बरनाला: पंजाब लोकसभा चुनाव 2024 बेहद दिलचस्प होने वाला है. एक और जहां सभी राजनीतिक दल एक-एक सीट जीतने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं, वहीं ताजा जानकारी के अनुसार 'वारिस पंजाब दे' के प्रमुख खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह पंजाब की खडूर साहिब लोकसभा सीट से चुनाव लड़ेगा. गौरतलब है कि पुलिस के सामने आत्मसमर्पण करने के बाद अमृतपाल अप्रैल 2023 से राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत असम की डिब्रूगढ़ जेल में बंद हैं.
अमृतपाल सिंह के कानूनी सलाहकार राजदेव सिंह खालसा के अनुसार, वारिस पंजाब दे के प्रमुख लोकसभा चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ेंगे. उनके कानूनी सलाहकार ने खुलासा किया कि अमृतपाल ने व्यक्तिगत रूप से खडूर साहिब से चुनाव लड़ने के अपने इरादे की पुष्टि की है.
इसके अलावा, रिपोर्टों से पता चलता है कि एक मुख्यधारा की राजनीतिक पार्टी अमृतपाल की उम्मीदवारी को बाहरी दृष्टिकोण से समर्थन देने पर विचार कर रही है. उन्होंने कहा कि गुरुवार अमृतपाल सिंह के साथ एक बैठक निर्धारित की गई है. मंगलवार को अमृतपाल की पत्नी किरणदीप कौर ने भी उनसे जेल में मुलाकात की. उस समय लोकसभा चुनाव में उनकी भागीदारी को लेकर किसी चर्चा का कोई संकेत नहीं मिला था. इससे पहले अमृतपाल सिंह के वकील राजदेव सिंह खालसा ने अमृतपाल सिंह के चुनाव लड़ने के फैसले पर संकेत दिया था. हालांकि, उसके परिवार ने कहा है कि अमृतपाल सिंह की चुनाव लड़ने की कोई योजना नहीं थी. अमृतपाल सिंह से चुनाव लड़ने के लिए इलाके की कई पंचायतें और सिख संगठन अपील कर चुके हैं.
अजनाला पुलिस थाने पर किया था हमला: तलवारों, बंदूकों और धारदार हथियारों से लैस, स्वयंभू सिख उपदेशक और खालिस्तान समर्थक (सिखों के लिए संप्रभु राज्य) प्रचारक अमृतपाल सिंह के कई समर्थकों ने फरवरी 2023 में, अमृतसर के अजनाला में पंजाब पुलिस कर्मियों के साथ हाथापाई की थी. इस हमले में पुलिस कर्मियों सहित कई लोग घायल हो गए थे
अमृतपाल, ने कहा था कि 'खालिस्तान आंदोलन को पनपने से नहीं रोका जा सकता'. उसके कथित अपहरण और चोरी के मामले में अपने करीबी सहयोगी की गिरफ्तारी के विरोध में अपने समर्थकों को अजनाला में इकट्ठा होने का आह्वान किया था. 'वारिस पंजाब दे' संगठन के प्रमुख अमृतपाल के समर्थकों ने अजनाला पुलिस स्टेशन के पास पुलिस कर्मियों के साथ झड़प करते हुए पुलिस बैरिकेड तोड़ दिए थे. सभी समर्थक तथाकथित 'शक्ति प्रदर्शन' करते हुए पुलिस परिसर में घुस गए थे.
अमृतपाल ने शाह को दी थी धमकी; इंदिरा गांधी के भाग्य का दिया हवाला: खालिस्तान समर्थक और 'वारिस पंजाब दे' के प्रमुख अमृतपाल सिंह ने गृहमंत्री अमित शाह को धमकी दे डाली थी. अमृतपाल सिंह ने कहा था, 'लोकतंत्र में मुझे शांति से यह कहने का अधिकार है कि हम एक अलग देश चाहते हैं'. अमित शाह ने कहा था कि वह खालिस्तान आंदोलन को बढ़ने नहीं देंगे'. कट्टरपंथी समूह 'वारिस पंजाब दे' के प्रमुख और खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह ने गृहमंत्री अमित शाह को धमकी देते हुए कहा था कि अगर उन्होंने खालिस्तान आंदोलन को रोकने की कोशिश की तो उनका भी पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जैसा ही हश्र होगा. इंदिरा गांधी ने भी ऐसा ही किया था और अगर आप भी ऐसा करेंगे तो आपको परिणाम भुगतने होंगे.
अमृतपाल की पृष्ठभूमि: अमृतपाल सिंह 19 साल की उम्र में दुबई जाने से पहले वह पंजाब के अमृतसर जिले में रहता था. वह पिछले साल सितंबर में भारत वापस लौट आया था. लौटते ही उसी महीने 'वारिस पंजाब दे' का प्रमुख नियुक्त किया गया था, जो एक पंजाबी एक्टर और कार्यकर्ता दीप सिद्धू द्वारा स्थापित संगठन था, जिनकी फरवरी 2022 में एक सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी. यह संगठन प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार द्वारा आगे बढ़ाए गए कृषि सुधारों के खिलाफ किसानों को एकजुट करने के एक विशाल अभियान का हिस्सा था. दीप सिद्धू ने कहा था कि इसका मकसद युवाओं को सिखी के रास्ते पर लाना और पंजाब को जगाना है.
दीप सिद्धू का नाम किसान आंदोलन और फिर 26 जनवरी 2021 को लाल किला हिंसा मामले में आया. 15 फरवरी 2022 को दिल्ली से पंजाब लौटते वक्त सोनीपत के पास सड़क हादसे में दीप सिद्धू की मौत हो गई थी. मार्च में दावा किया गया कि अमृतपाल अब 'वारिस पंजाब दे' संगठन के नए नेता हैं. इसके बाद अमृतपाल ने सीधे तौर पर सरकार और सिस्टम को चुनौती देनी शुरू कर दी.
उन्हें भारी बहुमत से तरनतारन निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हुए उनकी अनुपस्थिति में लोकसभा के लिए चुना गया, और नवंबर 1989 में सभी आरोपों को खारिज करते हुए "राज्य के हित में" बिना शर्त रिहा कर दिया गया। इस समय तक वह पाँच साल जेल में बिता चुके थे
सिमरनजीत सिंह मान ने भी लड़ा था जेल से चुनाव: इससे पहले खालिस्तानी समर्थक और संगरूर से सांसद सिमरनजीत सिंह मान ने भी 1989 का लोकसभा चुनाव जेल से लड़ा था. उनकी पार्टी शिरोमणि अकाली दल अमृतसर के 8 और उनके 3 समर्थक जीतकर कर गए थे. सिमरनजीत सिंह मान ने जब तरनतारन से चुनाव लड़ा था, उस समय वह भागलपुर जेल में बंद थे. पटियाला से उनकी पार्टी के नेता अतिंदरपाल सिंह भी जेल में रहते हुए जीते थे. अतिंदरपाल उन दिनों वह तिहाड़ जेल में बंद थे.
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