुलम: यूपीए की पहली सरकार के दौरान वामपंथी समर्थित निर्दलीय सांसद रहे सेबेस्टियन पॉल ने चौंकाने वाले खुलासे किए हैं. पूर्व सांसद सेबेस्टियन पॉल ने कहा है कि, 2008 में भारत-अमेरिका परमाणु समझौते के विरोध में वाम मोर्चे द्वारा सरकार से समर्थन वापस लिया गया था. उन्होंने कहा कि, अविश्वास प्रस्ताव में मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के पक्ष में वोट देने के लिए उन्हें 25 करोड़ रुपये की पेशकश की गई थी.
एक मलयालम साप्ताहिक को दिए इंटरव्यू में पॉल ने कहा कि, यह पेशकश यूपीए के कार्यकाल के अंत में की गई थी, जब सरकार को पर्याप्त वोट जुटाने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा था. पॉल ने आगे खुलासा किया कि रिश्वत के प्रस्ताव में वरिष्ठ कांग्रेस नेता वायलार रवि भी शामिल थे. पॉल के अनुसार, मुखर्जी ने वोट हासिल करने के लिए ऑपरेशन का नेतृत्व किया और मुखर्जी के कार्यालय के प्रतिनिधियों ने उनसे संपर्क किया.
उन्होंने कहा कि, अगले दिन, केंद्रीय मंत्री वायलार रवि ने कथित तौर पर संसद में पॉल से पिछले दिन के विजटर के बारे में पूछा. पॉल ने यह भी दावा किया कि वायलार रवि के साथ अहमद पटेल भी ऑपरेशन का हिस्सा थे.
सेबेस्टियन पॉल ने कहा कि रिश्वत का प्रस्ताव इस आधार पर रखा गया था कि एक स्वतंत्र सांसद के रूप में, अगर वह सरकार के पक्ष में मतदान करते हैं तो उन्हें पार्टी व्हिप के अधीन नहीं होना पड़ेगा या दलबदल विरोधी दंड का सामना नहीं करना पड़ेगा. इसके अलावा, पॉल ने यह भी कहा कि, कई सांसदों को सरकार के पक्ष में मतदान करने या मतदान से दूर रहने के लिए करोड़ों रुपये सहित इसी तरह के प्रलोभन दिए गए थे.
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